इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी
प्रश्न 1 : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है? इसकी कार्यप्रणाली मतदान करने की पारम्परिक प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पांच-मीटर केबल द्वारा
जुड़ी दो यूनिटों-एक कंट्रोल यूनिट एवं एक बैलेटिंग यूनिट-से बनी होती है।
कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास होती है तथा
बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है। बैलेट पेपर जारी
करने के बजाए, कंट्रोल यूनिट का प्रभारी मतदान अधिकारी बैलेट बटन को
दबाएगा। यह मतदाता को बैलेटिंग यूनिट पर अपनी पसंद के अभ्यर्थी एवं प्रतीक
के सामने नीले बटन को दबाकर अपना मत डालने के लिए सक्षम बनाएगा।
प्रश्न 2 : निर्वाचनों में ईवीएम का पहली बार चलन कब शुरू किया गया?
उत्तर : वर्ष 1989-90 में विनिर्मित
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोगात्मक आधार पर पहली बार नवम्बर, 1998
में आयोजित 16 विधान सभाओं के साधारण निर्वाचनों में इस्तेमाल किया गया। इन
16 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्रों में से मध्य प्रदेश में 5, राजस्थान में
5, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में 6 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र
थे।
प्रश्न 3 : उन क्षेत्रों में जहां बिजली नहीं है, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है?
उत्तर : ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड,
बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड; हैदराबाद द्वारा
विनिर्मित 6 वोल्ट की एल्कलाइन साधारण बैटरी पर चलती है। अत:, ईवीएम का
ऐसे क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं
हैं।
प्रश्न 4 : अधिकतम कितने मतों को ईवीएम में डाला जा सकता है?
उत्तर : ईवीएम में अधिकतम 3840 मत दर्ज किए
जा सकते हैं। जैसाकि सामान्यब तौर पर होता है, एक मतदान केन्द्र में
निर्वाचकों की कुल संख्याह 15,00 से अधिक नहीं होगी फिर भी, ईवीएम की
क्षमता पर्याप्त् से अधिक है।
प्रश्न 5 : अधिकतम कितने अभ्यैर्थियों के लिए इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीनें काम कर सकती हैं?
उत्तर : ईवीएम अधिकतम 64 अभ्यर्थियों के
लिए काम कर सकती है। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 अभ्यमर्थियों के लिए
प्रावधान है। यदि अभ्यर्थियों की कुल संख्याे 16 से अधिक हो जाती है तो
पहली बैलेटिंग यूनिट के साथ-साथ एक दूसरी बैलटिंग यूनिट जोड़ी जा सकती है।
इसी प्रकार, यदि अभ्येर्थियों की कुल संख्या 32 से अधिक हो तो एक तीसरी
बैलेटिंग यूनिट जोड़ी जा सकती है और यदि अभ्यथर्थियों की कुल संख्या 48 से
अधिक हो तो एक चौथी यूनिट अधिकतम 64 अभ्ययर्थियों के लिए काम करने हेतु
जोड़ी जा सकती है।
प्रश्न 6 : यदि किसी निर्वाचन-क्षेत्र में निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यतर्थियों की संख्या् 64 से अधिक हो जाए तो क्यां होगा?
उत्तर : यदि किसी निर्वाचन-क्षेत्र में
निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 64 से अधिक हो जाए तो ऐसे
निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसे निर्वाचन
क्षेत्र में मत पेटी एवं मत पत्र के माध्येम से किए जाने वाले मतदान की
पारम्पररिक प्रणाली को अपनाना पड़ेगा।
प्रश्न 7 : यदि किसी खास मतदान केन्द्र में ईवीएम खराब हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर : एक अधिकारी को मतदान के दिन लगभग 10
मतदान केन्द्रोंु को कवर करने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाता है। वे अपने
पास अतिरिक्त ईवीएम रखे रहेंगे और खराब ईवीएम को नई ईवीएम से बदला जा सकता
है। ईवीएम के खराब होने के चरण तक दर्ज मत कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में
सुरक्षित रहेंगे और ईवीएम के खराब होने के बाद से मतदान प्रक्रिया जारी
रखना पर्याप्ते होगा। प्रारम्भी से, मतदान शुरू करना आवश्यरक नहीं है।
प्रश्न 8 : ईवीएम को किसने बनाया है?
उत्तर :इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीनें ढेरों
बैठकें करने, प्रोटोटाइपों की परीक्षण-जांच करने एवं व्याजपक फील्डह
ट्रायलों के बाद दो लोक उपक्रमों अर्थात भारत इलेक्ट्रॉ निक्स लिमिटेड,
बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉ निक कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया, हैदराबाद के सहयोग से
निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार एवं डिजाइन की गई है। अब, इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग
मशीनें उपर्युक्तच दो उपक्रमों द्वारा विनिर्मित की जाती हैं।
प्रश्न 9 : मशीन की लागत क्याव है? क्या ईवीएम का प्रयोग करना अत्यीधिक खर्चीला नहीं है?
उत्तर : वर्ष 1989-90 में जब मशीनें खरीदी
गई थीं उस समय प्रति ईवीएम (एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट एवं एक
बैटरी) की लागत 5500/- थी। यद्यपि, प्रारंभिक निवेश किंचित अधिक है, लाखों
मत पत्रों के मुद्रण, उनके परिवहन, भंडारण आदि, और मतगणना स्टाकफ एवं
उन्हें् भुगतान किए जाने वाले पारिश्रमिक में काफी कमी हो जाने की दृष्टि
से हुई बचत के द्वारा अपेक्षा से कहीं अधिक निष्प्र भावी हो जाता है।
प्रश्न 10 : हमारे देश की जनसंख्याा के एक काफी बड़े
हिस्सेग के निरक्षर होने के परिणामस्व रूप क्या् इससे निरक्षर मतदाताओं के
लिए समस्यान नहीं उत्पेन्न होगी?
उत्तर : दरअसल, ईवीएम के द्वारा मतदान किया
जाना पारम्पसरिक प्रणाली की तुलना में कहीं अधिक सरल है जिसमें एक व्यक्ति
को अपनी-अपनी पसंद के अभ्यपर्थी के प्रतीक पर या उसके समीप मतदान का निशान
लगाना पड़ता है, पहले उसे उर्ध्वादधर रूप में और फिर क्षैतिज रूप में
मोड़ना पड़ता है और उसके बाद उसे मत पेटी में डालना पड़ता है। ईवीएम में,
मतदाता को केवल अपनी पसंद के अभ्यकर्थी एवं प्रतीक के सामने नीला बटल दबाना
होता है और मत दर्ज हो जाता है। ग्रामीण एवं निरक्षर लोगों को अपना मत
दर्ज करने में कोई कठिनाई नहीं होती है और उन्होंने तो बल्कि ईवीएम के
उपयोग का स्वा गत किया है।
प्रश्न 11 : क्या ईवीएम के उपयोग से बूथ-कैप्च रिंग को रोका जा सकता है?
उत्तर : बूथ कैप्चरिंग से तात्पर्य यदि यह
है कि मत पेटियों या मत पत्रों को ले जाना या उन्हें क्षतिग्रस्त करना तो
ईवीएम के उपयोग द्वारा उस बुराई को नहीं रोका जा सकता है क्यों्कि ईवीएम भी
उपद्रवियों द्वारा बलपूर्वक भी ले जाए जा सकते हैं या क्षतिग्रस्तं किए जा
सकते हैं। परन्तु यदि बूथ कैप्चलरिंग को उपद्रवियों द्वारा मतदान कर्मियों
को धमकाने तथा मतदान पत्रों में प्रतीक पर मुहर लगाने तथा चंद मिनटों में
भाग निकलने के मामले के रूप में देखा जाता है तो इसे ईवीएम के उपयोग द्वारा
रोका जा सकता है। ईवीएम की प्रोग्रामिंग इस प्रकार की गई है कि मशीनें एक
मिनट में केवल पांच मतों को ही दर्ज करेगी। चूंकि मतों का दर्ज किया जाना
अनिवार्य रूप से कंट्रोल यूनिट तथा बैलेटिंग यूनिट के माध्य म से ही किया
जाना, इसलिए उपद्रवियों की संख्या चाहे कितनी भी हो, वे केवल 5 मत प्रति
मिनट की दर से ही मत दर्ज कर सकते हैं। मत पत्रों के मामले में, उपद्रवी एक
मतदान केन्द्र के लिए निर्दिष्ट सभी 1000 विषम मत पत्रों को आपस में बांट
सकते हैं, उन पर मुहर लगा सकते हैं, उन्हें् मत पेटियों में ठूंस सकते हैं
तथा पुलिस बलों के अधिक संख्या में पहुंचने से पहले भाग सकते हैं। प्रत्ये
क आधे घंटे में उपद्रवी अधिकतम 150 मतों को ही दर्ज कर सकते हैं और तब तक
इस बात की संभावनाएं हैं कि पुलिस बल पहुंच जाए। इसके अतिरिक्त, पीठासीन
अधिकारी या मतदान अधिकारी द्वारा मतदान केन्द्रव के भीतर जैसे ही कुछ बाहरी
व्य क्तियों को देखा जाए तो उनके पास “बंद” बटन दबाने का विकल्पे हमेशा
रहेगा। एक बार ‘बंद’ बटन दबा देने के पश्चा त कोई भी मत दर्ज करना संभव
नहीं होगा और इससे बूथ पर कब्जा करने वालों का प्रयास निष्फल हो जाएगा।
प्रश्न 12 : ईवीएम के उपयोग के क्या-क्या फायदे हैं?
उत्तर : सबसे महत्वमपूर्ण फायदा यह है कि
लाखों-करोड़ों की संख्याउ में मत पत्रों की छपाई से बचा जा सकता है क्यों
कि प्रत्येैक अलग-अलग निर्वाचक के लिए एक मत पत्र के बजाय प्रत्येाक मतदान
केन्द्र पर बैलेटिंग यूनिट पर केवल एक मत पत्र लगाया जाना अपेक्षित है।
इसके परिणामस्व्रूप कागज, मुद्रण, पारवहन, भंडारण एवं वितरण की लागत के रूप
में भारी बचत होती है। दूसरे, मतगणना बहुत तेजी से होती है और पारम्परिक
प्रणाली के अंतर्गत औसतन, 30-40 घंटों की तुलना में 2 से 3 घंटों के भीतर
परिणाम घोषित किए जा सकते हैं। तीसरे, ईवीएम मतदान प्रणाली के अंतर्गत कोई
अमान्यण मत नहीं होता है। इसकी महत्ताप तब बेहतर तरीके से समझी जाएगी, जब
यह याद किया जाए कि प्रत्येाक साधारण निर्वाचन में कई निर्वाचन क्षेत्रों
में अमान्यत मतों की संख्याि विजयी अभ्यार्थी एवं द्वितीय स्था्न-प्राप्तब
अभ्योर्थी के बीच जीत के अंतर से अधिक होती है। इस सीमा की दृष्टि से
निर्वाचकों की पसंद उस परिस्थिति में अधिक उचित तरीके से परिलक्षित होती है
जब ईवीएम का इस्तेपमाल किया जाता है।
प्रश्न 13 : क्याि ईवीएम का उपयोग मतदान की गति धीमी कर देता है?
उत्तर : नहीं
दरअसल, ईवीएम उपयोग से मतदान की गति और तेज हो जाती है
क्योंीकि मतदाता के लिए यह आवश्येक नहीं होता है कि पहले वह मतपत्र को
खोलें, अपनी पसंद चिह्नित करें, फिर उसे मोड़ें और वहां जाएं जहां मत पेटी
रखी गई है और उसे पेटी में डालें। ईवीएम प्रणाली के अंतर्गत उसे केवल अपनी
पसंद के अभ्यपर्थी एवं प्रतीक के समीप बटन को दबाना होता है।
प्रश्न 14 : कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में परिणाम कितने समय तक रहता है?
उत्तर : कंट्रोल यूनिट, की मेमोरी में, परिणाम, 10 वर्ष और उससे भी अधिक समय तक रहता है।
प्रश्न 15. क्याण बटन को बार-बार दबाकर एक से अधिक बार मतदान करना सम्भलव है?
उत्तर : नहीं
जैसे ही बैलेटिंग यूनिट पर एक विशेष बटन को दबाया जाता है,
उस विशेष अभ्योर्थी के लिए मत दर्ज हो जाता है और मशीन लॉक हो जाती है। उस
परिस्थिति में भी जब (चाहे) कोई व्यदक्ति उस बटन को या किसी अन्यै बटन को
आगे और दबाता है, तो और कोई भी मत दर्ज नहीं होगा। इलेक्ट्रो निक वोटिंग
मशीनें इस तरह से ''एक व्य क्ति, एक मत'' का सिद्धांत सुनिश्चित करती हैं।
प्रश्न 16. एक मतदाता इस बात के प्रति कैसे आश्ववस्ति होगा कि इलेक्ट्रॉतनिक वोटिंग मशीन काम कर रही है और उसका मत दर्ज हो गया है?
उत्तर :जैसे ही मतदाता अपनी पसंद के
अभ्यहर्थी और प्रतीक के सामने लगे ''नीले बटन'' को दबाता है, प्रतीक के
बायीं ओर लगे एक छोटे-से लैम्प में लाल बत्तीा जल उठती है और साथ ही साथ,
एक लम्बीे बीप ध्वछनि सुनाई देती है। इस प्रकार, मतदाता को आश्व स्त करने
के लिए ऑडियो और वीडियो दोनों में संकेत मैजूद होते है कि उसका मत दर्ज हो
गया है।
प्रश्न 17. क्याी यह सही है कि कभी-कभी लघु परिपथिकी या
अन्य कारण से 'नीला बटन' दबाते समय मतदाओं को बिजली का झटका लगने की
संभावना होती है?
उत्तर : नहीं
इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीन 6-वोल्ट की बैटरी पर कार्य करती
है और 'नीला बटन' दबाते समय या बैलेटिंग यूनिट को हैंडल करते हुए किसी भी
समय मतदाता को बिजली का झटका लगने की बिल्कु ल भी संभावना नहीं है।
प्रश्न 18. क्या मतदान केन्द्रों तक इलेक्ट्रॉ।निक वोटिंग मशीनों को पहुंचाना मुश्किल नहीं होगा?
उत्तर : नहीं।
इसके बजाय मतदान पेटियों की तुलना में इलेक्ट्रोननिक वोटिंग
मशीनों का परिवहन अपेक्षाकृत अधिक आसान होगा, क्योंीकि इलेक्ट्रॉननिक
वोटिंग मशीनें हल्की, वहनीय होती हैं और ढोए जाने के लिए पॉलीप्रोपीलीन
खोलों में आती है।
प्रश्न 19. देश के बहुत से क्षेत्रों में, विद्युत कनेक्शनन
नहीं होते हैं और जिन स्थाशनों में विद्युत का कनेक्शनन है भी, वहां ऊर्जा
आपूर्ति अनियमित है। ऐसी परिस्थिति में, क्याश बिना वातानुकूलन के मशीनों
को संग्रहीत करने में समस्याऊ उत्पअन्नस नहीं होगी?
उत्तर : कमरे/हॉल जहां इलेक्ट्रॉ्निक वोटिंग
मशीन स्टोेर की जाती है, को वातानुकूलित करने की कोई आवश्यीकता नहीं है।
जरूरी बात केवल यह है कि कमरे/हॉल को धूल, नमी और कृतकों (चूहा, गिलहरी
आदि) से मुक्त रखा जाए जैसाकि मतपेटियों के मामले में किया जाता है।
प्रश्न 20. परंपरागत प्रणाली में, किसी भी खास समय-बिंदु पर
डाले गए मतों की कुल संख्याव को जानना संभव होगा। इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग
मशीनों में, 'परिणाम' वाला भाग सील बंद कर दिया जाता है और केवल मतगणना के
समय ही खोला जाएगा। मतदान के दिन डाले गए मतों की कुछ संख्या किस प्रकार
जानी जा सकती है?
उत्तर :इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीनों पर
'परिणाम' बटन के अलावा एक 'टोटल' बटन भी होता है। इस बटन को दबाने पर बटन
को दबाए जाने के समय तक डाले गए मतों की कुल संख्याे अभ्यार्थी-वार गणना को
दर्शाए बिना, प्रदर्शित हो जाएगी।
Source- eci.nic.in