गुरुवार, 15 नवंबर 2018

फ्लिपकार्ट की कहानी - जय-वीरू

फ्लिपकार्ट के जय-वीरू


भारतीय स्टार्टअप की दुनिया में जय-वीरू कहलाने वाले बिन्नी बंसल और सचिन बंसल कुछ ही सालों में कॉलेजमेट से सहकर्मी और फिर बिजनेस पार्टनर बन गए। बिन्नी बंसल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता एक बैंक के चीफ मैनेजर रहे हैं और मां भी किसी सरकारी नौकरी में हैं। उन्होंने आईआईटी, दिल्ली से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है।

कॉलेज से निकले किसी भी नौजवान की तरह वो एक अदद नौकरी चाहते थे जो पढ़ाई को 'सफल' बना सके। उन्होंने गूगल में भी नौकरी की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। गूगल से उन्हें दो बार खाली हाथ लौटना पड़ा।

फिर भी उनकी कोशिशें काम आईं और एक बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी अमेजन में उन्हें नौकरी मिल गई। अमेजन में ही वह अपने पुराने दोस्त सचिन बंसल से मिले। यहां ध्यान रखना जरूरी है कि बिन्नी और सचिन दोस्त हैं, भाई नहीं। सचिन बंसल भी आईआईटी, दिल्ली में कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट रहे हैं और उन्होंने बिन्नी से एक बैच पहले एडमिशन लिया था।

अमेजन में साथ काम करते हुए दोनों को खुद के स्टार्टअप का खयाल आया। दोनों में से किसी को कारोबार का अनुभव नहीं था लेकिन उनके पास एक आइडिया जरूर था। दोनों ने कुछ हिम्मत दिखाई और नौकरी छोड़ दी।

पहले सचिन बंसल और फिर कुछ समय बाद बिन्नी बंसल अमेजन से अलग हो गए। बिन्नी ने सिर्फ नौ महीने ही अमेजन में नौकरी की। दोनों को ऑनलाइन रिटेल का अनुभव था लेकिन भारत में ये आइडिया पूरी तरह पांव नहीं पसार सका था। ऑनलाइन रिटेलिंग अपने शुरुआती दौर में थी और इस क्षेत्र में दूसरी कंपनियां भी काम कर रही थीं।

खुद ही बने मालिक और कर्मचारी

बिन्नी और सचिन बंसल ने साल 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत की और पहले सिर्फ किताबें बेचने का फैसला किया। दोनों ने 4 लाख रुपये पूंजी के साथ कंपनी शुरू की। शुरुआती काम था किताबों की होम डिलिवरी। वो मालिक भी खुद थे और कर्मचारी भी।

बिन्नी और सचिन बंसल खुद किताबें खरीदते और वेबसाइट पर आए ऑडर्स पर अपने स्कूटर से डिलीवरी करते। कंपनी के पास प्रचार के भी खास साधन नहीं थे इसलिए दोनों बुक स्टोर्स के पास जाकर अपनी कंपनी के पर्चे भी दिया करते थे।

धीरे-धीरे कंपनी ने कदम बढाने शुरू किए। इसके बाद दोनों ने साल 2008 में बैंगलुरू में एक फ्लैट और दो कंप्यूटर सिस्टम के साथ अपना ऑफिस खोला। अब उन्हें हर दिन करीब 100 ऑर्डर मिलने लगे।

इसके बाद फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरू में सोशल बुक डिस्कवरी सर्विस 'वीरीड' और 'लुलु डॉटकॉम' को खरीद लिया। साल 2011 में फ्लिपकार्ट ने कई और कंपनियां खरीदीं जिनमें बॉलीवुड पोर्टल चकपक की डिजिटल कंटेट लाइब्रेरी भी शामिल थी।

कैश ऑन डिलिवरी ने किया कमाल

ऑनलाइन सामान लेते वक्त कई लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थीं। सामान की गुणवत्ता से लेकर उसकी डिलिवरी की टाइमिंग तक। ये सब सोचते हुए लोग ऑनलाइन पेमेंट करने की बजाय कैश ऑन डिलिवरी का सुरक्षित विकल्प अपनाते हैं।

लेकिन, फ्लिपकार्ट ने इसी मुश्किल को मौके में बदल लिया। बिन्नी और सचिन बंसल पहली बार भारत में कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प लेकर आए। इससे लोगों को अपना पैसा सुरक्षित महसूस हुआ और कंपनी पर भरोसा भी बढ़ता गया। साल 2008-09 में फ्लिपकार्ट ने 4 करोड़ रुपये की बिक्री कर दी। इसके बाद निवेशक भी इस कंपनी की ओर आकर्षित हुए।

बिन्नी और सचिन बंसल मानते हैं कि ऑनलाइन रिटेल में कस्टमर सर्विस बहुत बड़ा फैक्टर है। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता को दिए गए इंटरव्यू में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने कहा था कि वो कंस्टमर सर्विस टीम के साथ दो-दो दिन बिताते हैं और उनकी सुझावों व शिकायतों पर काम करते हैं।

वहीं, कंपनी ने सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन पर भी काम किया। इसका मतलब ये है कि जब कोई किताब खरीदने के लिए उसका नाम किसी सर्च इंजन में डालता तो सबसे ऊपर फ्लिपकार्ट का नाम आता। इस कारण कंपनी को विज्ञापन भी मिलने लगे।

निवेश हर नई कंपनी के लिए बड़ी जरूरत होती है। शुरुआती दौर फ्लिपकार्ट के लिए भी मुश्किलों भरा रहा। आगे चलकर कंपनी में साल 2009 में ऐसेल इंडिया ने 10 लाख डॉलर का निवेश किया जो साल 2010 में एक करोड़ डॉलर पहुंच गया।

इसके बाद 2011 में फ्लिपकार्ट को एक और बड़ा निवेशक टाइगर ग्लोब मिला जिसने दो करोड़ डॉलर का निवेश किया। ऐसेल इंडिया और टाइगर ग्लोब लगातार फ्लिपकार्ट के साथ जुड़े रहे। वेबसाइट चल निकली तो किताबों के अलावा फर्नीचर, कपड़े, असेसरीज, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट जैसे सामान भी बेचे जाने लगे। ई-कॉमर्स का बाजार बढ़ने के साथ फ्लिपकार्ट को दूसरी कंपनियों से चुनौती मिलने लगी थी। इसी को देखते हुए उन्होंने कुछ ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट को खरीदा।

फ्लिपकार्ट ने 2014 में मिंत्रा और 2015 में जबॉन्ग को खरीद लिया। कंपनी स्नैपडील को भी खरीदना चाहती थी लेकिन बात नहीं बन पाई। लेकिन, मार्च 2018 में ही वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीद ली।

दरअसल, कंपनी को अमेजन के भारत में आने के साथ ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई थी। इस प्रतिस्पर्धा में उन्हें काफी निवेश करना पड़ रहा था। हालांकि, वॉलमार्ट के साथ अमेजन भी फ्लिपकार्ट को खरीदने की रेस में शामिल थी लेकिन वॉलमार्ट आगे रही। मार्च 2018 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 7।5 अरब डॉलर की बिक्री की थी। पिछले साल के मुकबाले उसकी बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

बैक रूम मास्टर माइंड

बिन्नी बंसल को बैक रूम मास्टर माइंड माना जाता है। लंबे समय तक वह मीडिया से भी दूर रहे हैं। अमूमन सचिन बंसल ही मीडिया को डील किया करते थे। बिन्नी कंपनी में पीछे रहकर काम करते रहे और सचिन उसके लीडर के तौर पर सामने रहे। मीडिया में ये भी खबरें थीं कि फ्लिपकार्ट छोड़ने को लेकर सचिन बंसल ज्यादा खुश नहीं थे। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने लिखा है कि कंपनी दो सीईओ को नहीं रखना चाहती थी।

वहीं, सचिन बंसल के जाने पर बिन्नी बंसल ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा था, ''हमने जिस तरह यह सफर शुरू किया वह अद्भुत था। पिछले 10 साल में जिस चीज ने हमें साथ रखा है वो है एक जैसे मूल्य और ये सुनिश्चित करना कि ग्राहकों के साथ सब कुछ सही हो।''

मंगलवार, 13 नवंबर 2018

सूक्तो बंगाल की एक बहुत ही फेमस डिश

 सूक्तो एक बहुत ही टेस्‍टी और पारंपरिक बंगाली डिश है जिसमें एक चुटकी शक्‍कर के साथ ढेर सारी सब्‍जियां और एक कसीली सब्‍ज़ी जैसे की करेला मिलाया जाता है
बंगाली खाना तो जैसे सूक्‍तो के बिना बिल्‍कुल अधूरा ही है। अगर आप भी बंगाल के खाने से इम्प्रेस है और आप कुछ वेजिटेरियन बनाना चाहती हैं तो फिर सूक्‍तो को कभी भी ना भूलें आइये पढ़ते हैं इसे बनाने की एकदम सरल व  आसान विधि।

आवश्यक सामग्री 

  • करेला = 100 ग्राम, कटा हुआ
  • आलू = एक अदद, उबला और कटा हुआ
  • बैंगन = एक अदद, स्‍लाइस किया हुआ
  • मूली = एक अदद, स्‍लाइस की हुई
  • कच्‍चा केला = एक अदद कटा हुआ
  • सेम = 50 ग्राम
  • सहजन = 50 ग्राम, लंबे टुकड़ों में कटा हुआ
  • पंच फोरन = आधा चम्मच
  • सरसों = आधा चम्मच
  • सरसों के बीज का पेस्ट = दो बड़े चम्मच
  • घी/मक्खन = एक बड़ा चम्मच
  • तेल = 9 बड़े चम्मच
  • उरद के दाल वाली मसाले वाली बड़ी = 50 ग्राम
  • सूखी लाल मिर्च = एक टुकड़ा
  • तेज़ पत्‍ता = एक टुकड़ा
  • नमक = स्वादअनुसार
  • चीनी = आधा चम्मच
  • हल्दी पाउडर = आधा चम्मच
  • अदरक का पेस्ट = एक बड़ा चम्मच

विधि

एक कढ़ाई में 4 चम्‍मच तेल गर्म करें। फिर उसमें बड़ियां डाल कर गोल्‍डन होने तक फ्राई कर लें। अब बड़ियों को निकाल कर एक प्‍लेट में रख दें। फिर कढ़ाई में और तेल मिलाएं। और उसके बाद करेला डाल कर फ्राई करें और जब वह ब्राउन हो जाए, तब उसे निकाल लें।
फिर एक-एक कर के कढाई में मूली, बैंगन, बींस, सेम, केला, आलू और सहजन डालें। और 3 मिनट तक चलाते हुए तल लें।
ऊपर से शक्‍कर, हल्‍दी, नमक और अदरक पेस्‍ट डालें और दो मिनट तक पकाएं। इसके बाद इसमें 4 कप पानी डाल कर 5 मिनट तक पकाएं। और इसके बाद कढाई को उतार दें और दूसरी कढाई या फिर पैन चढा कर उसमें एक चम्‍मच तेल या घी डालें।
अब तेज़ पत्‍ता, सूखी लाल मिर्च, पंच फोरन, राई डाल कर पकाएं। फिर इसमें सरसों का पेस्‍ट और फ्राई की हुई बडियां और करेले मिलाएं। और इन सब को सब्‍ज़ी की कढाई में मिला कर तब तक पकाएं जब तक कि यह गाढी ना हो जाए। फिर इसे गैस से उतारें और गरमागर्म चावल के साथ सर्व करें या खाएं

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

जीवन में संयम और अनुशासन के महत्व को दर्शाने वाला अनूठा प्रयोग

जीवन में संयम और अनुशासन के महत्व को दर्शाने वाला अनूठा प्रयोग

1972 में विकासात्मक मनोवैज्ञानिक वॉल्टर मिशेल ने बिना किसी सोच-विचार या प्रेरणा के अचानक ही एक ऐसा अनूठा प्रयोग किया जो मनोविज्ञान के क्षेत्र में पिछली शताब्दी का सबसे प्रसिद्ध प्रयोग बन गया.
मिशेल ने पांच से दस वर्ष की अवस्था के कई बच्चों को एक कमरे में एकत्र किया और उन सभी को एक-एक चॉकलेट दी. फिर उन्होंने उन बच्चों से कहा कि वे थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहे हैं लेकिन उनके वापस आने तक जो बच्चा चॉकलेट नहीं खाएगा उसे वे लौटकर दो चॉकलेटें और देंगे.
कमरे के बाहर जाने के बाद उन्होंने छुप कर उन बच्चों की हरकतों का जायजा लिया. वे यह जानना चाहते थे कि क्या वे बच्चे और अधिक बड़े पुरस्कार के लिए अपने लालच पर नियंत्रण रख सकेंगे या वे अपने लालच के वशीभूत होकर किसी व्यक्ति द्वारा निगरानी नहीं किए जाने पर अपनी चॉकलेट खा लेंगे?
मिशेल ने यह देखा कि उस समूह के लगभग एक तिहाई बच्चों ने उनके कमरे से बाहर जाते ही फौरन अपनी चॉकलेट खा ली. दूसरे एक तिहाई बच्चों ने कुछ समय तक मिशेल के वापस आने का इंतजार किया लेकिन वे अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख सके और उन्होंने भी अपनी चॉकलेट खा ली. बाकी बचे रह गए लगभग एक तिहाई बच्चों ने पूरे 15 मिनट तक मिशेल के लौटने की प्रतीक्षा की. निस्संदेह उन छोटे बच्चों के लिए तो ये 15 मिनट अनंतकाल जितने लंबे थे क्योंकि चॉकलेट उनके हाथ में थी या उनके सामने रखी हुई थी फिर भी वे उसे खाने के लोभ पर काबू कर पाए.
उस दौर में मनोवैज्ञानिकों का यह मानना था कि संकल्प शक्ति प्रत्येक व्यक्ति में जन्मजात होती है और इसमें जीवन भर कोई परिवर्तन नहीं होता. लेकिन इस मामले ने यह साबित कर दिया कि संकल्प शक्ति किसी परिस्थिति या परीक्षण का परिणाम भी हो सकती है. इस प्रयोग के द्वारा मिशेल बच्चों की उम्र और संकल्प शक्ति के बीच का संबंध भी जांचना चाहते थे. वे यह जानना चाहते थे कि क्या अधिक उम्र के बच्चे अपने लालच पर नियंत्रण अधिक कुशलता से रख सकते हैं?
एक प्रकार से यह प्रयोग विकासात्मक मनोविज्ञान का अध्ययन था. यह उनके व्यक्तित्व का आकलन नहीं था, लेकिन इस प्रयोग ने यह दर्शा दिया कि जो बच्चे उम्र में अपेक्षाकृत बड़े थे वे अधिक देर तक अपने लोभ पर नियंत्रण रखने में सफल हो सके. मिशेल की यह रिसर्च अनेक जर्नलों में प्रकाशित हुई लेकिन समय के साथ लोगों ने इसे भुला. दिया इस प्रयोग के बाद मिशेल और बच्चे भी अपनी-अपनी राह पर चले गए. चॉकलेट का यह प्रयोग सफल तो था लेकिन लोगों ने इसे एक अनूठे प्रयोग से अधिक कुछ नहीं समझा.
लेकिन इस प्रयोग के 20 साल बाद मिशेल के मन में एक नया विचार आया और उन्होंने इस प्रयोग को दोबारा नई दृष्टि से देखा. फिर उनके निष्कर्षों ने मनोवैज्ञानिक जगत को हिलाकर रख दिया.
असल में इस प्रयोग में शामिल एक बच्ची मिशेल की ही पुत्री थी जो उस दौरान 5 साल की थी. इस प्रयोग में शामिल बाकी दूसरे बच्चे भी उसके ही स्कूल में और कई तो उसकी ही क्लास में पढ़ते थे और उसके दोस्त थे.
जैसे-जैसे साल गुजरते गए मिशेल की पुत्री और उसके सभी दोस्त भी बड़े होते गए और मिशेल ने इस बात का अनुभव किया कि वे बच्चे जिन्होंने प्रयोग में अपने लोभ पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं दिखाया था, वे अपनी पढ़ाई-लिखाई में पिछड़ रहे थे और उनके अंक बहुत कम आते थे. दूसरी और वे बच्चे जिन्होंने अत्यधिक संयम का प्रदर्शन किया था और जो लालच के फेर में नहीं पड़े थे वे हमेशा अपने शिक्षकों की आंख का तारा बने रहे. उन्होंने अपनी क्लास में हमेशा टॉप किया और उन्हें बहुत ही प्रसिद्ध कॉलेजों में एडमिशन मिला.
जब मिशेल ने यह देखा तो उन्होंने और अधिक गहराई से उन बच्चों की ट्रैकिंग करने का निश्चित किया और यह देखने का प्रयास किया कि वे सभी बच्चे किस प्रकार के वयस्क व्यक्तियों के रूप में पनपे. मिशेल ने जो फॉलो-अप किया उसके परिणाम इतने चमत्कारिक थे कि उनका प्रयोग अभी भी एक प्रकार से जारी है और अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है.
अपने लालच पर नियंत्रण करके संयम प्रदर्शित करने की उन बच्चों की क्षमता ने उन्हें आगे जाकर अकादमिक शिक्षा में अव्वल बनाया और वे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में सफल रहे. उन्हें सबसे अच्छी नौकरियां मिली. समाज में भी उनकी प्रतिष्ठा स्थापित हुई.
इस बीच दूसरे मनोवैज्ञानिकों ने भी इससे मिलते-जुलते प्रयोग किए और उन्होंने अपनी रिसर्च में यह पाया कि जो व्यक्ति अपने लालच पर नियंत्रण करके संयम धारण करते हैं वे दूसरों से औसतन अधिक स्वस्थ होते हैं और अकादमिक रूप से अधिक सफल होते हैं. ऐसे व्यक्तियों के जीवन का आर्थिक पक्ष प्रबल होता है और सबसे अच्छी बात तो यह है कि वे जीवन के हर पैमाने पर खरे उतरते हैं. उनकी रिलेशनशिप्स अधिक स्थाई होते हैं और ऐसे व्यक्तियों को हताशा और निराशा का कम सामना करना पड़ता है.
इस प्रयोग ने यह भी दर्शाया कि मनोवैज्ञानिक लगभग एक शताब्दी तक व्यर्थ के मसलों में उलझे रहे. वास्तव में IQ की अवधारणा की उत्पत्ति ही इस उद्देश्य से हुई थी लेकिन उसमें घोर असफलता मिली और बुद्धि को जांचने के लिए तैयार किए गए अन्य प्रयोग और उपाय भी दोषपूर्ण सिद्ध हुए. मिशेल इस मामले में बहुत सौभाग्यशाली रहे कि उनके हाथ अनायास ही एक कुंजी लग गई.
हमारी पीढ़ियां क्रमिक रूप से आत्मसम्मान को आत्मानुशासन पर वरीयता देती आई हैं. मुझे यह लगता है कि हम इस नीति की बड़ी कीमत चुका रहे हैं.
हम उस दौर में हैं जहां संकल्पशक्ति को समाज में अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता. आप अपने आसपास उन लोगों को देखिए जिनका वजन खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है और ऐसा होने का बहुत बड़ा कारण यह है कि उनका स्वयं पर नियंत्रण नहीं है. हम लोगों का फोकस दिनोंदिन कम होता जा रहा है. हम किसी भी एक चीज पर ध्यान अधिक देर तक नहीं दे पाते. लोग स्वयं को विश्व का केंद्र मानने लगे हैं. उनमें नारसीसिज़्म, एंजाइटी, और डिप्रेशन जैसे मनोविकार पहले से कहीं अधिक देखे जा रहे हैं.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे मूल्यवान स्किल वे हैं जो आत्मानुशासन और स्वयं को स्वस्थ रखने से जुड़ी आदतों को विकसित करते हैं. यदि आप दूसरों से अधिक स्वस्थ होना चाहते हैं, अधिक सफल होना चाहते हैं, या अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण करना चाहते हैं तो केवल आत्मानुशासन ही इस मामले में आपकी सहायता कर सकता है.
स्वयं पर कठोर नियंत्रण और किसी भी प्रलोभन के आगे नहीं झुकना ही सबसे अच्छी नीति है. आलस के मारे पांच मिनट अधिक सो लेने या स्वाद के वशीभूत होकर थोड़ी अधिक मिठाई खा लेने जैसे प्रलोभन बहुत छोटे उदाहरण हैं लेकिन जीवन पर व्यापक प्रभाव डालते हैं.
Source- hindizen

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

General Knowledge - सामान्य ज्ञान

 सामान्य ज्ञान



ऐसा कौन सा देश हैं जो आज तक किसी का गुलाम नहीं हुआ ?
नेपाल

विश्व मैं कुल कितने देश हैं ?
195

विश्व का किस देश में कोई भी मन्दिर नही है?
साऊदी अरब
“जनरल” किस सेना का एक अधिकारी पद है?
थल सेना

किस वर्ष में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था?
सन् 1869

 विश्व का सबसे बड़ा देश कौन सा देश है?
रूस 

पानीपत का प्रथम युद्ध किस के बीच लड़ा गया था?
बाबर और इम्ब्राहिम लोदी के बीच

शरीर के किस अंग में यूरिया बनता है?
लिवर


किस शासक ने ग्रांड ट्रक रोड का निर्माण कराया था?
शेरशाह सूरी

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?
राष्ट्रपति

 नागालैण्ड भारत का विधिवत राज्य कब बना?
 सन् 1963 ई.

रविन्द्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रीय गान के अलावा किस एक और देश का राष्ट्रीय गान लिखा?
बांग्ला देश

Histroy of Raja Birbalji | राजा बीरबलजी का इतिहास


ऐसा कौन सा पेड़ है जिसमें लकड़ी नहीं होती ?
केले का पेड़

सबसे पुराना वाद्य यंत्र कौन-सा है ?
वीणा

भारत का सबसे पुराना संयुक्त स्टॉक बैंक कौन सा है?
इलाहाबाद बैंक

भारत का पहला मोबाइल बैंक कौन सा है?
लक्ष्मी वाहिनी बैंक (खरगोन जिला, मध्य प्रदेश)

भारत में टीवी पर पहली बार समाचार किसने पढ़े थे?
प्रतिमापुरी

ईसरो का 100 वां मिशन कौन सा था?
पी.एस.एल.वी.

सबसे पहले माउंट एवरेस्ट को किसने कैलकुलेट किया था?
राधानाथ सिकन्दर

जीवन बीमा को राष्ट्रीय कब किया गया ?
सन् 1956

विश्व का कौन सा ऐसा देश है जहाँ मच्छर नहीं पाये जाते है?
फ्रांस

 विश्व का सबसे बड़ा शहर कौन सा है?
न्यूयार्क (अमेरिका)

रावण के पिता का नाम क्या था?
विश्ववा

हिन्दुओं के कुल कितने पुराण है?
18

सूचना : अगर आपको इन प्रश्न उत्तर में कुछ गलती मिलती है तो हम उसके लिए आपसे माफ़ी मांगते है| और कृपया करके प्रशन नंबर लिखकर उसका सही उत्तर नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में लिखे जिससे बाकि  को सही जानकारी मिल सके.


रविवार, 4 नवंबर 2018

Tips in Hindi for staying healthy in this winter season – ठण्ड में स्वस्थ रहने के नुस्खे

ठण्ड में स्वस्थ रहने के नुस्खे





जब ठण्ड का मौसम आ जाए तो आपको ऐसे कई लोग मिलेंगे, जो लम्बे तथा पीड़ा भरे गर्मी के दिनों को अलविदा कहने में काफी ख़ुशी का अनुभव कर रहे होंगे। सर्दी के उपाय, परन्तु कई ऐसे लोग भी होंगे जो ठण्ड के आने की बात सोचते ही कांपने लगते हैं।

सर्दियों में सर्दी-जुखाम और बुखार जैसी समस्याएं बहुत लोगों के लिए नुक़सानदायक साबित होती हैं क्यूंकी वो बदलते समय और वातावरण में अपने आप को ढाल नही पाते हैं. लेकिन दोस्तों, अगर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो यही सर्दियाँ एक खूबसूरत मौसम की तरह लगने लगता है. सर्दियों में किसी भी बीमारी से बचने के लिये आवश्यक है कि हम छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें और पहले से ही बचाव का इंतजाम करना शुरु कर दें।


1.सर्दियों के करीब आते ही सबसे पहले अपना साबुन या फेसवॉश बदलें। अधिक क्रीमी तत्व वाले साबुन या फेसवॉश का इस्तेमाल करें। इनमें मौजूद मॉइस्चराइजिंग तत्व आपकी स्किन को ऊपर से नमी देकर रूखेपन से बचाएंगे।


2.सर्दियों में स्किन काफी रूखी और बेजान हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि विटामिन ई युक्त Mosturizer लगाया जाए। चेहरे को साफ पानी से धोएं और रोजाना रात को और दिन में 3-4 बार अच्छा mosturizer लगाएं।


3. एक स्वस्थ मस्तिष्क से ही एक स्वस्थ इंसान की कल्पना हो सकती है. इसलिए नीद पूरा होना हर इंसान की ज़रूरत है. अगर आप भरपूर नीद लेते हैं तो आपके सोचने की छमता भी बढ़ती है और आपके शरीर मेी पॉज़िटिव तरंग का संचार होता है. आप फ्री माइंड से सोचते हैं और पॉज़िटिव सोचते है. जिससे आप कभी भी डिप्रेशन depression के शिकार नही हो सकते.

4.ठंडी हवाएं चलते ही कुछ लोग गर्म पानी से सुबह नहाना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि पानी को अधिक गर्म ना करें। अधिक गर्म पानी से नहाने से त्वचा का प्राकृतिक तेल निकल जाता है और यह अधिक रूखी रहने लगती है। अगर मन हो तो गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।


5.सर्दियों में साबुन का प्रयोग कम से कम करें। त्वचा अगर रूखी है तो स्क्रब करना भी बंद कर दें क्योंकि इससे त्वचा पर मौजूद Pores तो खुल जाएंगे लेकिन त्वचा भी रूखी हो जाएगी। स्क्रब तभी करें अगर स्किन ऑयली है ताकि इससे स्किन का ऑयल कम हो सके।


6.सर्दियों में जोडो़ में दर्द होने की संभावना ज्यादा रहती. शरीर में अगर कोई पुरानी चोट है या हड्डियों की चोट है तो वो सर्दियों में दर्द करती है. तो जो लोग दिल, गठिया या अस्थमा रोगी हैं, उन्हें सर्दियों में पूरी सावधानी रखनी चाहिये। ठंड सेबचने के लिए ऊनी गर्म कपड़ों comfortable clothes for winter का प्रयोग करना चाहिए. और इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए की कपड़े आरामदायक हों.


7.मॉइस्चराइजर लगाने से पहले अपने चेहरे को हल्का गीला भी कर लें। इससे मॉइस्चराइजर स्किन में लॉक हो जाएगा और लंबे समय तक इसका असर बना रहेगा।


8.सर्दियों में त्वचा को जानदार और कोमल बनाने के लिए दही और चीनी को मिक्स कर अच्छी तरह से चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर सूखने दें।इसके बाद हल्के हाथों से मसाज करें और फिर गुनगुने पानी से धो दें।


9.स्किन को ऊपरी देखभाल के साथ अंदरूनी रूप से रिपेयर करने की भी जरूरत होती है। इसके लिए अधिक से अधिक पानी पियें। माना कि गर्मी के कम होते ही पानी की प्यास अपने आप ही कम हो जाती है लेकिन पानी की कमी से त्वचा अन्दर से कमजोर पड़ने लगती है।


10.स्किन को कोमल और हेल्दी रखना है तो नारियल तेल का इस्तेमाल करें। नारियल का तेल सिर्फ बालों के लिए ही उपयोगी नहीं है बल्कि इससे रोजाना नहाने से एक घंटे पहले शरीर और चेहरे की मालिश करें और फिर नहाएं। स्किन कभी रूखी नहीं होगी।


11.वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए सर्दियों में शक्ति वर्धक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे असगंध, मूसली, गोखरू, मुलहटी, शिलाजीत आदि से बने हुए औषध योग जैसे च्यवनप्राश,मूसली ,बादाम पाक ,कौंच पाक उपयोग कर सकते हैं. ये पौषक तत्व आपको अंदर से मजबूत बनाते हैं. इन तत्वों का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए और एक उचित diet चार्ट फॉलो करना चाहिए.


12.सर्दियों में होंठों की त्वचा का भी खास ख्याल रखें। मौसम बदलते ही होंठ फटने लगते हैं और इनका प्राकृतिक रंग खोने लगता है। इसे बनाए रखने के लिए SPF युक्त लिप बाम का इस्तेमाल करें। अगर आप लिप बाम ना लगाना चाहें तो दिन में 2 से 3 बार होंठों पर शहद लगाएं। शहद होंठों के लिए नेचुरल मॉइस्चराइजर का काम करता है।

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