सोमवार, 26 सितंबर 2016

नवरात्रि क्या है?

नवरात्र या नवरात्रि?

संस्कृत व्याकरण के अनुसार 'नवरात्रि' कहना त्रुटिपूर्ण है। 9 रात्रियों का समाहार, समूह होने के कारण से द्वंद समास होने के कारण यह शब्द पुल्लिंग रूप 'नवरात्र' में ही शुद्ध है।



नवरात्र क्या है?

पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में 1 साल की 4 संधियां हैं। उनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के 2 मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक आशंका होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है।

नौ दिन या रात

अमावस्या की रात से अष्टमी तक या प्रतिपदा से नवमी की दोपहर तक व्रत-नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। यहां रात गिनते हैं इसलिए नवरात्र यानी नौ रातों का समूह कहा जाता है। रूपक द्वारा हमारे शरीर को 9 मुख्य द्वारों वाला कहा गया है। इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है।

इन मुख्य इन्द्रियों के अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारु रूप से क्रियाशील रखने के लिए 9 द्वारों की शुद्धि का पर्व 9 दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए 9 दिन 9 दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।

शरीर को सुचारु रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुद्धि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किंतु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर 6 माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है। सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुद्धि, साफ-सुथरे शरीर में शुद्ध बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुद्ध होता है। स्वच्छ मन-मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।

 जानिए नवरात्र का वैज्ञानिक-आध्यात्मिक रहस्य

भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता तो ऐसे उत्सवों को 'रात्रि' न कहकर 'दिन' ही कहा जाता लेकिन नवरात्र के दिन, 'नवदिन' नहीं कहे जाते।

मनीषियों ने वर्ष में 2 बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के 1 दिन पूर्व तक। परंतु सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।

इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रात पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर आंतरिक त्राटक या बीज मंत्रों के जाप द्वारा विशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

नवरात्रों में शक्ति की 51 पीठों पर भक्तों का समुदाय बड़े उत्साह से शक्ति की उपासना के लिए एकत्रित होता है। जो उपासक इन शक्तिपीठों पर नहीं पहुंच पाते, वे अपने निवास स्थल पर ही शक्ति का आह्वान करते हैं।

आजकल अधिकांश उपासक शक्ति पूजा रात्रि में नहीं, पुरोहित को दिन में ही बुलाकर संपन्न करा देते हैं। सामान्य भक्त ही नहीं, पंडित और साधु-महात्मा भी अब नवरात्रों में पूरी रात जागना नहीं चाहते और न ही कोई आलस्य को त्यागना चाहता है। बहुत कम उपासक आलस्य को त्यागकर आत्मशक्ति, मानसिक शक्ति और यौगिक शक्ति की प्राप्ति के लिए रात्रि के समय का उपयोग करते देखे जाते हैं।

मनीषियों ने नवरात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। आधुनिक विज्ञान भी इस बात से सहमत है। हमारे ऋषि-मुनि आज से कितने ही हजारों वर्ष पूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे।

दिन में आवाज दी जाए तो वह दूर तक नहीं जाएगी किंतु रात्रि को आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। रेडियो इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थात सुनना मुश्किल होता है, जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियो स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है।

वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि सूर्य की किरणें दिन के समय रेडियो तरंगों को जिस प्रकार रोकती हैं, उसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय रुकावट पड़ती है इसीलिए ऋषि-मुनियों ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर-दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है। यह रात्रि का वैज्ञानिक रहस्य है। जो इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए रात्रियों में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपने शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं, उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि, उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि के अनुसार करने पर अवश्य होती है।

Source-webdunia

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

हल्दी से बैक्टीरिया फ्री होंगी सब्जियां


सब्जियों और फलों को बैक्टीरिया अौर पेस्टीसाइड्स फ्री करने के लिए सिर्फ पानी से धो लेना ही काफी नहीं होता। हम बता रहे हैं यहां 4 उपाय ...

1. हल्दी करेगी बैक्टीरिया दूर

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए सब्जियों और फलों को बैक्टीरिया फ्री करने में हल्दी का उपयोग करें। एक बाउल में सब्जियों या फलों की मात्रा के हिसाब से पानी लें और उसे गर्म कर लें। इसमें पांच छोटे चम्मच हल्दी मिक्स करें। अब पांच मिनट के लिए सब्जियों और फलों को इसमें डालकर रखें। इसके बाद साफ पानी से धो लें।

2. सफेद सिरके से साफ करें फल-सब्जियां

सिरके से सभी तरह के कीटाणु और कीटनाशक (पेस्टीसाइड्स) साफ किए जा सकते हैं। इसके लिए एक बाउल में पानी और एक कप सफेद सिरका डालें। इस पानी से सब्जियों को धोकर साफ करें।

3. बेकिंग सोडे का यूज करें

एक बाउल में पांच गिलास पानी भरें। इसमें चार चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और फल, सब्जियों को डुबो दें। कुछ देर बाद बाउल से निकालें और यूज करें।

4. सेंधा नमक मिले पानी से धोएं फल-सब्जियां

सेंधा नमक को पानी में मिलाकर प्रयोग करने से भी पेस्टीसाइड्स दूर होते हैं। साफ पानी के बाउल में एक कप नमक मिला लें। फिर इसमें फल व सब्जियों को डालकर दस मिनट के लिए भिगो दें। कुछ देर बाद इन्हें निकालकर साफ पानी से धोएं और यूज करें।


चाय की पत्ती से सफाई होगी आसान

घर में बची हुई चाय की पत्ती, इमली का पानी और केले के छिलकों से किस तरह हो सकती है सफाई, जानिए..... 

1. चाय की पत्ती से सफाई होगी आसान चाय बनाने के बाद बची हुई चाय की पत्ती को एक बार फिर से पानी डालकर उबालें। पानी को ठंडा करके छान लें।इससे गिलास और मिरर की सफाई करें और मनचाही चमक पाएं।

2. इमली के पानी से साफ होंगे बर्तन किचन सिंक की सफाई के लिए इमली के पानी में नमक मिलाएं और साफ करें। नल की टोंटियों को साफ  करने के लिए नमक और इमली का पानी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पानी का उपयोग चांदी के बर्तनों को साफ करने में भी किया जाता है।इससे बर्तन चमक उठेंगे।

3. केले के छिलकों से ऐसे चमकाएं जूते अगर घर में शु पॉलिश खत्म हो गई है तो अपने जूतों पर केले के छिलकों को रब कर लें और सूखे कपड़े से पोंछ लें। इससे आपके जूते चमक जाएंगे।