शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास


भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास





15 अगस्त को हमारे देश की 76वीं वर्षगांठ मनाई जाने वाली है

प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था ‘राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ हमारी स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि ये देश की समस्त जनता की स्वतंत्रता का प्रतीक है' इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वेंक्क्या द्वारा बनाया गया था.

गांधी जी ने सबसे पहले १९२१ में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी। इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इसमें दो रंग थे लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए। बीच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए सफेद रंग जोड़ा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया। इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली जो कि भारत के संविधान निर्माता डॉ॰ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने लगवाया। इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।

१९५१ में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो (बी॰आई॰एस॰) ने पहली बार राष्ट्रध्वज के लिए कुछ नियम तय किए। १९६८ में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए। ये नियम अत्यंत कड़े हैं। केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। कपड़ा बुनने से लेकर झंडा बनने तक की प्रक्रिया में कई बार इसकी टेस्टिंग की जाती है। झंडा बनाने के लिए दो तरह की खादी का प्रयोग किया जाता है। एक वह खादी जिससे कपड़ा बनता है और दूसरा खादी-टाट। खादी के केवल कपास, रेशम और ऊन का प्रयोग किया जाता है। यहाँ तक कि इसकी बुनाई भी सामान्य बुनाई से भिन्न होती है।ये बुनाई बेहद दुर्लभ होती है। इसे केवल पूरे देश के एक दर्जन से भी कम लोग जानते हैं। धारवाण के निकट गदग और कर्नाटक के बागलकोट में ही खादी की बुनाई की जाती है। जबकी हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहाँ से झंडा उत्पादन व आपूर्ति की जाती है।बुनाई से लेकर बाजार में पहुँचने तक कई बार बी॰आई॰एस॰ प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण होता है। बुनाई के बाद सामग्री को परीक्षण के लिए भेजा जाता है। कड़े गुणवत्ता परीक्षण के बाद उसे वापस कारखाने भेज दिया जाता है। इसके बाद उसे तीन रंगो में रंगा जाता है। केंद्र में अशोक चक्र को काढ़ा जाता है। उसके बाद इसे फिर परीक्षण के लिए भेजा जाता है। बी॰आई॰एस॰ झंडे की जाँच करता है इसके बाद ही इसे फहराया जा सकता है |

केसरिया – केसरिया रंग तिरंगे में सबसे उपर होता है, यह साहस, निस्वार्थता व शक्ति का प्रतीक है.

सफ़ेद – तिरंगा में सफ़ेद रंग सच्चाई, शांति व पवित्रता का प्रतीक है. यह रंग देश में सुख शांति की उपयोगिता को दर्शाता है.

हरा – हरा रंग विश्वास, शिष्टता, वृद्धि व हरी भरी भूमि की उर्वरता का प्रतीक है. यह सम्रधि व जीवन को दर्शाता है.

अशोक चक्र – इसे धर्म चक्र भी कहते है. नीले रंग का अशोक चक्र तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया था. जिसे तिरंगा में बीच में लगाया गया है, इसमें 24 धारियां होती है. अशोक चक्र जीवन के गतिशील होने को दर्शाता है, इसका न होना मतलब म्रत्यु है.
तिरंगे का विकास

भारत का तिरंगा ध्वज भारत के स्वतंत्रता संग्राम काल में निर्मित किया गया था। वर्ष १८५७ में स्वतंत्रता के पहले संग्राम के समय भारत राष्ट्र का ध्वज बनाने की योजना बनी थी, लेकिन वह आंदोलन असमय ही समाप्त हो गया था और उसके साथ ही वह योजना भी बीच में ही अटक गई थी। वर्तमान रूप में पहुँचने से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अनेक पड़ावों से गुजरा है। इस विकास में यह भारत में राजनैतिक विकास का परिचायक भी है। कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं

प्रथम चित्रित ध्वज १९०४ में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।७ अगस्त, १९०६ को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में इसे कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। ऊपर की ओर हरी पट्टी में आठ कमल थे और नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चाँद बनाए गए थे। बीच की पीली पट्टी पर वन्देमातरम् लिखा गया था।
द्वितीय ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और १९०७ में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार यह १९०५ में हुआ था। यह भी पहले ध्वज के समान था; सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल था, किंतु सात तारे सप्तऋषियों को दर्शाते थे। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
१९१७ में भारतीय राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया। डॉ॰ एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान तृतीय चित्रित ध्वज को फहराया। इस ध्वज में ५ लाल और ४ हरी क्षैतिज पट्टियाँ एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर सात सितारे बने थे। ऊपरी किनारे पर बायीं ओर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
कांग्रेस के सत्र बेजवाड़ा (वर्तमान विजयवाड़ा) में किया गया यहाँ आंध्र प्रदेश के एक युवक पिंगली वैंकैया ने एक झंडा बनाया (चौथा चित्र) और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।
वर्ष १९३१ तिरंगे के इतिहास में एक स्मरणीय वर्ष है। तिरंगे ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया और इसे राष्ट्र-ध्वज के रूप में मान्यता मिली। यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। यह भी स्पष्ट रूप से बताया गया था कि इसका कोई साम्प्रदायिक महत्त्व नहीं था।
२२ जुलाई १९४७ को संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज बना।

झंडे का उचित प्रयोग


सन २००२ से पहले, भारत की आम जनता के लोग केवल गिने-चुने राष्ट्रीय त्योहारों को छोड़ सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहरा नहीं सकते थे। एक उद्योगपति, नवीन जिंदल ने, दिल्ली उच्च न्यायालय में, इस प्रतिबंध को हटाने के लिए जनहित में एक याचिका दायर की। जिंदल ने जान बूझ कर, झंडा संहिता का उल्लंघन करते हुए अपने कार्यालय की इमारत पर झंडा फहराया। ध्वज को जब्त कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाने की चेतावनी दी गई। जिंदल ने बहस की कि एक नागरिक के रूप में मर्यादा और सम्मान के साथ झंडा फहराना उनका अधिकार है और यह एक तरह से भारत के लिए अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक माध्यम है।तदोपरांत केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने, भारतीय झंडा संहिता में २६ जनवरी २००२, को संशोधन किए जिसमें आम जनता को वर्ष के सभी दिनों झंडा फहराने की अनुमति दी गयी और ध्वज की गरिमा, सम्मान की रक्षा करने को कहा गया।

भारतीय संघ में वी॰ यशवंत शर्मा के मामले में कहा गया कि यह ध्वज संहिता एक क़ानून नहीं है, संहिता के प्रतिबंधों का पालन करना होगा और राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बनाए रखना होगा। राष्ट्रीय ध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार नहीं है, पर इस का पालन संविधान के अनुच्छेद ५१-ए के अनुसार करना होगा।
झंडे का सम्मान

भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को हमेशा 'गरिमा, निष्ठा और सम्मान' के साथ देखना चाहिए। "भारत की झंडा संहिता-२००२", ने प्रतीकों और नामों के (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, १९५०" का अतिक्रमण किया और अब वह ध्वज प्रदर्शन और उपयोग का नियंत्रण करता है। सरकारी नियमों में कहा गया है कि झंडे का स्पर्श कभी भी जमीन या पानी के साथ नहीं होना चाहिए। उस का प्रयोग मेजपोश के रूप में, या मंच पर नहीं ढका जा सकता, इससे किसी मूर्ति को ढका नहीं जा सकता न ही किसी आधारशिला पर डाला जा सकता था। सन २००५ तक इसे पोशाक के रूप में या वर्दी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता था। पर ५ जुलाई २००५, को भारत सरकार ने संहिता में संशोधन किया और ध्वज को एक पोशाक के रूप में या वर्दी के रूप में प्रयोग किये जाने की अनुमति दी। हालाँकि इसका प्रयोग कमर के नीचे वाले कपडे के रूप में या जांघिये के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है।राष्ट्रीय ध्वज को तकिये के रूप में या रूमाल के रूप में करने पर निषेध है। झंडे को जानबूझकर उल्टा रखा नहीं किया जा सकता, किसी में डुबाया नहीं जा सकता, या फूलों की पंखुडियों के अलावा अन्य वस्तु नहीं रखी जा सकती। किसी प्रकार का सरनामा झंडे पर अंकित नहीं किया जा सकता है।
सँभालने की विधि

झंडे को संभालने और प्रदर्शित करने के अनेक परंपरागत नियमों का पालन करना चाहिए। यदि खुले में झंडा फहराया जा रहा है तो हमेशा सूर्योदय पर फहराया जाना चाहिए और सूर्यास्त पर उतार देना चाहिए चाहे मौसम की स्थिति कैसी भी हो। 'कुछ विशेष परिस्थितियों' में ध्वज को रात के समय सरकारी इमारत पर फहराया जा सकता है।

झंडे का चित्रण, प्रदर्शन, उल्टा नहीं हो सकता ना ही इसे उल्टा फहराया जा सकता है। संहिता परंपरा में यह भी बताया गया है कि इसे लंब रूप में लटकाया भी नहीं जा सकता। झंडे को ९० अंश में घुमाया नहीं जा सकता या उल्टा नहीं किया जा सकता। कोई भी व्यक्ति ध्वज को एक किताब के समान ऊपर से नीचे और बाएँ से दाएँ पढ़ सकता है, यदि इसे घुमाया जाए तो परिणाम भी एक ही होना चाहिए। झंडे को बुरी और गंदी स्थिति में प्रदर्शित करना भी अपमान है। यही नियम ध्वज फहराते समय ध्वज स्तंभों या रस्सियों के लिए है। इन का रखरखाव अच्छा होना चाहिए।
दीवार पर प्रदर्शन

झंडे को सही रूप में प्रदर्शित करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। यदि ये किसी भी मंच के पीछे दीवार पर समानान्तर रूप से फैला दिए गए हैं तो उनका फहराव एक दूसरे के पास होने चाहिए और केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए। यदि ध्वज दीवार पर एक छोटे से ध्वज स्तम्भ पर प्रदर्शित है तो उसे एक कोण पर रख कर लटकाना चाहिए। यदि दो राष्ट्रीय झंडे प्रदर्शित किए जा रहे हैं तो उल्टी दिशा में रखना चाहिए, उनके फहराव करीब होना चाहिए और उन्हें पूरी तरह फैलाना चाहिए। झंडे का प्रयोग किसी भी मेज, मंच या भवनों, या किसी घेराव को ढकने के लिए नहीं करना चाहिए।[5]



शनिवार, 14 मार्च 2020

क्या है कोरोना वायरस, इसके लक्षण और बचाव के उपाय

क्या है कोरोना वायरस, इसके लक्षण और बचाव के उपाय



चीन के वुहान प्रांत से फैले कोरोना वायरस ने चीन के बाद अपने पैर बाकी देशों में भी फैलाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में देशवासियों को इस बीमारी से बचाए रखने के लिए यूटी प्रशासन ने बचाव के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने इस बीमारी से बचने के लिए खास तौर पर होटल संचालकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। आइए जानते हैं आखिर क्या है यह बीमारी और इसके लक्षण और बचाव के उपाय।
जारी की गई एडवाइजरी में होटल संचालकों को चीन, थाईलैंड और जापान से आने वाले पर्यटकों को लेकर एक आगाह किया गया है। उन्हें यह निर्देश दिए गए हैं कि उन जगहों से आने वाले लोगों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाए। वहीं किसी भी पर्यटक या जनसामान्य में कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर यूटी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को उसकी तत्काल सूचना देने को कहा गया है। आइए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि आखिर क्या है यह बीमारी। 
क्या है कोरोना वायरस-
कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। डब्लूएचओ के अनुसार, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
क्या हैं इसके लक्षण
कोरोना वायरस के लक्षण स्वाइन फ्लू जैसे हैं। इसके संक्रमण के फलस्वरूप नाक बहना, बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, सिर में तेज दर्द, निमोनिया, ब्रॉन्काइटिस और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
कहां से फैलना शुरू हुआ वायरस
यह वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ। इसके बाद इससे पीड़ित मरीज थाईलैंड, सिंगापुर, जापान में भी मिल रहे हैं। हाल ही में इंग्लैंड में भी एक परिवार के इस वायरस की चपेट में आने की जानकारी सामने आई है।
बरतें जरूरी सावधानियां
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार हर व्यक्ति अपने हाथ साबुन-पानी या अल्कोहल युक्त हैंड रब से साफ करें।
-खांसते या छींकते हुए अपनी नाक और मुंह को टिश्यू या मुड़ी हुई कोहनी से ढकें। जिन्हें सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण हों उनके साथ करीबी संपर्क बनाने से बचें।
-मीट व अंडों को खाने से पहले अच्छे से पकाएं। जंगली और खेतों में रहने वाले जानवरों के साथ असुरक्षित संपर्क न बनाएं।
-भीड़भाड़ वाली जगह पर न जाएं, खास तौर पर चीन से सफर कर लौटे व्यक्ति से दूर रहें। सब्जी और फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धोएं।
-जिन देशों या जगहों पर इस बीमारी का प्रकोप फैला है, वहां यात्रा करने से बचें। सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक यातायात के साधनों में कुछ भी छूने या किसी से हाथ मिलाने से बचें।


गुरुवार, 3 जनवरी 2019

SSC General Knowledge


SSC सामान्य ज्ञान

Q.1 रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के 'लुकोस्किन' नामक एक औषधि विकसित की है। इसका इस्तेमाल किसके उपचार में किया जाता है? – 
(A) ल्यूकोडर्मा 
(B) कैंसर 
(C) एड्स 
(D) मलेरिया 
Ans .   A
Q.2 भारतीय नौसेना की नाभिकीय ऊर्जा द्वारा संचालित पनडुब्बी कौन-सी है? – 
(A) आईएनएस-चक्र 
(B) एमएम चक्र 
(C) वीएनएस चक्र 
(D) आरवीएन चक्र 
Ans .   A
Q.3 भारतीय वायु सेना का कौन-सा विमान हवा से हवा में पुन: ईंधन भरने का कार्य करता है? – 
(A) इल्यूशिन 11-78
(B) सुखोई 
(C) मिकोयान 
(D) बोईंग 
Ans .   A 
Q.4 एल्फा-लिनोलोनिक अम्ल (18 कार्बल युक्त ओमेगा-3 फैटी अम्ल) का सर्वोत्तम स्रोत है? – 
(A) असली 
(B) अलसी 
(C) कार्बन 
(D) हीरा 
Ans .   A
Q.5 हरे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बोइड का प्रयोग किया जाता है, यह क्या उत्पन्न करता है? –
(A) ऐसीटिलीन
(B) एसिड 
(C) कार्बन गैस 
(D) ऊर्जा
Ans .   A
Q.6 भारत में स्थापित पहला राष्ट्रीय उद्यान कौन-सा है? – 
(A) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(B) नॅशनल राष्ट्रीय उद्यान 
(C) राष्ट्रीय उद्यान 
(D) टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय उद्द्यान
Ans .   A
Q.7 पशुओं विशेषत: दुधारू-गो, के अनुपूरक भोजन के रूप में प्रयुक्त जैव-उर्वरक है? – 
(A) आजोला
(B) ऐसीटिलीन 
(C) कार्बन गैस 
(D) ऑक्सीजनं गैस
Ans .   A
Q.8 केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान कहाँ स्थित है? – 
(A) बीकानेर में
(B) जोधपुर 
(C) बाड़मेर 
(D) जयपुर
Ans .   A
Q.9 किस बीमारी के लिए ट्राइवेलेण्ट के स्थान पर बाइवेलेण्ट ओआरवी देने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है? – 
(A) पोलियो 
(B) डेंगू 
(C) चिकन गुनिया 
(D) हैजा 

Ans .   A
Q.10 फरवरी, 2016 में आयोजित हुए 12वें दक्षिण एशियाई खेलों में भारत ने कितने स्वर्ण पदक जीते? – 
(A) 188
(B) 189
(C) 200
(D) 202 
Ans .   A
Q.11 युनाइटेड किंगडम को यूरोपीय संघ से अलग करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया? – 
(A) बोरिस जोन्सन
(B) रोबिन चार्ल्स 
(C) रोबिन हुड 
(D) जार्ज बुश
Ans .   A
Q.12 वर्ष 2015-16 में रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता की विजेता मुम्बई क्रिकेट टीम के कप्तान कौन थे? – 
(A) आदित्य तारे
(B) आयुष्मान शर्मा 
(C) सचिन तेंदुलकर 
(D) अश्विन कुमार
Ans .   A
Q.13 भारत का कौन-सा भारतीय राज्य पहला 'डिजिटल राज्य' घोषित किया गया है? –
(A) केरल
(B) राजस्थान 
(C) हरियाणा 
(D) मेघालय
Ans .   A
Q.14 भारत के कुल भू-भाग का कितना प्रतिशत क्षेत्र राजस्थान में है? – 
(A) 10.4%
(B) 20%
(C) 20.12%
(D) 8.5% 
Ans .   A
Q.15 भारत के थार मरुस्थल का कितना भाग राजस्थान में है? –
(A) 60%
(B) 50%
(C) 40%
(D) 70% 
Ans .   A
Q.16 किस देश ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'अमीर अमानुल्लाह खान' पुरस्कार प्रदान किया है? – 
(A) अफगानिस्तान
(B) पाकिस्तान 
(C) बांग्लादेश 
(D) कजाकिस्तान
Ans .   A
Q.17 उस स्थान का नाम पहचानिए, जहाँ 31 अक्टूबर, 2015 को राजस्थान की मुख्यमंत्री ने पहले 'अन्नपूर्णा भण्डार' का उद्घाटन किया था? – 
(A) भम्भौरी
(B) लवाण 
(C) बेगस 
(D) दूदू
Ans .   A
Q.18 जनसमस्याओं के निराकरण के लिए किस अधिनियम को लागू करने में राजस्थान पहला राज्य है? – 
(A) सुनवाई का अधिकार अधिनियम
(B) सूचना का अधिकार 
(C) शिक्षा का अधिकार 
(D) विचार अभिव्यक्ति का अधिकार
Ans .   A
Q.19 नॉर्वे सरकार के सहयोग से राजस्थान सरकार ने जीवनधारा बैंक किसकी  उपलब्धता के लिए स्थापित किया? –
(A) शिशुओं के लिए माँ के दूध हेतु
(B) बच्चो के लिए शिक्षा हेतु 
(C) माताओ के सम्पूर्ण विकास हेतु 
(D) नारी के सम्मान हेतु
Ans .   A
Q.20 रियो पैराम्लिपिक खेल, 2016 का आधिकारिक 'मोटो' क्या है? – 
(A) एक नया विश्व
(B) खेल का आयोजन 
(C) एक नया आयोजन 
(D) विश्व एकता
Ans .   A

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

वर्ष 2019, जानिए किसकी किस्मत के सितारे चमकेंगे, पढ़ें 12 राशियां

हर नए साल में हम अपना भविष्यफल जानना चाहते हैं। यह साल हमारे जीवन के लिए, करियर के लिए, प्यार, व्यापार, शादी के लिए, कोर्ट-कचहरी, परीक्षा, नौकरी, सेहत और खुशियों के लिए क्या लाया है, इसे जानने में सबकी दिलचस्पी रहती है। आइए हम भी जानें साल 2019 हमारी राशियों के लिए क्या सौगात लाया है?



मेष राशि 2019

इस साल मेष राशि के जातकों की सेहत अस्थिर रह सकती है। मिश्रित परिणाम मिलेंगे। आपको करियर में मिलेजुले परिणाम मिलेंगे। आप अपने उत्कृष्ट प्रयासों से उन्नति करेंगे। नौकरी में पदोन्नति की संभावना है। करियर को आगे ले जाने में
किस्मत भी भरपूर साथ देगी। साल की शुरुआत से ही आप अपने कार्य में जमकर मेहनत करेंगे जिसका आगे चलकर आपको लाभ मिलेगा। आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव की परिस्थितियां नज़र आएंगी। साल की शुरुआत में आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत तो रहेगी परंतु इस समय आपके ख़र्चों में वृद्धि होगी। अचानक अनावश्यक ख़र्चों की संख्या बढ़ जाएगी। यदि इस पर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह आपको आर्थिक संकट की ओर ले जा सकती है। साल के मध्य (जून-जुलाई) में आपका क़ारोबार गति पकड़ेगा जिससे आपको आर्थिक लाभ होगा। प्रेम जीवन कोई ख़ास बदलाव नहीं आएगा। अपने रिश्ते को ख़ास बनाए रखने के लिए आपको प्रेम में पारदर्शिता लानी होगी।

वृषभ 2019

इस वर्ष ख़ान-पान पर विशेष ध्यान दें। स्वस्थ्य भोजन ही ग्रहण करें। करियर में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। करियर में उतार-चढ़ाव की परिस्थितियां आएंगी और अच्छे परिणामों को पाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। हालांकि इस वर्ष आप अपने करियर को लेकर अधिक गंभीर नज़र आएंगे और करियर में अपना मुकाम पाने के लिए जी तोड़ मेहनत भी करेंगे। आर्थिक जीवन सामान्य से बेहतर रहेगा। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार तो होगा परंतु आपके ख़र्चों में भी वृद्धि की संभावना है। यदि आपने बेवज़ह के ख़र्चों पर लगाम नहीं लगाया तो आपकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा सकती है। वैसे इस वर्ष आपकी आमदनी में भी वृद्धि होगी। आय के नए स्रोतों का सृजन होगा। अप्रैल के मध्य से मई के मध्य तक आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और जून में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।

मिथुन 2019

इस वर्ष आपको स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। परंतु साल के प्रारंभ यानी जनवरी में आपको अपनी सेहत को लेकर थोड़ा सावधान रहना होगा। इस समय आपको त्वचा से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह साल आपके करियर के लिए सामान्य रहने का संकेत दे रहा है। हालांकि यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं तो यह साल आपके करियर के लिए अच्छा हो सकता है। आपको अपने काम में पूरा फोकस करना होगा। करियर में आगे बढ़ने के लिए आपको नए-नए विचारों को सृजन करना होगा। वरिष्ठ कर्मियों की सलाह भी आपके काम आएगी। इस वर्ष आपको आर्थिक जीवन में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल होगी। आर्थिक लाभ के योग बन रहे हैं। व्यापार में नए-नए आइडिया आपके आर्थिक लाभ को बढ़ाने में मदद करेंगे। इस वर्ष आप धन एकत्रित करने में सफल रहेंगे। हालांकि बिजनेस के विस्तार हेतु आपको घर से दूर जाना पड़ सकता है। आपको आर्थिक जीवन में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल होगी। आर्थिक लाभ के योग बन रहे हैं।


कर्क 2019

यह साल कर्क राशि के जातकों के लिए शानदार रहने वाला है। हालांकि स्वास्थ्य के मोर्चे पर सावधान रहने की जरुरत होगी। क्योंकि इस साल आपकी सेहत में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। बात करें करियर की, तो इस साल नौकरी पेशा जातकों को पदोन्नति की सौगात मिल सकती है। फरवरी से मार्च और नवंबर से दिसंबर के बीच आपको नौकरी व व्यवसाय में शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है। वहीं मार्च के बाद आप किसी नये व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं या आप जो बिजनेस कर रहे हैं उसका विस्तार कर सकते हैं। इस साल आपका आर्थिक पक्ष बेहद अच्छा रहने वाला है। क्योंकि इस वर्ष धन लाभ के कई योग बन रहे हैं। मार्च, अप्रैल और मई के महीने धन से जुड़े मामलों के लिए शानदार रहने वाले हैं। इस दौरान आमदनी बढ़ने और धन लाभ होने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धन लाभ के साथ-साथ इस वर्ष आपको धन हानि भी हो सकती है। इसलिए फरवरी से लेकर मार्च के शुरुआती सप्ताह तक धन व पूंजी निवेश संबंधित योजनाएं संभलकर बनाएं।

सिंह 2019

इस वर्ष आपका स्वास्थ्य जीवन अच्छा रहेगा। साल के शुरुआती महीनों में आपको सर्दी-जुकाम की शिकायत रह सकती है। आपको शारीरिक थकान एवं ऊर्जा की कमी महसूस होगी। फरवरी मध्य से आपको स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा। करियर में सफलता पाने के लिए आप लगातार मेहनत करेंगे। करियर में आपको सफल परिणाम मिलेंगे, परंतु इन परिणामों से आप संतुष्ट नहीं दिखेंगे। कार्यक्षेत्र में आपका परिश्रम आपको नई पहचान दिलाएगा। आपको नई जगह नौकरी करने का भी अवसर मिलेगा। साल की शुरुआत में आपको करियर क्षेत्र में बेहतर परिणाम मिलेंगे। इस साल आपको आर्थिक जीवन में छोटी-मोटी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा परंतु इसके बावजूद भी आपको बहुत बढ़िया परिणाम भी मिलेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। फरवरी-मार्च और अप्रैल में आपको धन हानि हो सकती है। इस वर्ष आपका प्रेम जीवन चुनौतीपूर्ण लग रहा है, इसलिए आपको इस साल ज़्यादा सावधान रहने की आवश्यकता होगी। लव पार्टनर के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है अथवा किसी ग़लतफ़हमी के कारण भी रिश्तों में खटास आने की संभावना है।

कन्या 2019

इस वर्ष आपको करियर में मिलजुले परिणाम मिलेंगे। इस क्षेत्र में कई मौक़े आएंगे जिनमें आपको निराश होना पड़ सकता है, वहीं कई मौक़े ऐसे भी होंगे जिनमें जिसमें आपको सफलता का स्वाद मिलेगा। अपनी कुशल संवाद शैली के माध्यम से आप करियर में तरक्की करेंगे। आपका आर्थिक जीवन सामान्य से बेहतर रहेगा और साल की शुरुआत से ही आपको इसका आभास होने लगेगा। जनवरी-फरवरी और मार्च में आपको विभिन्न स्रोतों से आमदनी प्राप्त होगी, परंतु इस समय आपके ख़र्चों में भी वृद्धि की संभावना है। हालांकि परिस्थितियां फिर भी आपके काबू में रहेंगी। साल 2019 आपकी लव लाइफ के लिए मिलाजुला रहेगा। इसमें आपको उतार-चढ़ाव दोनों ही देखने को मिलेंगे। रिश्तों के लिए साल की शुरुआत कुछ ख़ास नहीं है। इस समय आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। नौकरी/व्यवसाय के कारण आपको घर से दूर भी जाना पड़ सकता है।

तुला 2018

इस वर्ष न केवल आपको स्वास्थ्य लाभ मिलेगा बल्कि पुरानी बीमारियों से भी आपको छुटकारा मिलेगा। आपको अपने करियर बहुत ही बढ़िया परिणाम मिलेंगे। मार्च के बाद आपके नए विचार आपको सफल परिणाम दिलाने में सफल रहेंगे। इस समय कार्यक्षेत्र में आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे। सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा परंतु उतना नहीं जितना आप उनसे आशा करेंगे इसलिए आप उनके भरोसे में कतई न रहें। आर्थिक क्षेत्र में आपको उम्मीद से ज़्यादा अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस क्षेत्र में भाग्य भी आपका साथ देगा और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए कई अवसर प्राप्त होंगे। इस वर्ष किसी के साथ नए रिश्ते की शुरुआत हो सकती है। लव पार्टनर के साथ आपका बढ़िया तालमेल दिखेगा। आप उनके साथ ट्रिप पर भी जा सकते हैं। मनोरंजन के लिए भी दोनों साथ में कहीं घूमने-फिरने जा सकते हैं। घर की ख़ुशियों से आप आनंदित रहेंगे। साल के मध्य में घर में कोई बड़ी ख़ुशी दस्तक दे सकती है। इस समय घर में मांगलिक कार्यक्रम हो सकता है।

वृश्चिक 2019

आप अपनी फिटनेस की समस्या से जूझ सकते हैं। यदि आपकी सेहत में गिरावट आए तो किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। अपने रोग का त्वरित इलाज कराएं। फ़रवरी- मार्च का महीना आपकी सेहत के लिए थोड़ा नाजुक रह सकता है। वहीं करियर पर नज़र डालें तो आपको इसमें बहुत ही बढ़िया परिणाम मिल सकते हैं। अपने करियर में आपको सफलता मिलेगी और आपके सामने कई सुनहरे अवसर आएंगे। किसी अच्छी कंपनी से आपको नौकरी का प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। करियर को लेकर विदेश जाने की भी संभावनाएं हैं। आर्थिक जीवन के लिए मिलाजुला रह सकता है। इसमें आपको उतार-चढ़ाव देखने मिल सकता है। आपके ख़र्चे और आमदनी में अंतर देखने को मिलेगा, इसलिए अपने आर्थिक जीवन में ख़र्च और आमदनी के बीच तालमेल बनाकर चलें। वहीं प्रेम जीवन के लिए यह साल उत्तम रहेगा। प्रियतम के साथ रोमांस करने का अवसर मिलेगा और रिलेशनशिप में मजबूती आएगी।

धनु 2019

करियर की दृष्टि से यह साल आपके लिए मिलेजुले परिणाम लेकर आएगा। इस वर्ष आपको अपने करियर में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। आपको आपकी मेहनत का परिणाम मिलेगा। इस समय नौकरी में आपका प्रमोशन हो सकता है अथवा आपकी सैलरी बढ़ सकती है। वहीं आर्थिक क्षेत्र में परिस्थितियां आपके अनुकूल होंगी। विभिन्न स्रोतों से आपको आर्थिक मदद मिलेगी। पैतृक संपत्ति में वृद्धि होगी। आपके परिजन आर्थिक पक्ष को मजबूत बनाने में आपकी मदद करेंगे। यदि आप कोई व्यापार अथवा क़ारोबार करते हैं तो उसमें आपको आर्थिक मुनाफ़ा होगा। यदि साथी से किसी तरह का विवाद हो जाता है तो विवाद को आगे न बढ़ाएं, बल्कि उसे बातचीत के माध्यम से निपटाएं। माता-पिताजी को स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी तकलीफ़ हो सकती है।

मकर 2019

2019 आपके लिए अच्छा रहेगा। हालांकि स्वास्थ्य कारणों से आपको कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन शुरुआत के तीन माह (जनवरी, फरवरी, मार्च) आपकी सेहत दुरुस्त रहेगी। इस समय आप ऊर्जावान महसूस करेंगे परंतु उसके बाद अप्रैल से सितंबर तक आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक जीवन मिलाजुला रहेगा। आपको अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से आर्थिक मुनाफ़ा होने की प्रबल संभावना है। यदि आप नौकरी कर रहे हैं तो आपका प्रमोशन अथवा आपको कंपनी की ओर से प्रोत्साहन प्राप्त होगा। अक्टूबर माह भी आपके लिए कई ख़ुशखबरी लेकर आएगा। व्यापार में आपकी उन्नति होगी। लव लाइफ रोमांचक रहेगी। यदि आप अपने लव पार्टनर को लाइफ़ पार्टनर बनाना चाहते हैं तो आपकी यह इच्छा इस वर्ष पूरी हो सकती है।


कुंभ 2019

इस साल आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आप निरोगी रहेंगे और खुद को अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे। आपके अंदर जोश, उत्साह और गजब की फुर्ती देखने को मिलेगी। इस साल आपके करियर को ऊंचाई मिलेगी। आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। आपके निर्णय करियर को और भी सुनहरा बनाने में मदद करेंगे। आप अपने अच्छे फ़ैसलों से अपने लिए सुनहरे अवसर निर्माण करेंगे। आर्थिक जीवन शानदार रहेगा। इस वर्ष आपको आर्थिक लाभ के योग हैं। आपके पास धन आएगा जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस वर्ष आप धन संचय करने में सफल रहेंगे। मार्च के बाद आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगेगा। आमदनी के कई सारे स्रोत होंगे और आप अपने आर्थिक पक्ष को लेकर ख़ुश भी दिखाई देंगे। साल की शुरुआत थोड़ी धीमी रहेगी। मार्च तक आपको प्रेम जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। परंतु इस अवधि में अपने प्यार पर पूरा भरोसा रखें और अपने प्रियतम का विश्वास न तोड़ें।


मीन 2019

इस वर्ष आपकी सेहत ठीक रहेगी, लेकिन फिर भी आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहना होगा। इस वर्ष आपका करियर ऊंचाई की बुलंदियों को भी छू सकता है। कार्यक्षेत्र में आपको एक नई पहचान मिलेगी। आपकी छवि एक परिश्रमी, मेहनती और ईमानदार कर्मी की होगी। आपको आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इस वर्ष अपने आर्थिक पक्ष को लेकर थोड़े सावधान रहें। ज़ोखिम भरे क़दम उठाने से पहले उस पर विचार करें, आपको धन हानि भी हो सकती है। इस वर्ष आप अपने प्रेम को लेकर थोड़े भ्रम की स्थिति में रह सकते हैं। अपनी रिलेशनशिप को लेकर आपके मन में किसी प्रकार की शंका रहेगी। प्रियतम के साथ किसी बात को लेकर कहासुनी भी हो सकती है।

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

राजस्थानी स्टाइल पापड़ की सब्जी


पापड़ की सब्जी राजस्थान का फेमस व्यंजन  में से एक है पापड़ की सब्जी  बहुत ही कम समय में बन जाती है |
अगर आप इसे बना रहे है तो इसे जब खाना हो तभी बनाये नहीं तो ज्यादा  टाइम रखने पे पापड़ फूल जाती है


सामग्री:-

  • उड़द दाल पापड़ 1
  • तेल  3 चम्मच
  • जीरा 1 चम्मच
  • तेजपत्ता(Bay leaf): 1
  • राई  1 चम्मच
  • हींग  1 चम्मच
  • प्याज प्यूरी  1/2 कप
  • टमाटर प्यूरी  1/2 कप (2 टमाटर )
  • धनिया पाउडर  1चम्मच
  • हल्दी पाउडर  1 चम्मच
  • लाल मिर्च पाउडर  1 चम्मच
  • नमक 1 कप (स्वाद अनुशार)
  • दही 2 चम्मच
  • गरम मशाला  1 चम्मच

पापड़ की सब्जी बनाने की विधि:-

  • पहले एक सॉस पैन लें और इसमें तेल डालें।फिर जीरा के बीज, सरसों के बीज, एसाफेटिडा और चम्मच जोड़ें, फिर सुनहरे भूरे रंग तक भुनाएं।
  •  फिर उसमे प्याज की पूरी डाल दे और उसे भुने
  • प्याज को भून जाने पे उसमे टमाटर का भी प्यूरी डाल दे 
  • धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर और लाल मिर्च पाउडर और 5 मिनट के लिए ग्रिल डाल दें
  • मशाला भुनने में थोड़ा टाइम लगता है इसलिए तब तक मैं पापड़ को फ्राई कर लेते हे
  • यहाँ मशाला भी भूनकर तैयार हो गयी है अब उसमे थोड़ा सा पानी डाल दे और उसे मिलाये 
  • उसमे गरम मशाला, दही और स्वाद अनुशार नमक डाल दे और उसे 2-3 मिनट तक पकाये
  • फिर उसमे पापड़ को तोड़कर डाल दे और कटे हुए धनिया पत्ता को भी डाल दे और उसमे मिलकर गैस बंद कर दे
  • हमारी पापड़ की सब्जी बनकर तैयार हो गयी है 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

दो व्यक्तियोँ की तुलना न करेँ |

दो व्यक्तियोँ की तुलना न करेँ



जब तक दुनिया में हम एक आदमी को दूसरे आदमी से कम्पेयर करेंगे, तुलना करेंगे तब तक हम एक गलत रास्ते पर चले जाएंगे। वह गलत रास्ता यह होगा कि हम हर आदमी में दूसरे आदमी जैसा बनने की इच्छा पैदा करते हैं; जब कि कोई आदमी किसी दूसरे जैसा न बना है और न बन सकता है।

राम को मरे कितने दिन हो गए, या क्राइस्ट को मरे कितने दिन हो गए? दूसरा क्राइस्ट क्यों नहीं बन पाता और हजारों-हजारों क्रिश्चिएन कोशिश में तो चौबीस घंटे लगे हैं कि क्राइस्ट बन जाएं। और हजारों हिंदु राम बनने की कोशिश में हैं, हजारों जैन, बुद्ध, महावीर बनने की कोशिश में लगे हैं, बनते क्यों नहीं एकाध? एकाध दूसरा क्राइस्ट और दूसरा महावीर पैदा क्यों नहीं होता? क्या इससे आंख नहीं खुल सकती आपकी? मैं रामलीला के रामों की बात नहीं कह रहा हूं, जो रामलीला में बनते हैं राम। न आप समझ लें कि उनकी चर्चा कर रहा हूं, कई लोग राम बन जाते हैं। वैसे तो कई लोग बन जाते हैं, कई लोग बुद्ध जैसे कपड़े लपेट लेते हैं और बुद्ध बन जाते हैं। कोई महावीर जैसा कपड़ा लपेट लेता है या नंगा हो जाता है और महावीर बन जाता है। उनकी बात नहीं कर रहा। वे सब रामलीला के राम हैं, उनको छोड़ दें। लेकिन राम कोई दूसरा पैदा होता है?

यह आपको जिंदगी में भी पता चलता है कि ठीक एक आदमी जैसा दूसरा आदमी कहीं हो सकता है? एक कंकड़ जैसा दूसरा कंकड़ भी पूरी पृथ्वी पर खोजना कठिन है, एक जड़ कंकड़ जैसा-यहां हर चीज यूनिक है, हर चीज अद्वितीय है। और जब तक हम प्रत्येक की अद्वितीय प्रतिभा को सम्मान नहीं देंगे तब तक दुनिया में प्रतियोगिता रहेगी, प्रतिस्पर्धा रहेगी, तब तक दुनिया में मार-काट रहेगी, तब तक दुनिया में हिंसा रहेगी, तब तक दुनिया में सब बेईमानी के उपाय करके आदमी आगे होना चाहेगा, दूसरे जैसा होना चाहेगा। और जब हर आदमी दूसरे जैसा होना चाहता है तो क्या फल होता है? फल यह होता है-अगर एक बगीचे में सब फूलों का दिमाग फिर जाए या बड़े-बड़े आदर्शवादी नेता वहां पहुंच जाएं या बड़े-बड़े शिक्षक वहां पहुंच जाएं और उनको समझाएं कि देखो, चमेली का फूल चंपा जैसा हो जाए, चमेली का फूल चंपा जैसा, चंपा का फूल जुही जैसा, क्योंकि देखो, जुही कितनी सुंदर है...और सब फूलों को अगर पागलपन आ जाए, हालांकि आ नहीं सकता! क्योंकि आदमी से पागल फूल नहीं है।

आदमी से ज्यादा जड़ता उनमें नहीं है कि वे चक्कर में पड़ जाएं। शिक्षकों के, उपदेशकों के, संन्यासियों के, साधुओं के, आदर्शवादियों केचक्कर में कोई फूल नहीं पड़ेगा। लेकिन फिर भी समझ लें, कल्पना कर लें कि कोई आदमी पहुंच जाए और समझाए उनको और वे चक्कर में आ जाएं और चमेली का फूल चंपा का फूल होने लगे तो क्या होगा उस बगिया में। उस बगिया में फूल फिर पैदा नहीं होंगे, उस बगिया में फिर फूल पैदा ही नहीं हो सकते। उस बगिया में फिर पौधे मुरझा जाएंगे, मर जाएंगे। क्यों? क्योंकि चंपा लाख उपाय करे तो चमेली नहीं हो सकती, वह उसके स्वभाव में नहीं है, वह उसके व्यक्तित्व में नहीं है, वह उसकी प्रकृति में नहीं है। चमेली तो चंपा हो ही नहीं सकती। लेकिन क्या होगा? चमेली होने की कोशिश में वह चंपा भी नहीं हो पाएगी। वह जो हो सकती थी, उससे भी वंचित रह जाएगी।

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

फ्लिपकार्ट की कहानी - जय-वीरू

फ्लिपकार्ट के जय-वीरू


भारतीय स्टार्टअप की दुनिया में जय-वीरू कहलाने वाले बिन्नी बंसल और सचिन बंसल कुछ ही सालों में कॉलेजमेट से सहकर्मी और फिर बिजनेस पार्टनर बन गए। बिन्नी बंसल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता एक बैंक के चीफ मैनेजर रहे हैं और मां भी किसी सरकारी नौकरी में हैं। उन्होंने आईआईटी, दिल्ली से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है।

कॉलेज से निकले किसी भी नौजवान की तरह वो एक अदद नौकरी चाहते थे जो पढ़ाई को 'सफल' बना सके। उन्होंने गूगल में भी नौकरी की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। गूगल से उन्हें दो बार खाली हाथ लौटना पड़ा।

फिर भी उनकी कोशिशें काम आईं और एक बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी अमेजन में उन्हें नौकरी मिल गई। अमेजन में ही वह अपने पुराने दोस्त सचिन बंसल से मिले। यहां ध्यान रखना जरूरी है कि बिन्नी और सचिन दोस्त हैं, भाई नहीं। सचिन बंसल भी आईआईटी, दिल्ली में कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट रहे हैं और उन्होंने बिन्नी से एक बैच पहले एडमिशन लिया था।

अमेजन में साथ काम करते हुए दोनों को खुद के स्टार्टअप का खयाल आया। दोनों में से किसी को कारोबार का अनुभव नहीं था लेकिन उनके पास एक आइडिया जरूर था। दोनों ने कुछ हिम्मत दिखाई और नौकरी छोड़ दी।

पहले सचिन बंसल और फिर कुछ समय बाद बिन्नी बंसल अमेजन से अलग हो गए। बिन्नी ने सिर्फ नौ महीने ही अमेजन में नौकरी की। दोनों को ऑनलाइन रिटेल का अनुभव था लेकिन भारत में ये आइडिया पूरी तरह पांव नहीं पसार सका था। ऑनलाइन रिटेलिंग अपने शुरुआती दौर में थी और इस क्षेत्र में दूसरी कंपनियां भी काम कर रही थीं।

खुद ही बने मालिक और कर्मचारी

बिन्नी और सचिन बंसल ने साल 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत की और पहले सिर्फ किताबें बेचने का फैसला किया। दोनों ने 4 लाख रुपये पूंजी के साथ कंपनी शुरू की। शुरुआती काम था किताबों की होम डिलिवरी। वो मालिक भी खुद थे और कर्मचारी भी।

बिन्नी और सचिन बंसल खुद किताबें खरीदते और वेबसाइट पर आए ऑडर्स पर अपने स्कूटर से डिलीवरी करते। कंपनी के पास प्रचार के भी खास साधन नहीं थे इसलिए दोनों बुक स्टोर्स के पास जाकर अपनी कंपनी के पर्चे भी दिया करते थे।

धीरे-धीरे कंपनी ने कदम बढाने शुरू किए। इसके बाद दोनों ने साल 2008 में बैंगलुरू में एक फ्लैट और दो कंप्यूटर सिस्टम के साथ अपना ऑफिस खोला। अब उन्हें हर दिन करीब 100 ऑर्डर मिलने लगे।

इसके बाद फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरू में सोशल बुक डिस्कवरी सर्विस 'वीरीड' और 'लुलु डॉटकॉम' को खरीद लिया। साल 2011 में फ्लिपकार्ट ने कई और कंपनियां खरीदीं जिनमें बॉलीवुड पोर्टल चकपक की डिजिटल कंटेट लाइब्रेरी भी शामिल थी।

कैश ऑन डिलिवरी ने किया कमाल

ऑनलाइन सामान लेते वक्त कई लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थीं। सामान की गुणवत्ता से लेकर उसकी डिलिवरी की टाइमिंग तक। ये सब सोचते हुए लोग ऑनलाइन पेमेंट करने की बजाय कैश ऑन डिलिवरी का सुरक्षित विकल्प अपनाते हैं।

लेकिन, फ्लिपकार्ट ने इसी मुश्किल को मौके में बदल लिया। बिन्नी और सचिन बंसल पहली बार भारत में कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प लेकर आए। इससे लोगों को अपना पैसा सुरक्षित महसूस हुआ और कंपनी पर भरोसा भी बढ़ता गया। साल 2008-09 में फ्लिपकार्ट ने 4 करोड़ रुपये की बिक्री कर दी। इसके बाद निवेशक भी इस कंपनी की ओर आकर्षित हुए।

बिन्नी और सचिन बंसल मानते हैं कि ऑनलाइन रिटेल में कस्टमर सर्विस बहुत बड़ा फैक्टर है। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता को दिए गए इंटरव्यू में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने कहा था कि वो कंस्टमर सर्विस टीम के साथ दो-दो दिन बिताते हैं और उनकी सुझावों व शिकायतों पर काम करते हैं।

वहीं, कंपनी ने सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन पर भी काम किया। इसका मतलब ये है कि जब कोई किताब खरीदने के लिए उसका नाम किसी सर्च इंजन में डालता तो सबसे ऊपर फ्लिपकार्ट का नाम आता। इस कारण कंपनी को विज्ञापन भी मिलने लगे।

निवेश हर नई कंपनी के लिए बड़ी जरूरत होती है। शुरुआती दौर फ्लिपकार्ट के लिए भी मुश्किलों भरा रहा। आगे चलकर कंपनी में साल 2009 में ऐसेल इंडिया ने 10 लाख डॉलर का निवेश किया जो साल 2010 में एक करोड़ डॉलर पहुंच गया।

इसके बाद 2011 में फ्लिपकार्ट को एक और बड़ा निवेशक टाइगर ग्लोब मिला जिसने दो करोड़ डॉलर का निवेश किया। ऐसेल इंडिया और टाइगर ग्लोब लगातार फ्लिपकार्ट के साथ जुड़े रहे। वेबसाइट चल निकली तो किताबों के अलावा फर्नीचर, कपड़े, असेसरीज, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट जैसे सामान भी बेचे जाने लगे। ई-कॉमर्स का बाजार बढ़ने के साथ फ्लिपकार्ट को दूसरी कंपनियों से चुनौती मिलने लगी थी। इसी को देखते हुए उन्होंने कुछ ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट को खरीदा।

फ्लिपकार्ट ने 2014 में मिंत्रा और 2015 में जबॉन्ग को खरीद लिया। कंपनी स्नैपडील को भी खरीदना चाहती थी लेकिन बात नहीं बन पाई। लेकिन, मार्च 2018 में ही वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीद ली।

दरअसल, कंपनी को अमेजन के भारत में आने के साथ ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई थी। इस प्रतिस्पर्धा में उन्हें काफी निवेश करना पड़ रहा था। हालांकि, वॉलमार्ट के साथ अमेजन भी फ्लिपकार्ट को खरीदने की रेस में शामिल थी लेकिन वॉलमार्ट आगे रही। मार्च 2018 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 7।5 अरब डॉलर की बिक्री की थी। पिछले साल के मुकबाले उसकी बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

बैक रूम मास्टर माइंड

बिन्नी बंसल को बैक रूम मास्टर माइंड माना जाता है। लंबे समय तक वह मीडिया से भी दूर रहे हैं। अमूमन सचिन बंसल ही मीडिया को डील किया करते थे। बिन्नी कंपनी में पीछे रहकर काम करते रहे और सचिन उसके लीडर के तौर पर सामने रहे। मीडिया में ये भी खबरें थीं कि फ्लिपकार्ट छोड़ने को लेकर सचिन बंसल ज्यादा खुश नहीं थे। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने लिखा है कि कंपनी दो सीईओ को नहीं रखना चाहती थी।

वहीं, सचिन बंसल के जाने पर बिन्नी बंसल ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा था, ''हमने जिस तरह यह सफर शुरू किया वह अद्भुत था। पिछले 10 साल में जिस चीज ने हमें साथ रखा है वो है एक जैसे मूल्य और ये सुनिश्चित करना कि ग्राहकों के साथ सब कुछ सही हो।''

मंगलवार, 13 नवंबर 2018

सूक्तो बंगाल की एक बहुत ही फेमस डिश

 सूक्तो एक बहुत ही टेस्‍टी और पारंपरिक बंगाली डिश है जिसमें एक चुटकी शक्‍कर के साथ ढेर सारी सब्‍जियां और एक कसीली सब्‍ज़ी जैसे की करेला मिलाया जाता है
बंगाली खाना तो जैसे सूक्‍तो के बिना बिल्‍कुल अधूरा ही है। अगर आप भी बंगाल के खाने से इम्प्रेस है और आप कुछ वेजिटेरियन बनाना चाहती हैं तो फिर सूक्‍तो को कभी भी ना भूलें आइये पढ़ते हैं इसे बनाने की एकदम सरल व  आसान विधि।

आवश्यक सामग्री 

  • करेला = 100 ग्राम, कटा हुआ
  • आलू = एक अदद, उबला और कटा हुआ
  • बैंगन = एक अदद, स्‍लाइस किया हुआ
  • मूली = एक अदद, स्‍लाइस की हुई
  • कच्‍चा केला = एक अदद कटा हुआ
  • सेम = 50 ग्राम
  • सहजन = 50 ग्राम, लंबे टुकड़ों में कटा हुआ
  • पंच फोरन = आधा चम्मच
  • सरसों = आधा चम्मच
  • सरसों के बीज का पेस्ट = दो बड़े चम्मच
  • घी/मक्खन = एक बड़ा चम्मच
  • तेल = 9 बड़े चम्मच
  • उरद के दाल वाली मसाले वाली बड़ी = 50 ग्राम
  • सूखी लाल मिर्च = एक टुकड़ा
  • तेज़ पत्‍ता = एक टुकड़ा
  • नमक = स्वादअनुसार
  • चीनी = आधा चम्मच
  • हल्दी पाउडर = आधा चम्मच
  • अदरक का पेस्ट = एक बड़ा चम्मच

विधि

एक कढ़ाई में 4 चम्‍मच तेल गर्म करें। फिर उसमें बड़ियां डाल कर गोल्‍डन होने तक फ्राई कर लें। अब बड़ियों को निकाल कर एक प्‍लेट में रख दें। फिर कढ़ाई में और तेल मिलाएं। और उसके बाद करेला डाल कर फ्राई करें और जब वह ब्राउन हो जाए, तब उसे निकाल लें।
फिर एक-एक कर के कढाई में मूली, बैंगन, बींस, सेम, केला, आलू और सहजन डालें। और 3 मिनट तक चलाते हुए तल लें।
ऊपर से शक्‍कर, हल्‍दी, नमक और अदरक पेस्‍ट डालें और दो मिनट तक पकाएं। इसके बाद इसमें 4 कप पानी डाल कर 5 मिनट तक पकाएं। और इसके बाद कढाई को उतार दें और दूसरी कढाई या फिर पैन चढा कर उसमें एक चम्‍मच तेल या घी डालें।
अब तेज़ पत्‍ता, सूखी लाल मिर्च, पंच फोरन, राई डाल कर पकाएं। फिर इसमें सरसों का पेस्‍ट और फ्राई की हुई बडियां और करेले मिलाएं। और इन सब को सब्‍ज़ी की कढाई में मिला कर तब तक पकाएं जब तक कि यह गाढी ना हो जाए। फिर इसे गैस से उतारें और गरमागर्म चावल के साथ सर्व करें या खाएं

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

जीवन में संयम और अनुशासन के महत्व को दर्शाने वाला अनूठा प्रयोग

जीवन में संयम और अनुशासन के महत्व को दर्शाने वाला अनूठा प्रयोग

1972 में विकासात्मक मनोवैज्ञानिक वॉल्टर मिशेल ने बिना किसी सोच-विचार या प्रेरणा के अचानक ही एक ऐसा अनूठा प्रयोग किया जो मनोविज्ञान के क्षेत्र में पिछली शताब्दी का सबसे प्रसिद्ध प्रयोग बन गया.
मिशेल ने पांच से दस वर्ष की अवस्था के कई बच्चों को एक कमरे में एकत्र किया और उन सभी को एक-एक चॉकलेट दी. फिर उन्होंने उन बच्चों से कहा कि वे थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहे हैं लेकिन उनके वापस आने तक जो बच्चा चॉकलेट नहीं खाएगा उसे वे लौटकर दो चॉकलेटें और देंगे.
कमरे के बाहर जाने के बाद उन्होंने छुप कर उन बच्चों की हरकतों का जायजा लिया. वे यह जानना चाहते थे कि क्या वे बच्चे और अधिक बड़े पुरस्कार के लिए अपने लालच पर नियंत्रण रख सकेंगे या वे अपने लालच के वशीभूत होकर किसी व्यक्ति द्वारा निगरानी नहीं किए जाने पर अपनी चॉकलेट खा लेंगे?
मिशेल ने यह देखा कि उस समूह के लगभग एक तिहाई बच्चों ने उनके कमरे से बाहर जाते ही फौरन अपनी चॉकलेट खा ली. दूसरे एक तिहाई बच्चों ने कुछ समय तक मिशेल के वापस आने का इंतजार किया लेकिन वे अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख सके और उन्होंने भी अपनी चॉकलेट खा ली. बाकी बचे रह गए लगभग एक तिहाई बच्चों ने पूरे 15 मिनट तक मिशेल के लौटने की प्रतीक्षा की. निस्संदेह उन छोटे बच्चों के लिए तो ये 15 मिनट अनंतकाल जितने लंबे थे क्योंकि चॉकलेट उनके हाथ में थी या उनके सामने रखी हुई थी फिर भी वे उसे खाने के लोभ पर काबू कर पाए.
उस दौर में मनोवैज्ञानिकों का यह मानना था कि संकल्प शक्ति प्रत्येक व्यक्ति में जन्मजात होती है और इसमें जीवन भर कोई परिवर्तन नहीं होता. लेकिन इस मामले ने यह साबित कर दिया कि संकल्प शक्ति किसी परिस्थिति या परीक्षण का परिणाम भी हो सकती है. इस प्रयोग के द्वारा मिशेल बच्चों की उम्र और संकल्प शक्ति के बीच का संबंध भी जांचना चाहते थे. वे यह जानना चाहते थे कि क्या अधिक उम्र के बच्चे अपने लालच पर नियंत्रण अधिक कुशलता से रख सकते हैं?
एक प्रकार से यह प्रयोग विकासात्मक मनोविज्ञान का अध्ययन था. यह उनके व्यक्तित्व का आकलन नहीं था, लेकिन इस प्रयोग ने यह दर्शा दिया कि जो बच्चे उम्र में अपेक्षाकृत बड़े थे वे अधिक देर तक अपने लोभ पर नियंत्रण रखने में सफल हो सके. मिशेल की यह रिसर्च अनेक जर्नलों में प्रकाशित हुई लेकिन समय के साथ लोगों ने इसे भुला. दिया इस प्रयोग के बाद मिशेल और बच्चे भी अपनी-अपनी राह पर चले गए. चॉकलेट का यह प्रयोग सफल तो था लेकिन लोगों ने इसे एक अनूठे प्रयोग से अधिक कुछ नहीं समझा.
लेकिन इस प्रयोग के 20 साल बाद मिशेल के मन में एक नया विचार आया और उन्होंने इस प्रयोग को दोबारा नई दृष्टि से देखा. फिर उनके निष्कर्षों ने मनोवैज्ञानिक जगत को हिलाकर रख दिया.
असल में इस प्रयोग में शामिल एक बच्ची मिशेल की ही पुत्री थी जो उस दौरान 5 साल की थी. इस प्रयोग में शामिल बाकी दूसरे बच्चे भी उसके ही स्कूल में और कई तो उसकी ही क्लास में पढ़ते थे और उसके दोस्त थे.
जैसे-जैसे साल गुजरते गए मिशेल की पुत्री और उसके सभी दोस्त भी बड़े होते गए और मिशेल ने इस बात का अनुभव किया कि वे बच्चे जिन्होंने प्रयोग में अपने लोभ पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं दिखाया था, वे अपनी पढ़ाई-लिखाई में पिछड़ रहे थे और उनके अंक बहुत कम आते थे. दूसरी और वे बच्चे जिन्होंने अत्यधिक संयम का प्रदर्शन किया था और जो लालच के फेर में नहीं पड़े थे वे हमेशा अपने शिक्षकों की आंख का तारा बने रहे. उन्होंने अपनी क्लास में हमेशा टॉप किया और उन्हें बहुत ही प्रसिद्ध कॉलेजों में एडमिशन मिला.
जब मिशेल ने यह देखा तो उन्होंने और अधिक गहराई से उन बच्चों की ट्रैकिंग करने का निश्चित किया और यह देखने का प्रयास किया कि वे सभी बच्चे किस प्रकार के वयस्क व्यक्तियों के रूप में पनपे. मिशेल ने जो फॉलो-अप किया उसके परिणाम इतने चमत्कारिक थे कि उनका प्रयोग अभी भी एक प्रकार से जारी है और अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है.
अपने लालच पर नियंत्रण करके संयम प्रदर्शित करने की उन बच्चों की क्षमता ने उन्हें आगे जाकर अकादमिक शिक्षा में अव्वल बनाया और वे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में सफल रहे. उन्हें सबसे अच्छी नौकरियां मिली. समाज में भी उनकी प्रतिष्ठा स्थापित हुई.
इस बीच दूसरे मनोवैज्ञानिकों ने भी इससे मिलते-जुलते प्रयोग किए और उन्होंने अपनी रिसर्च में यह पाया कि जो व्यक्ति अपने लालच पर नियंत्रण करके संयम धारण करते हैं वे दूसरों से औसतन अधिक स्वस्थ होते हैं और अकादमिक रूप से अधिक सफल होते हैं. ऐसे व्यक्तियों के जीवन का आर्थिक पक्ष प्रबल होता है और सबसे अच्छी बात तो यह है कि वे जीवन के हर पैमाने पर खरे उतरते हैं. उनकी रिलेशनशिप्स अधिक स्थाई होते हैं और ऐसे व्यक्तियों को हताशा और निराशा का कम सामना करना पड़ता है.
इस प्रयोग ने यह भी दर्शाया कि मनोवैज्ञानिक लगभग एक शताब्दी तक व्यर्थ के मसलों में उलझे रहे. वास्तव में IQ की अवधारणा की उत्पत्ति ही इस उद्देश्य से हुई थी लेकिन उसमें घोर असफलता मिली और बुद्धि को जांचने के लिए तैयार किए गए अन्य प्रयोग और उपाय भी दोषपूर्ण सिद्ध हुए. मिशेल इस मामले में बहुत सौभाग्यशाली रहे कि उनके हाथ अनायास ही एक कुंजी लग गई.
हमारी पीढ़ियां क्रमिक रूप से आत्मसम्मान को आत्मानुशासन पर वरीयता देती आई हैं. मुझे यह लगता है कि हम इस नीति की बड़ी कीमत चुका रहे हैं.
हम उस दौर में हैं जहां संकल्पशक्ति को समाज में अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता. आप अपने आसपास उन लोगों को देखिए जिनका वजन खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है और ऐसा होने का बहुत बड़ा कारण यह है कि उनका स्वयं पर नियंत्रण नहीं है. हम लोगों का फोकस दिनोंदिन कम होता जा रहा है. हम किसी भी एक चीज पर ध्यान अधिक देर तक नहीं दे पाते. लोग स्वयं को विश्व का केंद्र मानने लगे हैं. उनमें नारसीसिज़्म, एंजाइटी, और डिप्रेशन जैसे मनोविकार पहले से कहीं अधिक देखे जा रहे हैं.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे मूल्यवान स्किल वे हैं जो आत्मानुशासन और स्वयं को स्वस्थ रखने से जुड़ी आदतों को विकसित करते हैं. यदि आप दूसरों से अधिक स्वस्थ होना चाहते हैं, अधिक सफल होना चाहते हैं, या अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण करना चाहते हैं तो केवल आत्मानुशासन ही इस मामले में आपकी सहायता कर सकता है.
स्वयं पर कठोर नियंत्रण और किसी भी प्रलोभन के आगे नहीं झुकना ही सबसे अच्छी नीति है. आलस के मारे पांच मिनट अधिक सो लेने या स्वाद के वशीभूत होकर थोड़ी अधिक मिठाई खा लेने जैसे प्रलोभन बहुत छोटे उदाहरण हैं लेकिन जीवन पर व्यापक प्रभाव डालते हैं.
Source- hindizen