बुधवार, 29 जून 2016

7 पे कमीशन की सिफारिशें मंजूर | 7th pay commission

मोदी सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को 7th पे कमीशन की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। टोटल सैलरी 23.55% तक बढ़ाई जा सकती है। सरकार के मंत्री शाम तक इसका औपचारिक एलान करेंगे। इस इजाफे का फायदा सेंट्रल गवर्नमेंट के 50 लाख इम्प्लॉइज और 58 लाख पेंशनर्स को मिलेगा। 7 Q&A में समझें कैसे और कितना फायदा...
Source - patrika

#1 कब से लागू होगा?
1 जनवरी 2016 से।
#2 बढ़ी हुई सैलरी कब से मिलने लगेगी?
जुलाई की सैलरी, जो अगस्त में आएगी।
#3 कितनी सैलरी बढ़ेगी?
टोटल सैलरी 23.5% तक बढ़ेगी। लेकिन क्लास-1, 2, 3 और 4 में फाइनली कितनी फीसदी बढ़ेगी, इसका एलान शाम तक होगा। पेंशनर्स की सैलरी 24% तक बढ़ेगी।
#4 तो अब मेरी सैलरी बढ़कर कितनी हो जाएगी?
- ये क्लासवाइज एलान के बाद साफ हो सकेगा।
- सिफारिशों के मुताबिक, 7 हजार रुपए की मिनिमम बेसिक पे बढ़कर 18 हजार रुपए होगी।
- जो मैक्सिमम बेसिक पे 90 हजार थी वो बढ़कर 2.5 लाख हो जाएगी।
#5 जनवरी से जून 2016 के 6 महीनों के एरियर का क्या?
वो भी मिलेगा। लेकिन एक बार में ही पूरा एरियर मिलेगा या किश्तों में, ये तय होना बाकी।
#6 कब तक के लिए है?
अगले 10 साल तक इसी पे कमीशन के आधार पर सरकार से सैलरी मिलेगी।
#7 तो क्या अगले 10 साल तक यही सैलरी मिलती रहेगी?
नहीं, 7th पे कमीशन के मुताबिक जो आपकी सैलरी होगी, उस पर सालाना 3 फीसदी का इन्क्रीमेंट मिलेगा। साथ ही, महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी होने पर भी सैलरी बढ़ेगी।
70 साल में सबसे कम इजाफे की सिफारिश
- बेसिक पे के मामले में यह 70 साल में सबसे कम बढ़ोत्तरी की सिफारिश है। क्योंकि इस बार यह 16% बढ़ाने की बात कही गई है। जबकि 6th पे कमीशन में बेसिक सैलरी 20% बढ़ाने की सिफारिश की गर्इ थी।
- 16% बेसिक पे के साथ अगर अलाउंस 67% बढ़ा दें तो इस बार टोटल सैलरी 23.55% तक बढ़ेगी। पेंशन में एवरेज 24% की बढ़ोत्तरी की सिफारिश है।
क्या थीं कमीशन की बाकी अहम सिफारिशें?

- केंद्र के सभी इम्प्लॉइज के लिए भी वन रैंक-वन पेंशन हो। इसके दायरे में 10 साल पहले रिटायर हुए इम्प्लॉइज भी होंगे।
- ग्रैच्युटी की लिमिट 10 से बढ़ाकर 20 लाख रुपए। जब भी डीए 50% बढ़ेगा, ग्रैच्युटी लिमिट 25% बढ़ेगी।
- सैलरी तय करने के लिए पे बैंड और ग्रेड पे का सिस्टम खत्म।
- 56 तरह के अलाउंस खत्म किए जाएं, सभी को एक जैसी पेंशन।
- पैरा मिलिट्री फोर्स के लिए भी शहीद का दर्जा। मिलिट्री सर्विस पे दोगुना होगा। यह सिर्फ आर्मी पर लागू होगा। बाकी पर नहीं।
केंद्र पर कितना आएगा बोझ
- सैलरी बढ़ाने से केंद्र पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का बोझ आएगा, जो कुल जीडीपी का 0.7% है। 
- 39100 करोड़ रुपए सैलरी, 29300 करोड़ रुपए अलाउंस और 33700 करोड़ रुपए पेंशन बढ़ाने पर खर्च होंगे।
- आम बजट पर 73650 करोड़ रुपए और रेलवे बजट पर 28450 करोड़ रुपए का बोझ आएगा।
- इम्प्लॉइज को अगस्त महीने से एरियर के साथ सैलरी दिए जाने की उम्मीद है। जनवरी से अब तक के एरियर्स भी मिलेंगे।
सेक्रेटरीज की कमेटी ने ज्यादा बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी
- पीके सिन्हा की अगुआई वाली सेक्रेटरीज की कमेटी ने पे कमीशन की सिफारिशों से भी 30% ज्यादा सैलरी तय करने की बात कही थी।
- यानी 18,000 की जगह करीब 27,000 और 2, 25,000 की जगह 3, 25,000 रुपए सैलरी करने का प्रपोजल दिया था।

क्या है सेवन्थ पे कमीशन?

- कमीशन के चेयरमैन अशोक कुमार माथुर हैं। उन्होंने कुछ महीने पहले फाइनेंस मिनिस्टर जेटली को सिफारिशें सौंपी थीं।
- यह कमीशन यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में बनाया था। इसे 18 महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन इसका टर्म अगस्त 2015 में चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।
सरकारें क्यों बनाती हैं पे कमीशन?
बढ़ती महंगाई और इम्प्लॉइज बेनिफिट के तकरीबन हर 10 साल बाद केंद्र सरकार पे कमीशन बनाती है। यह केंद्र के इम्प्लॉई का पे स्केल, रिटायरमेंट के बेनिफिट और दूसरे बेनिफिट्स पर चर्चा करता है। 
कब-कब बने कमीशन?
पहला पे कमीशन :जनवरी 1946 में बना था। इसकी रिपोर्ट मई 1947 में भारत की अंतरिम सरकार को सौंपी गई थी।
दूसरा पे कमीशन :अगस्त 1957 में बना। इसकी रिपोर्ट 1959 में सौंपी गई। इससे सरकार पर करीब 40 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
तीसरा पे कमीशन :अप्रैल 1970 में बना। मार्च 1973 में रिपोर्ट सौंपी। इससे सरकार पर 144 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
चौथा पे कमीशन :जून 1983 में बना। चार साल में तीन फेज में इसकी रिपोर्ट सब्मिट की गई। सरकार पर 1,282 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
पांचवां पे कमीशन :9 अप्रैल 1994 को आयाेग बना। तीन साल बाद इसकी रिपोर्ट सौंपी। सरकार पर 17,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
छठा पे कमीशन :अक्टूबर 2006 में बना। मार्च 2008 में रिपोर्ट सौंपी। 1 जनवरी 2006 में सिफारिशें लागू की गईं। इससे सरकार पर 22,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
तब राज्य सरकारों के पास सैलरी देने के लिए पैसे नहीं थे
- पांचवें पे कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र ने राज्य सरकारों से भी अपने इम्प्लॉइज की सैलरी का रिव्यू करने को कहा।
- हालात ये बन गए थे कि 2000 में 13 राज्यों के पास अपने इम्प्लॉइज को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं बचे। 
- इस फाइनेंशियल क्राइसिस से उबरने के लिए पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम ने एक ऐसा सिस्टम बनाने की मांग की, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह लिए बगैर सैलरी न बढ़ाए। वर्ल्ड बैंक ने भी इसे क्रिटिसाइज किया था।
तब सबसे कम 10 रुपए बढ़ी थी सैलरी
- पहले पे कमीशन में रेलवे के क्लास-4 इम्प्लॉई की सैलरी 10 रुपए से 30 रुपए तक बढ़ाई गई थी। 
- क्लास-3 इम्प्लॉई की सैलरी में 35 से 60 रुपए का इजाफा हुआ था। 
- कमीशन ने रेलवे इम्प्लॉई के लिए मिनिमम पे 55 रुपए फिक्स किया था
Source - bhaskar

सत्य का मार्ग – The True Path

Source - .redbubble
गुरु गेहूं के एक खेत के समीप खड़े थे, तब उनका शिष्य एक समस्या लेकर उपस्थित हुआ और बोलाः
“सत्य की प्राप्ति की ओर ले जानेवाला मार्ग कौन सा है? मैं उसकी खोज कैसे करूं?”
गुरू ने उससे पूछा, “तुम अपने दाएं हाथ में कौन सी अंगूठी पहने हो?”
“यह मेरे पिता की निशानी है जो उन्होंने निधन से पहले मुझे सौंपी थी”, शिष्य ने कहा.
“इसे मुझे देना”, गुरू ने कहा.

शिष्य ने अपनी उंगली से अंगूठी निकालकर विनयपूर्वक गुरु के हाथ में दे दी. गुरु ने अंगूठी को खेत के बीच में गेंहू की बालियों की ओर उछाल दिया.
“यह आपने क्या किया?!”, शिष्य अचरज मिश्रित भय से चिल्लाया, “अब मुझे सब कुछ छोड़कर अंगूठी की खोज में जुटना पड़ेगा! वह मेरे लिए बहुमूल्य है!”
“वह तो तुम्हें मिल ही जाएगी, लेकिन उसे पा लेने पर तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी मिल जाएगा. सत्य का पथ भी ऐसा ही होता है… वह अन्य सभी पथों से अधिक मूल्यवान और महत्वपूर्ण है”.
Source -hindizen

मोरधन की कचोरी


सामग्री :
150 ग्राम मोरधन, 
3 आलू मध्यम आकार के,
 राजगिरे का आटा 100 ग्राम, 
सिंघाड़े का आटा 50 ग्राम, 
कालीमिर्च, लौंग, लाल मिर्च, अदरक का पेस्ट, 
जीरा सभी चीजें एक-एक छोटा चम्मच, 
नमक अंदाज से, 2-3 हरी मिर्च, 
हरा धनिया बारीक कटा, 
तेल तलने के लिए।

प्याज़ की कचौरी


विधि :
सबसे पहले मोरधन को साफ करके 2 घंटे के लिए भिगो दें, फिर मिक्सी में महीन पीस लें। आलू उबालकर मेश कर लें। कड़ाही में 50 ग्राम तेल डालकर गरम करें। जीरा व हरी मिर्च डाल दें, तड़कने लगे तब मोरधन का पेस्ट डालकर धीमी आंच पर भूनें। खुशबू आने लगे तब आलू का पेस्ट व सारे मसाले डाल दें। कुछ देर और भूनें, उतारकर हरा धनिया डाल दें। ठंडा होने पर बड़े आकार की गोलियां बना लें।
अब राजगिरे व सिंघाड़े के आटे में थोड़ा-सा नमक व एक छोटा चम्मच तेल डालकर पूड़ी के आटे जैसा गूंथ लें। छोटी-छोटी लोइयां बनाकर छोटी पपड़ी बेलें। हर पपड़ी में मिश्रण की गोली रखकर कचोरी का आकार दें। अब गरम तेल में धीमी आंच पर गुलाबी होने तल लें, लीजिए आपके लिए मोरधन-आलू की खस्ता कचोरियां तैयार हैं। इन्हें गरमा-गरम हरी चटनी या दही के रायते के साथ परोसें।

Source: http://awaresearchstory.in

मंगलवार, 28 जून 2016

कटे बैंगन को काला होने से बचाने का उपाय

कटे बैंगन को काला होने से बचाने के लिए, एक बर्तन में पानी लें, उसमें थोड़ा नमक डालें और बैंगन को काटकर उस पानी में डालते जाएँ। जब तक बैंगन के टुकड़े पानी में रहेंगें वो काले नहीं पड़ेंगें। जब सारे बैंगन कट जाएँ तब बैंगन के टुकड़ों को पानी में से निकाल कर पका लें।

शिमला मिर्च आलू सब्जी - Aloo Capsicum recipe

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना | Pradhan Mantri Surakshit Matritva Yojana


Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan or Yojana in hindi हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान देश की विकास में अनेक कार्य किये हैं. देश के विकास के लिए किये गये अनेक प्रयासों में कई योजनाये भी शुरू की गई हैं. इन्ही में से एक योजना का नाम हैं -: प्रधानमंत्री जन – धन योजना. यह प्रधानमंत्री जन – धन योजना बहुत ही विस्तृत स्तर पर शुरू की गयी हैं. प्रधानमंत्री जन – धन योजना के अंतर्गत अनेक योजनाये शामिल हैं और इनमे से कुछ योजनाये तो प्रारंभ भी की जा चुकी हैं, जैसे -: प्रधानमंत्री विद्यांजली योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना, आदि.




अभी हाल ही में इस प्रधानमंत्री जन – धन योजना के अंतर्गत शामिल प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना का प्रारंभ किया गया हैं. जिस पर विस्तृत रूप से वर्णन निम्नानुसार हैं -:


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना
Pradhan Mantri Surakshit Matritva Yojana in hindi

9 जून, 2016 को हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा एक और योजना प्रारंभ की गयी. इस योजना का नाम हैं – प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना, जो उन गर्भवती महिलाओं के लिए हैं, जो अपनी गर्भावस्था में अनेक बिमारिओं से ग्रसित हो जाती हैं और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण अथवा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मृत्यु को प्राप्त होती हैं, उनका शिशु मृत पैदा होता हैं या कमजोर स्वास्थ्य वाला होता हैं या माता किसी प्रकार से कमजोर रह जाती हैं. इस योजना के द्वारा इन सभी समस्याओं का उपाय खोजने की कोशिश की गयी हैं. सामान्यतः जब एक महिला गर्भवती होती हैं तो उसे अनेक प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं, जैसे -: रक्त – चाप, शुगर की अधिक मात्रा, हारमोन की घाट – बढ़ सम्बन्धी परेशानियाँ, आदि. यह योजना इन महिलाओं को इस प्रकार की परेशानियों से बचाने, मुफ्त स्वास्थ्य परिक्षण और स्वास्थ्य का उचित रूप से ध्यान रखने हेतु कदम उठाए जाने के लिए प्रारंभ की गयी हैं.


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना मुख्य बातें (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan Main point)

यह योजना गर्भवती महिलाओं के लिए बनाई गयी हैं.
इस योजना के अनुसार हर माह के नौवें दिन गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी.
इस योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की जांचें मुफ्त में की जाएगी.
यें जांचें मेडिकल सेंटर, अस्पतालों, निजी क्लिनिक एवं सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर की जाएगी.
प्रत्येक महिला, जो अलग स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, उसकी स्वास्थ्य समस्या को चिन्हित किया जाएगा, ताकि चिकित्सकों को समस्या पहचानने में कोई परेशानी न हो और उन्हें अनावश्यक रूप से समय न लगे और जल्द से जल्द इलाज शुरू किया जा सके.
यह योजना शिशु के स्वास्थ्य की भी जांच के लिए भी प्रावधान बनाती हैं.


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना योग्यता (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Yojana Eligibility)

इस योजना का लाभ मात्र गर्भवती महिलाएं ही उठा सकती हैं.
महिलाएं, जिनके गर्भधारण को 3 माह से 6 माह तक का समय बीत चुका हैं, वे गर्भवती महिलाएं ही इस योजना से लाभ प्राप्त करने हेतु योग्यता रखती हैं.
यह योजना उन गर्भवती महिलाओं के लिए हैं, जो शहरी क्षेत्रों में निवास नहीं करती. इस योजना के अंतर्गत अर्द्ध – शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं को लाभ दिए जाते हैं. ऐसा करने का कारण यह हैं कि सामन्यतः ग्रामीण महिलाये अपने स्वास्थ्य और गर्भधारण के दौरान इसके प्रति सचेत नहीं होती.


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना–: उद्देश्य


इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ शिशु और स्वस्थ जीवन प्रदान करना हैं.
इसका एक उद्देश्य यह भी हैं कि गर्भवस्था के दौरान या बच्चे को जन्म देते समय माता की मृत्यु – दर और शिशु मृत्यु – दर को कम किया जा सके.
गर्भावस्था के दौरान कोई महिला किन – किन स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकती हैं, इसके लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना, भी इसका प्रमुख उद्देश्य हैं.
इस योजना के उद्देश्यों में बच्चे के जन्म को एक सुरक्षित प्रक्रिया बनाना भी सम्मिलित किया गया हैं.
महिला को बच्चे की परवरिश एवं उसके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और सावधानियों के बारे में बताना.


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना योजना की जानकारी (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan Information)
इस स्कीम के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था के 3 माह से 6 माह के दौरान सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों, अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों द्वारा मुफ्त स्वास्थ्य जांच की जाती हैं. इस योजना में रक्त – चाप, शर्करा की मात्रा, हीमोग्लोबिन की जांच, रक्त जांच, स्क्रीनिंग एवं अन्य जांचें मुफ्त की जाती हैं.


मरीज के मेडिकल कार्ड में चिकित्सकों द्वारा विभिन्न प्रकार के स्टीकर का प्रयोग करके उनमे अंतर किया जाता हैं -:

क्रमांक                                           स्टीकर                                                                  बिमारी
1.                                                लाल स्टीकर                                                गंभीर अवस्था वाला मरीज
2.                                                नीला स्टीकर                                                      उच्च रक्त – चाप
3.                                               पीला स्टीकर                                                      अन्य स्वास्थ्य समस्या           


 हर माह की 9 तारीख को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, निजी अस्पताल, निजी नर्सिंग होम, सरकारी अस्पताल, जिला अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्र, आदि द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने में मदद की जाती हैं.


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना लाभ (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Yojana Benefits)

गर्भवती महिला एवं गर्भस्थ शिशु की नियमित जांच द्वारा बड़ी बीमारी होने का खतरा कम हो जाता हैं. साथ ही यदि कोई समस्या हो भी, तो उसका समय पर इलाज शुरू होने से उस बीमारी को जड़ से ही ख़त्म किया जा सकता हैं. इस प्रकार माता और संतान दोनों ही सुक्षित रहते हैं.
गर्भावस्था के दौरान अनेक प्रकार की बीमारियाँ सामने आती हैं और इस योजना के द्वारा महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होती है, खास तौर पर ग्रामीण महिलाएं, पिछड़ी जाति की महिलाएं और वे महिलाएं जो अनपढ़ हैं या ज्यादा पढ़ी – लिखी नहीं हैं.
इस योजना से गर्भावस्था के समय मृत्यु – दर कम होगी.
इस योजना के अंतर्गत चिकित्सकों द्वारा , जो विभिन्न रंगों के स्टीकर का प्रयोग किया जाता हैं, उससे उन्हें मरीजों का इलाज करने में मदद मिलती हैं.
नियमित रूप से जांच होने के कारण गर्भावस्था के दौरान बीमार पड़ने का खतरा कम हो जाता हैं.
ये जांचें एक मुफ्त सुविधा हैं, इसके लिए किसी प्रकार के धन की आवश्यकता नहीं होती हैं.

Source-http://www.deepawali.co.in

सोमवार, 27 जून 2016

छिपकली भगाने के घरेलु तरीके | How to get rid of lizards naturally

घर में छिपकलियां होना काफी बड़ा चिंता का विषय होता है। किसी को भी ये जंतु फूटी आँख नहीं सुहाता है।इस जंतु को दीवार पर रेंगते हुए देखकर ही मन कचोटने लगता है।घर की किसी भी दीवार पर छिपकली घूमती है तो हमें दिक्‍कत होती है कि कहीं नीचे न गिर जाएं, खाने में न गिर जाएं आदि।


  अगर आप भी घर की दीवारों पर इधर-उधर भागने वाली छिपकली से परेशान आ चुके हैं तो ये घरेलू उपाय आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

Kitchen Clean Tips | किचन क्लीन टिप्स


अंडे का छिलका
छिपकली भगाने का ये सबसे आसान तरीका है. जब भी अंडा फोड़ें उसके छिलके को कूड़ेदान में फेंकने के बजाय उन जगहों पर रख दें जहां छिपकली होने की आशंका सबसे अधिक हो. छिपकलियां, अंडे की गंध से दूर भागती हैं.
मोरपंख छिपकलियों को मोर का पंख देखकर भ्रम हो जाता है कि यहां कहीं सांप है जो उन्‍हे खा जाएगा, इसलिए उसे देखकर वह भाग जाती है। मोरपंख को घर में किसी गुलदस्‍ते आदि में लगाकर रख दें, इससे छिपकलियां भाग जाएगी।
मोरपंख
छिपकलियों को मोर का पंख देखकर भ्रम हो जाता है कि यहां कहीं सांप है जो उन्हे खा जाएगा, इसलिए उसे देखकर वह भाग जाती है। मोरपंख को घर में किसी गुलदस्ते आदि में लगाकर रख दें, इससे छिपकलियां भाग जाएगी।
कॉफी पाउडर
कॉफी पाउडर और कत्थे को मिलाकर एक गाढ़ा घोल बना लें. इसके बाद इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर उन जगहों पर रख दें, जहां छिपकली के होने की आशंका हो. कॉफी और कत्थे की गंध से या तो छिपकली मर जाएगी या फिर भाग जाएगी. नेफ्थलीन गोलियां
नेफ्थलीन की गोलियां, एक अच्छी कीटनाशक होती है, इसे वार्डरोब, वॉशवेसिन आदि में डाला जाता है। इसे जहां भी रख देगें, वहां छिपकली नहीं आएगी।
पिपर पेस्टीसाइड स्‍प्रे
पानी और काली मिर्च के पाउडर को मिला लें और एक पेस्‍टीसाइड तैयार कर लें। इसे अपनी किचेन, कमरों और बाथरूम अदि जगहों पर छिड़क दें। इससे छिपकलियां भाग जाती है क्योंकि काली मिर्च की तीखी गंध उन्हे अच्छी नहीं लगती है।
प्‍याज
प्याज को स्लाइस में काटकर उसे धागे में बांधकर लाइट्स आदि के पास लटका दें, इससे वहां आने वाली छिपकली भाग जाएगी। प्याज में सल्फर ज्यादा मात्रा में होता है जिससे बुरी दुर्गंध निकलती है और छिपकली भाग जाती है।

Benefit of Dalchini | दालचीनी के फायदे

दालचीनी के फायदे

यह घरों में पाया जाने वाला एक मसाला है यह एक पेड़ की चाल है मुख्यतया यह श्रिलंका में पाया जाने वाला पेड़ हे. आपने कभी दादी-नानी के नुस्खे सुने होगे तो दालचीनी का जिक्र जरूर सुना होगा |


  • एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर सुबह-शाम लेने से खांसी-जुकाम में आराम मिलता है। 

  • ब्लाडर इन्फ़ेक्शन होने पर दो बडे चम्मच दालचीनी का पावडर और एक बडा चम्मच शहद मिलाकर गरम पानी के साथ देने से मूत्रपथ के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

  • दालचीनी , शहद और निम्बू का रास गरम पानी में मिला के सवेरे पीने से आप का दिल और पाचन तंत्र मजबूत हो जाएंगे . दालचीनी से आप का कोलेस्ट्रॉल लेवेल काम हो जाएगा .

  • एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर दांतों में मसाज करने से दांतों की प्रॉब्लम से निजात मिलती है 

  • हल्के गर्म पानी में दालचीनी पाउडर और थोड़े से शहद को मिलाकर शरीर में दर्द वाले अंग पर लगाकर हल्‍के हाथों से मालिश करने से फायदा होता है।

Mouth Ulcer | मुंह के छाले


  • तीन बडे चम्मच शहद और एक चाय चम्मच दालचीनी पावडर का पेस्ट बनाएं। रात को सोते वक्त चेहरे पर लगाएं। सुबह गरम जल से धोलें । दो हफ़्ते के प्रयोग से मुहासे समाप्त होकर चेहरा कांतिमान दिखेगा।

  • आप अपना वजन काम करना चाहते है तो रोज सवेरे खाली पेट दालचीनी , शहद , अदरक का पेस्ट और निम्बू का रास गरम पानी में मिला के पी ले.

  • दालचीनी के पाउडर में थोड़ा सा नीबूं का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे दूर होते हैं।

  • त्वचा में खाज और खुजली होने पर दालचीनी पाउडर तथा शहद बराबर मात्रा में लेकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट को लगाने से त्‍वचा की यह समस्‍या दूर होती है
NOTE-:हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है

शुक्रवार, 24 जून 2016

{चुटकुले} हिंदी जोक्स | Jokes

मुन्ना टॉयलेट में बैठा पोट्टी कर रहा था
मुन्ना – मम्मी जल्दी आओ
मम्मी – क्या है? कुछ काम नहीं करने देता गँवार
मुन्ना – मम्मी धुला दो कर ली
मम्मी – खुद धो ले बेटा
मुन्ना – जब धुला नहीं सकती तो जबरदस्ती खिलाती क्यूँ हो
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संता दारु पी के घर पहुँचा
संता – आज तो बीवी बहुत पेलेगी क्या करूं ?
संता – जानू दरवाजा खोलो
प्रीतो – आ गया पीके
संता – दरवाजा खोलो जानू मैं अपनी सुंदर बीवी के लिए
सुंदर गिफ्ट लाया हूं
प्रीतो(दरवाजा खोल के) – कहाँ है सुंदर गिफ्ट ?
संता – कहाँ है सुंदर बीवी
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पप्पू सुबह सुबह अपने कुत्ते को घुमा रहा था
पप्पू – शाबाश मेरे शेर दौड़ तेज
पुलिसवाला – ओए लौंडे इधर आ
पुलिसवाला – ये अपने भाई को कहाँ लेके जा रहा है ?
पप्पू – पुलिस में भर्ती कराने 
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गर्लफ्रेंड – दरवाजा खोलो ना बाबू
लड़का – कहाँ हो तुम ?
गर्लफ्रेंड – तुम्हारे घर के बाहर खड़ी हूँ
लड़का अपनी छोटी बहन को दरवाजा खोलने भेजता है
गर्लफ्रेंड – कैसी हो बेटा ?
छोटी बच्ची –आप रोज मेरे भैया से मिलने आती हो , आपका अपना कोई भाई नहीं है क्या

मुफ्त में अपने घर से बेघर करें कॉकरोच को

कॉकरोच घरों में हमेशा हमें परेशान करते हैं। इधर-उधर दौड़ते हैं और कभी-कभी तो खाने की चीजों में भी गिर पड़ते है। कॉकरोच को लेकर ये मसलें तो हैं ही, साथ ही ये डायरिया, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां भी फैलाते हैं। वैसे तो इन्हें भगाने के लिए मार्केंट में कई गोलियां मौजूद हैं लेकिन हम आपको बताएंगे कि बिना पैसा खर्च किए आप कैसे इन्हें घर से भगा सकते हैं-


लौंग तो हर घर में मौजूद होता है, इसका इस्तेमाल आप कॉकरोच भगाने के लिए कर सकते हैं। आपको करना बस इतना है कि जहां भी आपको कॉकरोच नजर आए वहां लौंग रख दीजिए। इसकी गंध से कॉकरोच भाग जाएंगे।


खीरे का इस्तेमाल हम सलाद के रुप में करते ही हैं। लेकिन कॉकरोच भगाने के लिए भी आप इसका उपयोग कर सकते हैं। आपको जहां भी कॉकरोच दिखाई दे, वहां खीरे की स्लाइस रख दें। कॉकरोच दिखाई भी नहीं देंगे।

जहां भी आपको कॉकरोच दिखे, वहां तेजपत्ते को मसलकर रख दें। कॉकरोच दूर तक भी नहीं फटकेंगे।

केरोसिन तेल की गंध से भी कॉकरोच भाग जाते हैं। महीने में एक बार घर के हर कोने में केरोसिन तेल का छिड़काव करें कॉकरोच भाग जाएंगे।

लहसुन के गंध से भी कॉकरोच भागते हैं। कॉकरोच दिखने की जगह पर लहसुन रख दीजिए, उसकी गंध से कॉकरोच भाग जाएंगे।

Source - http://www.amarujala.com/

गुरुवार, 23 जून 2016

सबसे बड़ा दान


कई दिनों के विहार के बाद भगवान् बुद्ध मगध की राजधानी राजगृह से प्रस्थान करने वाले थे। लोगों को जब यह पता चला तो वे उनके लिए भेंट आदि लेकर उनके दर्शनों के लिए आने लगे।


अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए बुद्ध लोगों की भेंट स्वीकार कर रहे थे। सम्राट बिम्बसार ने उन्हें भूमि, खाद्य, वस्त्र, वाहन आदि प्रदान किए। नगर सेठों ने भी धन-धान्य और सुवर्ण आभूषण उनके चरणों में अर्पित कर दिए। सभी के दान को स्वीकार करने के लिए बुद्ध अपना दायां हाथ उठा कर स्वीकृति इंगित कर देते थे।

भीड़ में एक वृद्धा भी थी। वह बुद्ध से बोली – “भगवन, मैं बहुत निर्धन हूँ। मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। आज मुझे पेड़ से एक आम गिरा हुआ मिल गया। मैं उसे खा रही थी तभी मैंने आपके प्रस्थान करने का समाचार सुना। उस समय तक मैं आधा आम खा चुकी थी। मैं भी आपको कुछ अर्पित करना चाहती हूँ लेकिन मेरे पास इस आधे खाए हुए आम के सिवा कुछ भी नहीं है। इसे ही मैं आपको भेंट करना चाहती हूँ। कृपया मेरी भेंट स्वीकार करें।”

वहां उपस्थित अपार जनसमुदाय, राजा-महाराजाओं और सेठों ने देखा कि भगवान बुद्ध अपने आसन से उठकर नीचे आए और उन्होंने दोनों हाथ फैलाकर वृद्धा का आधा आम स्वीकार किया।

सम्राट बिम्बसार ने चकित होकर बुद्ध से पूछा – “भगवन, एक से बढ़कर एक अनुपम और बहुमूल्य उपहार तो आपने केवल हाथ हिलाकर ही स्वीकार कर लिए लेकिन इस बुढ़िया के जूठे आम को लेने के लिए आप आसन से नीचे उतरकर आ गए! इसमें ऐसी कौन सी विशेषता है?”

बुद्ध मुस्कुराकर बोले – “इस वृद्धा ने मुझे अपनी समस्त पूँजी दे दी है। आप लोगों ने मुझे जो कुछ भी दिया है वह तो आपकी संपत्ति का कुछ अंश ही है और उसके बदले में आपने दान करने का अंहकार भी अपने मन में रखा है। इस वृद्धा ने मेरे प्रति अपार प्रेम और श्रद्धा रखते हुए मुझे सर्वस्व अर्पित कर दिया है फ़िर भी उसके मुख पर कितनी नम्रता और करुणा है।”

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पुदीना के लाभ | Benefits of Pudina

पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहा गया है, स्वाद, सौन्दर्य और सुगंध का ऐसा संगम बहुत कम पौधों में दखने को मिलता है पुदीने की पत्त‍ियों को मुख्य रूप से चटनी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है पुदीना बहुत ही स्वादिष्ट और रिफ्रेशिंग होता है। यह विटामिन ए से भरपूर होने के साथ-साथ बहुत ही गुणकारी भी है। यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पुदीने में कई औषधीय गुण होते हैं। सिरदर्द हो रहा हो या पेट में कोई तकलीफ पुदीना बेस्ट है। हिचकी आना भी बंद हो जाती हैं।जिसमें विटामिन ए, सी, मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन, मैग्रीनिशयम, कॉपर और पौटेशियम पाया जाता है इसलिए यह हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।

  • २ चम्मच पुदीने का रस, 1 चम्मच नींबू का रस और २ चम्मच शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट के रोग दूर होते हैं। 
  • हरे पोदीने को पीसकर कम से कम २0 मिनट तक चेहरे पर लगाने से चेहरे की गर्मी समाप्त हो जाती है।
  • अगर आपके मुंह से बदबू आती है तो पुदीने की कुद पत्त‍ियों को चबा लें. निय‍म से इसके पानी से कुल्ल करने पर भी बदबू चली जाएगी.
  • बुखार से पीडि़त को यदि बार-बार प्यास लग रही हो तो, पुदीने का रस तात्कालिक रूप से रोगी को पिलाएं। इससे प्यास तो बुझेगी ही, साथ ही शारीरिक गरमी से भी मुक्ति मिलेगी|
  • पुदीने का रस काली मिर्च व काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खांसी व बुखार में राहत मिलती है।
  • अनियमित मासिक की शिकार महिला के शारीरिक चक्र में प्रभावकारी ढंग से संतुलन कायम करता है।
  • पुदीने का रस किसी घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। यह चर्म रोगों को भी समाप्त करता है। चर्म रोग होने पर पुदीना के पत्तों का लेप लगाने से आराम मिलता है।
  • गठिया के रोगी को पोदीने का काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में आराम मिलता है।
  • बेहोश व्यक्ति को पुदीना की खुशबू सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
  • ४ चम्मच पोदीने के रस में 1 नींबू का रस और २ चम्मच शहद मिलाकर पीने से गैस के रोग में आराम आता है।
  • उल्टी होने पर आधा कप पुदीना का रस पीने से उल्टी आना बंद हो जाएगी.
  • तलवे में गर्मी के कारण आग पड़ने पर पुदीने का रस लगाना लाभकारी होता है।
  • पोदीने का रस रोगी को पिलाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
  • पोदीना, कालीमिर्च के पांच दाने और नमक इच्छानुसार डालकर चाय की भांति उबालकर रोजाना तीन बार पीने से जुकाम, खांसी और मामूली ज्वर में लाभ मिलता है।
  • पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर उसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से बुखार दूर होकर बुखार के कारण आई निर्बलता भी दूर होती है।
  • पोदीने के पत्तों को चूसने और पत्तों को नारियल (खोपरे) के साथ चबाकर खाने से हिचकी दूर होती है।
NOTE-:हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है

बुधवार, 22 जून 2016

Khira Koshimbirl | खीरा कोशिंबीर



सामग्री

खीरे ४-५
पीसी हुई मूँगफली २ बड़े चम्मच
आधे नीबू का रस
नमक स्वादानुसार
थोडी सी चीनी
१ बड़ा चम्मच तेल
आधा चम्मच जीरा
आधा चम्मच राई
१ छोटी हरी मिर्च
एक चुटकी हल्दी
कटा हरा धनिया सजावट के लिए (वैकल्पिक)

Mango Fry Rice | कच्चे आम के चावल | Mango Pulao Recipe


विधि-

खीरे का छिलका निकालकर एकदम बारीक काट लें।
यदि लगता है की खीरे में पानी ज़्यादा है तो उसे निचोड लें।
पिसी हुई मूँगफली, नमक और चीनी मिलाएँ।
छोटे बर्तन में राई जीरे का छौंक लगाकर और उसमें हरी मिर्च डालें।
छौंक खीरे के मिश्रण पर डाल दें। अच्छी तरह मिलाएँ ठंडा होने दे। इसे ठंडा ही खाते हैं।
(हर प्रकार के भोजन के साथ यह स्वादिष्ट सलाद है। प्याज़-टमाटर, गाजर-टमाटर की भी ऐसी कोशिंबीर बन सकती है।)

मंगलवार, 21 जून 2016

Inspirational Stories दोस्ती की पहचान



एक जंगल था  गाय, घोडा, गधा और बकरी वहा चरने जाते थे| उन चारो में अच्छी दोस्ती हो गई थी| वे चरते – चरते बहुत बातें किया करते थे  पेड़ के नीचे एक खरगोश का घर था| एक दिन उसने उन चारो की दोस्ती देखी|

खरगोश पास जा कर कहने लगा – “तुम लोग मुझे भी मित्र बना लो|” उन्होंने कहा अच्छा| तब खरगोश बहुत प्रसन्न हुआ| खरगोश हर रोज उनके पास आकर बैठ जाता| उनकी बातें सुन और कहानियाँ सुनकर वह भी मन बहलाया करता था| एक दिन खरगोश उनके पास बैठा कहानियाँ सुन रहा था| अचानक शिकारी कुत्तों की आवाज सुनाई दी| खरगोश ने गाय से कहा – तुम मुझे अपनी पीठ पर बैठा लो| जब शिकारी कुत्ते आए तो उन्हें सीगों से मार कर भगा देना|

गाय ने कहा – “मेरा तो अब घर जाने का समय हो गया है| तब खरगोश घोड़े के पास गया| कहने लगा – बड़े भाई| तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो और शिकारी कुत्तो से बचाओ| तुम तो एक दुलती मारोगे तो कुत्ते भाग जायेंगे| घोड़े ने कहा – “मुझे बैठना नहीं आता| मैं तो खड़े खड़े सोता हू| मेरी पीठ पर कैसे चढोगे| मेरे पाँव भी दर्द कर रहे है| इन पर नई नाल चढी है| मैं दुलती कैसे मारूँगा? तुम कोई और उपाय करो|

तब खरगोश ने गधे के पास जाकर कहा – “मित्र गधे| तुम मुझे शिकारी कुत्तो से बचा लो| मुझे पीठ पर बिठा लो| जब कुत्ते आए तो उन्हें झाडकर उन्हें भगा देना|“ गधे ने कहा – मैं घर जा रहा हूँ| समय हो गया है, अगर में समय पर घर न लौटा तो कुम्हार डंडे से मार – मार कर मेरा कचुम्बर निकाल देगा| तब खरगोश बकरी की तरफ चला|

बकरी ने कहा “छोटे भाई इधर मत आना, मुझे शिकारी कुत्तो से बहुत डर लगता है| कहीं तुम्हारे साथ मैं भी न मारी जाऊ| इतने में कुत्ते पास आ गए| खरगोश सिर पर पैर पाँव रखकर भागा| कुत्ते इतनी तेज दोड न सके| खरगोश झाड़ी में जा कर छिप गया| वह मन में कहने लगा – हंमेशा अपने पर ही भरोसा करना चाहियें|

रविवार, 19 जून 2016

वट सावित्री व्रत | Vat Savitri Vrat | Vat Savitri Fast | Vat Savitri Vrat Katha

हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत को करवा चौथ के समान ही माना जाता है वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक माना गया है. स्कंद पुराण, भविष्योत्तर पुराण तथा निर्णयामृत आदि में इस व्रत के विषय में विस्तार पूर्वक बताया गया है इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सति सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवति महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है। 


वट सावित्री व्रत कथा


सावित्री भारतीय संस्कृति में महान ऐतिहासिक चरित्र हुई हैं. सावित्री का जन्म भी विशिष्ट परिस्थितियों में हुआ था. कहते हैं कि भद्र देश के राजा अश्वपति के कोई संतान न थी. उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए अनेक वर्षों तक तप किया जिससे प्रसन्न हो देवी सावित्री ने प्रकट होकर उन्हें पुत्री का वरदान दिया जिसके फलस्वरूप राजा को पुत्री प्राप्त हुई और उस कन्या का नाम सावित्री ही रखा गया

सावित्री सभी गुणों से संपन्न कन्या थी जिसके लिए योग्य वर न मिलने के कारण सावित्री के पिता दुःखी रहने लगे एक बार उन्होंने पुत्री को स्वयं वर तलाशने भेजा इस खोज में सावित्री एक वन में जा पहुंची जहां उसकी भेंट साल्व देश के राजा द्युमत्सेन से होती है. द्युमत्सेन उसी तपोवन में रहते थे क्योंकि उनका राज्य किसी ने छीन लिया था. सावित्री ने उनके पुत्र सत्यवान को देखकर उन्हें पति के रूप में वरण किया.

इधर यह बात जब ऋषिराज नारद को ज्ञात हुई तो वे अश्वपति से जाकर कहने लगे- आपकी कन्या ने वर खोजने में भारी भूल कि है. सत्यवान गुणवान तथा धर्मात्मा है परन्तु वह अल्पायु है और एक वर्ष के बाद ही उसकी मृत्यु हो जाएगी. नारद जी के वचन सुन राजा अश्वपति का चेहरा विवर्ण हो गया. "वृथा न होहिं देव ऋषि बानी" ऎसा विचार करके उन्होने अपनी पुत्री को समझाया की ऎसे अल्पायु व्यक्ति के साथ विवाह करना उचित नहीं है. इसलिये अन्य कोई वर चुन लो.

इस पर सावित्री अपने पिता से कहती है कि पिताजी- आर्य कन्याएं अपने पति का एक बार ही वरण करती है, तथा कन्यादान भी एक ही बार किया जाता है. अब चाहे जो हो, मैं सत्यवान को ही वर रुप में स्वीकार कर चुकी हूँ. इस बात को सुन दोनों का विधि विधान के साथ पाणिग्रहण संस्कार किया गया और सावित्री अपने ससुराल पहुंचते ही सास-ससुर की सेवा में रत हो गई. समय बदला, नारद का वचन सावित्री को दिन -प्रतिदिन अधीर करने लगा. उसने जब जाना कि पति की मृत्यु का दिन नजदीक आ गया है तब तीन दिन पूर्व से ही उपवास शुरु कर दिया. नारद द्वारा कथित निश्चित तिथि पर पितरों का पूजन किया. नित्य की भांति उस दिन भी सत्यवान अपने समय पर लकडी काटने के लिये चला गया तो सावित्री भी सास-ससुर की आज्ञा से अपने पति के साथ जंगल में चलने के लिए तैयार हो गई़.

सत्यवान वन में पहुंचकर लकडी काटने के लिये वृ्क्ष पर चढ गया. वृ्क्ष पर चढते ही सत्यवान के सिर में असहनीय पीडा होने लगी. वह व्याकुल हो गया और वृक्ष से नीचे उतर गया. सावित्री अपना भविष्य समझ गई तथा अपनी गोद का सिरहाना बनाकर अपने पति को लिटा लिया. उसी समय दक्षिण दिशा से अत्यन्त प्रभावशाली महिषारुढ यमराज को आते देखा. धर्मराज सत्यवान के जीवन को जब लेकर चल दिए तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पडी. पहले तो यमराज ने उसे देवी-विधान समझाया परन्तु उसकी निष्ठा और पतिपरायणता देख कर उसे वर मांगने के लिये कहा.

सावित्री बोली - मेरे सास-ससुर वनवासी तथा अंधे है उन्हें आप दिव्य ज्योति प्रदान करें. यमराज ने कहा ऎसा ही होगा और अब तुम लौट जाओ. यमराज की बात सुनकर उसने कहा - भगवान मुझे अपने पतिदेव के पीछे पीछे चलने में कोई परेशानी नहीं है. पति के पीछे चलना मेरा कर्तव्य है. यह सुनकर उन्होने फिर से उसे एक और वर मांगने के लिये कहा. सावित्री बोली-हमारे ससुर का राज्य छिन गया है, उसे वे पुन: प्राप्त कर सकें, साथ ही धर्मपरायण बने रहें. यमराज ने यह वर देकर कहा की अच्छा अब तुम लौट जाओ परंतु वह न मानी.

यमराज ने कहा कि पति के प्राणों के अलावा जो भी मांगना है मांग लो और लौट जाओ इस बार सावित्री ने अपने को सत्यवान के सौ पुत्रों की माँ बनने का वरदान मांगा यमराज ने तथास्तु कहा और आगे चल दिये सावित्री फ़िर भी उनके पीछे पीछे चलती रही उसके इस कृत से यमराज नाराज हो जाते हैं. यमराज को क्रोधित होते देख सावित्री उन्हें नमन करते हुए उन्हें कहती है कि आपने मुझे सौ पुत्रों की माँ बनने का आशीर्वाद तो दे दिया लेकिन बिना पति के मैं मां किस प्रकार से बन सकती हूँ इसलिये आप अपने तीसरे वरदान को पूरा करने के लिये अपना कहा पूरा करें.

सावित्री की पतिव्रत धर्म की बात जानकर यमराज ने सत्यवान के प्राण को अपने पाश से मुक्त कर दिया सावित्री सत्यवान के प्राणों लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची और सत्यवान जीवित होकर उठ बैठे दोनों हर्षित होकर अपनी राजधानी की ओर चल पडे. वहां पहुंच कर उन्होने देखा की उनके माता-पिता को दिव्य ज्योति प्राप्त हो गई है. इस प्रकार सावित्री-सत्यवान चिरकाल तक राज्य सुख भोगते रहें. वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से उपवासक के वैवाहिक जीवन या जीवन साथी की आयु पर किसी प्रकार का कोई संकट आया भी हो तो टल जाता है.

शनिवार, 18 जून 2016

संदीप माहेश्वरी के प्रेरणादायक शब्द | Inspirational Quotes of Sandeep Maheshwari

 

  • आपको खुद की नजर से उठाना है, जो इन्सान खुद की नजर से उठ गया वो दुनिया की नजर से अपने आप उठ जायेगा.


  • अगर आप उस इंसान की तलाश कर रहे हैं जो आपकी ज़िन्दगी बदलेगा, तो आईने में देख लें।


  • पहले आपको अपने वादे पुरे करने है, जब आप अपने खुद के वादे पुरे नहीं कर पा रहे हो तो दुसरो को दिए हुए वादे क्या पुरे करोगे?


  • किसी भी काम में अगर आप अपना 100% देंगे तो आप सफल हो जाएंगे .


  • हमेशा याद रखो, आप अपनी समस्या से कई गुना बड़े हो.


  • या तो अपने दिमाग को नियन्त्रण करो, नहीं तो यह तुम्हे नियंत्रित करेगा.


  • एक ‘इच्छा’ कुछ नहीं बदलती, एक ‘निर्णय’ कुछ बदलता है, लेकिन एक ‘निश्चय’ सब कुछ बदल देता है .

 

  • तू यही सोच रहा है न की तेरे घर वाले क्या सोचेंगे, तेरे रिस्तेदार क्या सोचेंगे? बढ़िया है सोचता रह!


  • अगर आपने अपनी आदते बदली, तो आपकी जिंदगी भी बदलेगी, नहीं तो आपकी जिंदगी में वही होगा जो हमेशा से होता आया है.


  • कामयाबी अनुभव से आती है, और अनुभव गलियों से यानी ख़राब अनुभव.


  • जिस नज़र से आप इस दुनिया को देखेंगे , ये दुनिया आपको वैसी ही दिखेगी .


  • अगर आपके पास ज़रुरत से ज्यादा है तो उसे उनसे शेयर करिये जिन्हे इसकी सबसे ज्यादा ज़रुरत है.


  • आप को पावरफुल बनना है, इसलिए नहीं कि आप किसी को दबा सको, आपको पावरफुल बनना है इसलिए कि कोई आपको दबाद नहीं सके.

शुक्रवार, 17 जून 2016

Why Cow Is A Holy Animal | गाय को पवित्र क्यों माना जाता हे

 गाय को पवित्र क्यों माना जाता हे  

अगर देखा जाये तो , गाय की उतपति समुद्र मंथन से मानी जाती है जिसका नाम कामधेनु गाय था इस गाय को काले, श्वेत, पीले, हरे तथा लाल रंग की सैकड़ों गौएं घेरे हुई थीं दैवीय शक्तियों से संपन्न यह गाय जिसके भी पास होती थी उससे चमत्कारिक लाभ मिलता था।कामधेनु के लिए गुरु वशिष्ठ से विश्वामित्र सहित कई अन्य राजाओं से कई बार युद्ध किया, लेकिन उन्होंने कामधेनु गाय को किसी को नहीं दि। गाय के इस झगड़े में गुरु वशिष्ठ के 100 पुत्र मारे गये। अंत में यह गाय ऋषि परशुराम ने ले ली थी।

इस धरती पर पहले गायों की कुछ ही प्रजातियां होती थीं। उससे भी प्रारंभिक काल में एक ही प्रजाति थी। माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था।भारत में आजकल गाय की प्रमुख 28 नस्लें पाई जाती हैं।
जब हमारी मां हमें स्तनपान नहीं करा पाती थी और दूसरा भोजन हमें नहीं मिलता था तो गाय ही हमारे लिए मां की तरह होती थी।
भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही गोधन को मुख्य धन मानते थे, और सभी प्रकार से गौ रक्षा और गौ सेवा, गौ पालन भी करते थे। शास्त्रों, वेदों, आर्ष ग्रथों में गौरक्षा, गौ महिमा, गौपालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायण, महाभारत, भगवतगीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। गाय का जहाँ धार्मिक आध्यात्मिक महत्व है वहीं कभी प्राचीन काल में भारतवर्ष में गोधन एक परिवार, समाज के महत्वपूर्ण धनों में से एक है।


गाय को पूजने का महत्व

33 कोटि देवता : हिन्दू धर्म अनुसार गाय में 33 कोटि के देवी-देवता निवास करते हैं। कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है। इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं। यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है। हिन्दुओं के हर धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम पूज्य गणेश व उनकी माता पार्वती को गाय के गोबर से बने पूजा स्थल में रखा जाता है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।

गौमूत्र  का महत्व

गाय के मूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है।गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार भी संभव है। गोमू‍त्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लीवर 4 भागों में बंटा होता है। इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है।वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। आम मान्यता है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है।

गाय का दूध :

 गाय का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
 हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा।
 गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है।
 गाय का दूध फैटरहित, परंतु शक्तिशाली होता है। उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ होता है।
 गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुएं से प्रदुषणजनित रोगों से बचा जा सकता है।
 गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेक बीमारियों से दूर रखता है।

गाय का घी :

 ऐसी मान्यता है कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।
 घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है।
 गाय का घी नाक में डालने से बाल झड़ना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते हैं। गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
 देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।

 दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है

गाय के गोबर में 16 प्रकार के उपयोगी खनिज पाये जातें हैं। गोमूत्र में आक, नीम व तुलसी आदि उबालकर, कई गुना पानी में मिलाकर बढ़िया कीट नियंत्रण बनते हैं।

एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन आँक्सीजन बनता है।
देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते है?


गाय के दूध में कैलिशयम 200 प्रतिशत, फास्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटाशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत, खनिज पाए जाते है।

स्त्रॉत् - विभिन साइट्स 

मंगलवार, 14 जून 2016

Mango Fry Rice | कच्चे आम के चावल | Mango Pulao Recipe

कच्चे आम के चावल

वैसे तो चावल की बहुत रेसिपी होती है पर आज हम आपको कच्चे आम के चावल बनना बता रहे है क्योंकि आम सिर्फ गर्मियों के मौसम में ही मिलता है इसलिए हम इसे मौसमी व्यंजन भी कह सकते हैं कच्चे आम के चावल एक खट्टा मीठा व्यंजन है हमारी चावल से बनी रेसिपिस बहुत ही पोपुलर हे जो बनानेमे बहुत ही आसन और खानेमे लाजवाब हे.


सामग्री

चावल – 1 कटोरा (Rice)(कोशिश करें की चावल एक दिन पहले के बने हो
कच्ची आमी – 2 इन्हे छील कर पानी डाल कर पीस लीजिए
3 से 4 करी पत्ते
चीनी – 1 छोटी चम्मच 
मूंगफली – 3 छोटी चम्मच
स्वादानुसार नमक 
हल्दी – चौथाई छोटी चम्मच 
साबुत लाल मिर्च – 1 
लाल मिर्च पाउडर
राइ – चौथाई छोटी चम्मच
हींग – 1 चुटकी
भूनने के लिए  तेल


बनाने की विधि

  • पैन में तेल डाल कर उसे गैस पर रख दें 
  • सबसे पहले मूंगफली तल लें. 
  • मूंगफली तल जाने के बाद उन्हें निकाल लें और इसी तेल में राइ, साबुत लाल मिर्च डाल कर चलाइए। फिर हींग, कड़ी पत्ता और हल्दी डालें और चलाएं.
  • कच्ची आमी का पेस्ट डालें और कुछ देर चलाएं। फिर लाल मिर्च पाउडर और नमक डाल कर मिलाएं.
  • थोड़ा सा ढक कर पका लें जिससे आमी पक जाए.
  • देसी घी डालें। इससे खुशबु बहुत अच्छी आती है.
  • अब कढ़ाई में चावल डाल दीजिये और सब को अच्छे से मिला लीजिए।
  • कच्ची आम के चावल तैयार हैं। थोड़ी से मूंगफली इसमें मिला दें और परोसें.
  • सजाने के लिए बची हुई मूंगफली ऊपर से डालें.

कुएं में पानी भरने रस्सी जितने लंबे हैं इनके बाल

कुएं में पानी भरने रस्सी जितने लंबे हैं इनके बाल


जनाब अगर आपको इस आदमी के कंधे में लटकी हुई चीज रस्सी लग रही है तो आप गलत हैं। ये रस्सी नहीं बल्कि सवजीभाई राठवा के 62 फीट लंबे बाल हैं। चौक गए न! लेकिन ये बिलकुल सच है। सवजी की उम्र 60 साल है लेकिन इस उम्र में भी उनके बालों की वृद्धि कम नहीं हुई है, बल्कि उनके बाल बढ़ते ही जा रहे हैं।
सवजी जब चलते हैं तो ऐसा लगता है मानो वो कोई बड़ी सी काली रस्सी अपने हाथ पर बांधकर चल रहे हो। गुजरात के बड़ोदरा जिले के रहने वाले सवजीभाई पेशे से किसान हैं।

आप जानना चाहेंगे की वो अपने बालों को स्वस्थ बनाने के लिए करते क्या हैं तो हम आपको बता दें कि वो अपने बालों का बहुत ख्याल रखते हैं। वो हर दूसरे दिन तीन घंटों तक अपने बालों को धोते हैं। अपने बालों को खेत में फैलाकर सुखाते हैं। इतना ही नहीं वो अपने खाने पीने का भी बहुत ध्यान रखते हैं। केवल घर का बना हुआ शुद्ध शाकाहारी खाना ही खाते हैं, और मसाले वाले खाने से परहेज करते हैं। जब वो काम के सिलसिले में बाहर रहते थे तब वो केवल फल खाकर जिंदा रहते थे। कितने कितने दिन तो वो केले पर ही निर्भर रहे।

उनके जिले के लोग चाहते हैं कि उनका नाम गिनीज रिकॉर्ड में शामिल हो। इससे पहले लंबे बालों के लिए जिसका नाम गिनीज रिकॉर्ड में शामिल किया गया था वो चीन के जी क्विपिंग थे। जिनकी 2010 में मृत्यु के समय 22 फीट लंबे बाल थे।


http://www.amarujala.com/

सोमवार, 13 जून 2016

Kitchen Clean Tips | किचन क्लीन टिप्स

किचन  क्लीन  टिप्स 




खाना बनाने से पहले स्नान करें और उसके बाद ही रसोई से जुड़े काम करें |

खाना बनाने के तुरंत बाद अगर आप उसे परोस नहीं पाती है तो उसे भली भांति ढककर रखें |

एक ही बर्तन का प्रयोग बार - बार नहीं करना चाहीये |

ट्यूबलाइट या CFL के पास प्याज की एक दो गांठे लटका दें इस से चींटिया दूर ही रहती है |

किचन में काम आने वाले औजार जैसे चाकू आदि को खाना बनाने से पहले भी साफ़ करे और उसके बाद भी उन्हें धोकर ही रखें |
गरम पानी में बर्तन साफ करने वाला पाउडर मिलाकर, चिकने बर्तन भी आसानी से साफ हो जाते है |

किचन मे कीड़े, कॉकरोच हो गए हे तो लॉन्ग जलाकर धुँआ देने से फर्क पड़ेगा |

किचन की नाली में कचरा फ़स गया है तो उबला पानी डालने से फर्क पड़ेगा

क्यो हुऐ हनुमान पँचमुखी

क्यो हुऐ हनुमान पँचमुखी 




लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.

रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई. रावण ने उन्हें बुला भेजा और कहा कि वह अपने छल बल, कौशल से श्री राम व लक्ष्मण का सफाया कर दे.

अहिरावण और महिरावण श्री राम और लक्ष्मण को मारने उनकी कुटिया तक पहुंचे , राम व लक्ष्मण पत्थर की सपाट शिलाओं पर गहरी नींद सो रहे थे. दोनों राक्षसों ने बिना आहट के शिला समेत दोनो भाइयों को उठा लिया और अपने निवास पाताल की और लेकर चल दिए.

बजरंग बली को पता चला कि दोनों राक्षस राम लक्ष्मण को सोते में ही उठाकर कामाक्षी देवी को बलि चढाने पाताल लोक ले गये हैं. हनुमान जी वायु वेग से रसातल की और बढे और तुरंत वहां पहुंचे.

हनुमान जी ने पहले तो मधु मक्खी का वेश धरा और मां कामाक्षी के मंदिर में घुस गये. हनुमान जी ने मां कामाक्षी को नमस्कार कर सफलता की कामना की |

वहा पांच दीपक पांच दिशाओ में मिले जो माँ   कामाक्षी के लिए अहिरावन ने जलाये थे | इन पांचो दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जायेगा इसी कारण वश हनुमान जी पञ्च मुखी रूप धरा | उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिम्ह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन पांच मुखों को धारण कर उन्होंने एक साथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया | और फिर राम और लश्मन को मुक्त करवाया |

बुधवार, 8 जून 2016

Hazaaron Khwaishein Aisi Ki Har Khwaish Pe Dam Nikle | हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले

मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib)





हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले



डरे क्यों मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर
वो खून जो चश्म-ऐ-तर से उम्र भर यूं दम-ब-दम निकले



निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले



भ्रम खुल जाये जालीम तेरे कामत कि दराजी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुरपेच-ओ-खम का पेच-ओ-खम निकले



मगर लिखवाये कोई उसको खत तो हमसे लिखवाये
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर कलम निकले



हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा-आशामी
फिर आया वो जमाना जो जहाँ से जाम-ए-जम निकले



हुई जिनसे तव्वको खस्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी ज्यादा खस्ता-ए-तेग-ए-सितम निकले



मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले



जरा कर जोर सिने पर कि तीर-ऐ-पुरसितम निकले
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले



खुदा के बासते पर्दा ना काबे से उठा जालिम
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफिर सनम निकले



कहाँ मयखाने का दरवाजा 'गालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं, कल वो जाता था के हम निकले


मंगलवार, 7 जून 2016

Benefits of Makhana | मखाना खाने के लाभ

मखाना खाने के लाभ

लोटस याने कमल के बीज को मखाना कहा जाता है मखाना तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगये जाते।मखाना स्‍वास्‍थ्‍य के लिये भी काफी फायदेमंद है। मखाने के बीज किडनी और हृदय के लिये लाभप्रद हैं।मखाने में 9.7% आसानी से पचनेवाला प्रोटीन, 76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति 100g 1.4 mg लौह पदार्थ मौजूद होता है।


  • प्रेगनेंट महिलाओं और प्रेगनेंसी के बाद कमजोरी महसूस करने वाली महिलाओं को मखाना खाना चाहिये।

  • 1से 3 ग्राम मखानों को गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब के रोग दूर हो जाते हैं

  •   कच्चे मखाने को या तो सूखे मखाने को घी में सेक कर के पाउडर करके दूध में मिला के पीने से दुर्बलता मीट जायेगा और स्वस्थ्य में सुधर आएगा

  • रात को सोते समय दूध के साथ  मखाने का सेवन करने से नींद न आने की प्रॉब्लम दूर हो जाती है 

  • मखाना घुटनो और कमर में दर्द होने से रोकता है 
  • मखानों को देसी घी में भूनकर खाने से दस्त जैसे रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।

  • मखाने की खीर बराबर रूप से खाने से वीर्य की कमी दूर हो जाती है।

  • यह प्राकृतिक इलाज है ब्लड प्रेशर के मरीश के लिए . लो या हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो तो मखाना खाये . संतुलन आ जाएगा.
NOTE-:हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है

Mouth Ulcer | मुंह के छाले

मुंह के छाले

मुँह के छाले मुंह में विकसित होनेवाले तकलीफदेह घाव होते हैं। ये घाव छोटे पर अत्यधिक पीड़ादायक होते हैं, और इनके विकसित होने के कई कारण होते हैं। भोजन में तीखे मसाले, घी, तेल, मांस, खटाई आदि अधिक मात्रा में खाने से पेट की पाचनक्रिया खराब , कब्ज होने से या गर्म पदार्थ खाने से गर्मी के कारण मुंह में छाले, घाव व दाने निकल आते हैं।



  • मासालेदार भोजन से बचा जाए क्‍योंकि इससे शरीर में गर्मी पैदा होती है। साथ ही पाचनशक्‍ति भी कमज़ोर हो जाती है।



  • शहद के साथ इल्लैची के powder को मिलकर उसका paste को छाले वाले जगह पर लगाने से छाला कम हो जाता है |



  • दिन में 3 या 4 बार घी या मक्खन को थपथपाकर लगायें।



  • मुलेठी का काढ़ा बनाकर ठंडा कर व छानकर दिन में ३-४ बार गरारा करने से मुंह व जीभ के छाले ठीक हो जाते है।



  • नारियल का पानी मुंह के छालो पर लगाने से दर्द से जल्दी राहत भी मिलता है और छाले भी ठीक हाे जाते हैं।



  • नारियल का पानी मुंह के छालो पर लगाने से दर्द से जल्दी राहत भी मिलता है और छाले भी ठीक हाे जाते हैं।



  • चमेली के पत्ते को पीस कर उसके रस को छाले वाले जगह में लगाने से छाला कम हो जाता



  • शरीर में पानी की कमी न होने पाए इसके लिए खूब सारा पानी पिएं।




  • मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।



  • हल्दी को पानी में डालकर कुछ देर रख दे, इस पानी को छान कर उससे कुल्ले करने से मुंह के छाले नष्ट होते है।



  • हरे धनिया का रस मुंह के छालो पर लगाने और सूखे धनिये को पानी में उबालकर उस पानी को छान कर व ठंडा कर उससे 



  • गरारे करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते है।



  • नीम का टूथ पेस्ट या नीम का मंजन भी छालों के उपचार में सहायता करता है।



  • अमरुद के दो पत्तियों को अपने हाथो से मसल कर के उसके रस को छाले में गर दे |



  • छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों परलगाने चाहिए

NOTE-:हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है