शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

भारतीय रेलवे सामान्य ज्ञान

भारतीय रेलवे सामान्य ज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए


भारतीय रेलवे सामान्य ज्ञान
1. भारतीय रेलवे में सबसे अधिक लम्बाई किस ज़ोन की है ? - उत्तरी रेलवे की
2. भारत में पहली रेल कहाँ से कहाँ तक चली? - बम्बई (वर्तमान मुंबई) से थाने तक
3. भारत में पहली बार मेट्रो रेल सेवा किस नगर में आरम्भ की गई? - कोलकाता
4. रेल इन्जिन के आविष्कारक कौन हैं? - जॉर्ज स्टीफेंसन
5. भारतीय रेल का “व्हील एंड एक्सल” प्लांट कहाँ है? - बेंगलोर में
6. भारत में रेल का आरम्भ किस सन में हुआ? - 1853
7. भारत के दक्षिण के अंतिम बिन्दु पर कौन सा रेलवे स्टेशन है? - कन्या कुमारी
8. भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कब हुआ? - 1950
9. भारत में सबसे लंबी दूरी तय करने वाली रेल कौन सी है? - विवेक एक्सप्रेस (डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी)
10. भारत का पहला रेलवे स्टेशन कौन सा है? - छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई
11. भारत में सबसे तेज़ चलनेवाली गाड़ी कौन सी है?  -शताब्दी एक्सप्रेस
12. रेलवे बोर्ड की स्थापना कब की गयी ? - 1905 में
13. भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?  - 1950
14. ब्राड गेज रेलवे लाइन की चौड़ाई कितनी होती है? - 1.676 मीटर
15. भारत की प्रथम रेलगाड़ी द्वारा कितनी दूरी तय की गयी? - 34 किमी
16. भारत में चलने वाली पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन कौन सी है? - डेक्कन क्वीन (कल्याण से पुणे)
17. जीवन रेखा एक्सप्रेस (Life Line Express) किस वर्ष आरम्भ हुई? - 1991 में
18. भारत की सबसे लंबी रेलवे टनल कौन सी है? - पीर पंजाल (बेनिहल रेलवे टनल)
19. सबसे लंबी रेलवे प्लेटफॉर्म कहाँ है? -गोरखपुर में
20. भारत और बांग्लादेश के बीच चलने वाली रेल कौन सी है? - मैत्री एक्सप्रेस
21 भारत के किस राज्य में रेलवे लाइन नहीं है? - मेघालय
22 विश्व की सबसे पुरानी भाप इंजिन, जो अभी भी चालू हालत में है, कौन सी है?-फेयरी क्वीन (Fairy Queen),भारत मे
23. स्वतन्त्र भारत का पहला रेल बजट किन्होंने प्रस्तुत किया था? - जॉन मथाई
24. भारतीय रेल का स्लोगन क्या है? - राष्ट्र की जीवन रेखा (Lifeline of the Nation)
25 भारतीय रेलवे का संग्रहालय (Museum) कहाँ है? - चाणक्यपुरी, नई दिल्ली
26. रेलवे स्टॉफ कॉलेज कहाँ स्थित है? - बरोडा में
27 भारतीय रेलवे का रेल लाइन की लम्बाई की दृष्टि से विश्व में कौनसा स्थान है? - चौथा
28 भारतीय रेलवे का सर्वाधिक रेलगाडि़यां चलाने वाला रेलवे स्‍टेशन कौन सा है?- कानपुर (प्रतिदिन 300 गाडि़यों का परिचालन, सबसे अधिक 48 डायमण्‍ड रेल क्रॉसिंग)
29 भारत में सबसे लम्‍बे नाम वाला रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - श्रीवेंकटनरसिंहाराजुवारिपेटा (दक्षिण रेलवे)
30 भारत में समुद्रतल से सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - घूम (दार्जिजिंग हिमालयन रेलवे में, 2258 मी0 ऊँचाई पर)
31 भारत में ब्रॉडगेज पर सबसे ऊँचा स्‍टेशन कौन सा है? - काजीगुण्‍ड (कश्‍मीर में, 1722 मी0)
32 भारत में किन दो रेलवे स्‍टेशनों के बीच सर्वाधिक रेलवे लाइने हैं? - मुम्‍बई में बान्‍द्रा और अन्‍धेरी के बीच (सात समान्‍तर लाइनें)
33 भारत में सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्‍टेशन कौन सा है?  - दक्षिण पूर्व मध्‍य रेलवे में झारसूगूडा के पास 'इब' स्‍टेशन तथा गुजरात में आनन्‍द-गोधरा के बीच 'ओड' स्‍टेशन

क्र. नाम :          स्थापना :              मुख्याल

1. उत्तर रेलवे (उरे) 14 अप्रैल -- 1952    दिल्ली
2. पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) --1952    गोरखपुर
3. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) 1958 गुवाहाटी
4. पूर्व रेलवे (पूरे) अप्रैल 1952 कोलकाता
5. दक्षिण-पूर्व रेलवे (दपूरे) 1955 कोलकाता
6. दक्षिण-मध्य रेलवे (दमरे) 2 अक्टूबर 1966 सिकंदराबाद
7. दक्षिण रेलवे (दरे) 14 अप्रैल 1951 चेन्नई
8. मध्य रेलवे (मरे) 5 नवंबर 1951 मुंबई
9. पश्चिम रेलवे (परे) 5 नवंबर 1951 मुंबई
10. दक्षिण-पश्चिम रेलवे (दपरे) 1 अप्रैल 2001 हुबली
11. उत्तर-पश्चिम रेलवे (उपरे) 1 अक्टूबर 2002 जयपुर
12. पश्चिम-मध्य रेलवे (पमरे) 1 अप्रैल 2003 जबलपुर
13. उत्तर-मध्य रेलवे (उमरे) 1 अप्रैल 2003 इलाहाबाद
14. दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे (दपूमरे) 1 अप्रैल 2003 बिलासपुर
15. पूर्व तटीय रेलवे (पूतरे) 1 अप्रैल 2003 भुवनेश्वर
16. पूर्व-मध्य रेलवे (पूमरे) 1 अक्टूबर 2002 हाजीपुर
17. कोंकण रेलवे (केआर) 26 जनवरी 1998 नवी मुंबई
प्रमुख रेल संग्रहालय :
*नई दिल्ली 1 फरवरी 1977
*मैसूर 2 जून1979
*चेन्नई 31 मार्च 2002
*नागपुर 14 दिसंबर 2002

भारतीय रेलवे सामान्य ज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए : 
01. भारत में रेल लाइन बिछाने का श्रेय किसे प्राप्त है?
उत्तर-लार्ड डलहौजी

02. भारत में रेलवे जोनों तथा रेलवे डिवीजनों की संख्या कितनी हैं?
उत्तर-17 रेलवे जोन तथा 67 डिवीजन

03. भारतीय रेलवे का स्थायी शुभंकर क्या हैं?
उत्तर-भोलू ( गार्ड के रूप में गज, हरी बत्ती वाली लालटेन उठाए )

04. भारत में सबसे पहली ट्रेन कब और कहाँ चली थी?
उत्तर-16 अप्रैल, 1853 को, मुम्बई एवं ठाणे के मध्य

05. भारतीय रेलवे में सबसे बड़ी आमदनी का जरिया क्या हैं?
उत्तर- माल भाड़ा

06. भारतीय रेलवे का प्रशासन व संचालन किसके पास हैं?
उत्तर- रेलवे बोर्ड

07. भारतीय रेलवे में लगभग कितने लाख नियमित कर्मचारी कार्यरत हैं?
उत्तर- 13.28 लाख नियमित कर्मचारी

08. भारत में कर्मचारियों की भर्ती हेतु कितने रेलवे भर्ती बोर्ड हैं?
उत्तर- 19

09. रेलवे बजट को सामान्य बजट से किस वर्ष अलग किया गया?
उत्तर-1924 में

10. भारत में भूमिगत रेल कहाँ चलती हैं?
उत्तर-कोलकाता, दिल्ली व बंगलुरू

More 
● भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम कौन-सा है— भारतीय रेल
● भारतीय रेल कितने क्षेंत्रों (जोन) में बाँटी गई है— 17
● भारत में प्रथम रेल कब चली— 16 अप्रैल, 1853 ई.
● भारत की पहली रेल कहाँ चली— मुंबई और थाणे के मध्य
● भारत में सर्वप्रथम रेल का शुभारंभ किसने किया था— लॉर्ड डलहौजी ने
● रेल सेवा आयोग के मुख्यालय कहाँ-कहाँ है— इलाहाबाद, मुंबई, कोलकाता, भोपाल और चेन्नई
● भारतीय रेल नेटवर्क का विश्व में कौन-सा स्थान है— चौथा
● भारतीय रेल नेटवर्क का एशिया में कौन-सा स्थान है— दूसरा
● भारतीय रेलवे बोर्ड की स्थापना कब की गई थी— 1905 में
● विश्व में प्रथम रेल कब चली— 1825 ई., इंग्लैंड
● भारतीय रेल बजट को सामान्य बजट से कब अलग किया गया— 1824 ई.
● भारत में भूमिगत (मेट्रो रेलवे) का शुभारंभ कब और कहाँ हुआ था— 1984-85 ई., कोलकाता
● भारत में सबसे लंबी दूरी तय करने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— विवेक एक्सप्रेस
● भारत में प्रथम विद्युत इंजन का निर्माण कब प्रारंभ हुआ— 1971 ई.
● इंटीग्रल कोच फैक्टरी कहाँ है— पैरंबूर (चेन्नई)
● रेलवे कोच फैक्टरी कहाँ है— हुसैनपुर (कपूरथला)
● रेलवे कोच फैक्टरी की स्थापना कब हुई— 1988 ई.
● भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— समझौता व थार एक्सप्रेस
● भारत में सबसे तेजगति से चलने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— शताब्दी एक्सप्रेस
● भारत का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म कौन-सा है— खड़गपुर (पश्चिमी बंगाल)
● भारत के किस राज्य में रेल लाइन सबसे अधिक है— उत्तर प्रदेश
● पूर्वी उत्तर भारत के राज्य में रेलमार्ग नहीं है— मेघालय
● पैलेस ऑन व्हील्स की तर्ज पर नई रेलगाड़ी ‘डेक्कन ओडिसी’ का परिचालन किस राज्य में हो रहा है— महाराष्ट्र
● कोंकण रेलमार्ग किस पर्वत श्रृंखला से होकर गुजरता है— पश्चिमी घाट
● भारतीय रेलमार्ग का कुल कितने % विद्युतीकरण है— 30%
● भारत में कितने प्रकार के रेलमार्ग है— 3 प्रकार
● रेल पथ के ब्रॉड गेज की चौड़ाई कितनी होती है— 1.676 मीटर
● भारत में प्रथम विद्युत रेल कब चली— 1925 ई.
● विद्युत से चलने वाली प्रथम रेलगाड़ी कौन-सी है— डेक्कन क्वीन
● कोयले से चलने वाला देश का सबसे पुराना इंजन कौन-सा है— फेयरी क्वीन

And More

1) भारत का व्‍यस्‍ततम उपनगरीय रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - मुम्‍बई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस

2) भारत का व्‍यस्‍ततम मेनलाइन रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - हावड़ा

3) उत्‍तर भारत का सुदूरतम रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - बारामूला

4) भारत का दक्षिणतम रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - कन्‍याकुमारी

5) भारत का पश्चिमतम रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - ओखा

6) भारत का सबसे पूर्वी रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - लीडो

7) भारत का सबसे बड़ा रेलवे जंक्‍शन कौन सा है? - मथुरा (यहां से सात अलग-अलग दिशाओं में गाडि़यों का परिचालन होता है)

8) भारत का सबसे लम्‍बा रेलवे प्‍लेटफार्म कहॉं है? - खड़गपुर (1072 मीटर)

9) भारतीय रेलवे में सर्वप्रथम आईएसओ 9001-2000 सर्टिफिकेट प्राप्‍त करने वाला रेलवे स्‍टेशन कौन सा है?- हबीबगंज (भोपाल मण्‍डल)

10) भारत में सर्वाधिक प्‍लेटफार्मों वाला रेलवे स्‍टेशन कौन सा है? - हावड़ा (26 प्‍लेटफॉर्म)

Voter ID Card Apply Status Online In Hindi

वोटर आइडेंटिटी कार्ड



क्या हैं वोटर आइडेंटिटी कार्ड What Is Voter ID Card In Hindi

इलेक्शन के समय देश के उन लोगो की सूची बनाना बहुत ही मुश्किल काम है जो चुनाव मे वोट देने के लिए योग्य है। वोटर आईडी कार्ड (Voter ID Card) बनाने का मुख्य उद्देश्य उन लोगो को वोटिंग के लिए रजिस्टर करना है जो वोटिंग के लिए योग्य है तथा इन लोगो को इलेक्शन के समय वोटिंग स्टेशन तक पहुचाना है।
जब इलेक्शन के समय वोटर वोट देने के लिए जाता है तो सबसे पहले वोटर का पहचान पत्र चेक किया जाता है चेक करते समय व्यक्ति का नाम तथा उसका रजिस्ट्रेशन नंबर चेक किया जाता है। वोट देने के पहले व्यक्ति का वोटर कार्ड इलेक्शन ऑफिसर के पास उपस्थित लिस्ट से चेक किया जाता है तथा मैच होने पर ही व्यक्ति को वोट देने के लिए अनुमति दी जाती है । एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक फेक वोटिंग की संभावना को टालने के लिए व्यक्ति की उंगली पर निशान लगाया जाता है।



फॉर्म भरने के लिए साधारण इन्सट्रक्शन Easy Instruction For Applying Voter ID Card In Hindi

  • कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष या इससे अधिक आयु का हो वोटर आईडी (Voter ID Card) के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है।
  • अगर कोई व्यक्ति अपनी रहने की जगह बदलता है तो वह दोबारा अपना वोटर आईडी कार्ड (Voter ID Card) बना सकता है।
  • साल के किसी भी दिन व्यक्ति चाहे तो वोटर आईडी कार्ड (Voter ID Card)के लिए अप्लाई कर सकता है ।

वोटर आईडी के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करे How to Apply For Voter ID Card Online In Hindi :

वोटर कार्ड (Voter ID Card)के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है। हर राज्य की ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए अलग अलग साइट है। यह साइट बहुत ही सरल है तथा यह हर भाषा मे उपलब्ध है । इन साइट पर कोई भी व्यक्ति आसानी से काम कर सकता है।

ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए स्टेप्स Easy Steps For Voter ID Card In Hindi

  • सर्वप्रथम इलेक्शन कमीशन की साइट खोले।
  • खोलने के बाद एनरोल फॉर न्यू कार्ड पर क्लिक करे ।
  • अपना ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर तथा अपना स्टेट टाइप करे फिर आपको लॉग इन आईडी और पासवर्ड मिल जाता है।
  • लॉग इन करने के बाद अपनी डीटेल भरिये।
  • फॉर्म 6 सर्च करने के बाद इसमे दी गयी डीटेल भरना चाहिए ।
  • इसके साथ पासपोर्ट साइज़ फोटो लगाना चाहिए ।
  • इसके बाद आपको अपनी डीटेल कन्फ़र्म करने को कहा जाता है। अपनी डीटेल कन्फ़र्म करने के बाद फॉर्म सबमिट करना चाहिए।
  • इसके बाद successful submission page खुलता है। ओर आपकी ईमेल आईडी पर मैसेज आता है।
इसके बाद आप अपने वोटर कार्ड (Voter ID Card) के लिए अप्लाई कर चुके होते है। अपने वोटर कार्ड (Voter ID Card) को कन्फ़र्म करने के लिए इस फॉर्म का प्रिंट आउट लेकर इसे ऑफिस मे सबमिट करना होता है । इसके बाद बस आपको अपने वोटर कार्ड(Voter ID Card) के आने का वैट करना होता है।

वोटर कार्ड के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने के फायदे Benefits Of Voter ID Card In Hindi

वोटर कार्ड (Voter ID Card) के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना एक बहुत ही सरल ओर टाइम बचाने वाली प्रक्रिया है। ऑनलाइन अप्लाई करने के बहुत सारे फायदे हैं जिससे कोई व्यक्ति ऑफलाइन को छोड़कर ऑनलाइन वोटर कार्ड (Voter ID Card) के लिए अप्लाई करता है।
  • ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया से आप एक लंबी लाइन मे लगने तथा समय खराब करने से बच जाते है ।
  • आप जब चाहे तब अप्लाई कर सकते है तथा वोटर कार्ड (Voter ID Card) आपको अपने घर पर मिल जाता है।
  • आप अपने वोटर कार्ड (Voter ID Card) का स्टेटस चेक कर सकते है और जब आप ऑनलाइन अप्लाई करते है आप अपने वोटर कार्ड (Voter ID Card) का ऑटोमैटिक स्टेटस प्राप्त करते है।
  • अगर आप अपने कार्ड (Voter ID Card) के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते है तो आपको अपना कार्ड 1 महीने के अंदर ही मिल जाता है इसके विपरीत जब आप ऑफलाइन अप्लाई करते है तो वोटर कार्ड प्राप्त करने के लिए 9 से 10 महीने लगते है।

गुरुवार, 28 जनवरी 2016

जोक्स :- पत्नी की अंग्रेजी

पत्नी की अंग्रेजी




घोंचू लाल अपनी पत्नी को अंग्रेजी का प्रशिक्षण दे रहे थे।

दोपहर में उनकी पत्नी ने कहा - यह लो डिनर....।

घोंचू लाल - पागल, यह डिनर नहीं लंच है




पत्नी - पागल होगा तू, यह कल रात का बचा खाना है। 



जोक्स :- भगवान का चालान

भगवान का चालान



दो दोस्त मोटर-साईकिल पर तेज रफ्तार से जा रहे थे।

उन्हें एक ट्रैफिक पुलिस वाले ने रोका और कहा : “तुम ये क्या कर रहे हो, अगर एक्सीड़ेंट हो गया तो”?

दोनों दोस्त बोले : आप चिंता मत कीजिए कांस्टेबल साहब, भगवान हमारे साथ है”। 

कांस्टेबल : ओह! ‘इसका मतलब एक मोटर-साईकल पर तीन आदमी’, चलो चालान कटाओ। 

जोक्स :- ड़ॉक्टर के हुकम से

ड़ॉक्टर के हुकम से




बेयरा : “अरे-अरे बाबु जी, आप ये चम्मच किससे पूछकर ले रहे हैं”? 

दयानन्द : “ड़ॉक्टर के हुकम से”। 

बेयरा : “क्या मतलब”। 

जेब से दवा की शीशी निकाल कर दिखाते हुए दयानन्द : “देखो, दवा की इस शीशी पर लिखा है.....खाना खाने के बाद दो चम्मच ले लें”।

जीवन का सत्य

जीवन का सत्य




एक बार कुछ पुराने मित्र कॉलेज छोड़ने के कई वर्षों बाद मिले और उन्होंने अपने कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर से मिलने का सोचा|
वे अपने प्रोफ़ेसर के घर गए| प्रोफ़ेसर ने उनका स्वागत किया एंव वे सभी बातें करने लगे| प्रोफ़ेसर के सभी छात्र अपने अपने करियर में सफल थे और आर्थिक रूप से सक्षम थे| प्रोफ़ेसर ने सभी से उनकी जिंदगी एंव करियर के बारे में पूछा|
सभी ने यही कहाँ कि वे अपने अपने क्षेत्रों में अच्छा कर रहे है| लेकिन सभी ने कहाँ कि भले ही वे आज अपने अपने करियर में सफल है लेकिन उनके स्कूल एंव कॉलेज के समय की जिंदगी आज की Life से कहीं ज्यादा अच्छी थी| उस समय उनकी जिंदगी में इतना ज्यादा तनाव एंव काम कर प्रेशर नहीं था|
प्रोफ़ेसर ने सभी के लिए चाय बनाई| प्रोफ़ेसर ने कहा कि मैं चाय तो ले आया लेकिन सभी अपने अपने कप अन्दर रसोई से ले आएं| रसोई में कई तरह के अलग अलग कप रखे हुए थे| सभी रसोई में गए और रसोई में पड़े बहुत सारे कपों में से अपने लिए अच्छे से अच्छा कप लेकर आ गए|
जब सभी ने चाय पी ली तो प्रोफ़ेसर ने कहा – मैं आप लोगों को आपके जीवन की एक सच्चाई बताता हूँ| आप सभी रसोई में से सबसे महंगे और शानदार दिखने वाले कप उठाकर ले आये है| आप में से कोई भी अन्दर पड़े साधारण एंव सस्ते कप नहीं लेकर आया है|
प्रोफ़ेसर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा – दोस्तों कप का उद्देश्य चाय को उठाना होता है और ज्यादा महंगे एंव अच्छे दिखने वाले कप, चाय को अधिक स्वादिष्ट नहीं बनाते| हमें अच्छी चाय की आवश्यकता होती है, महंगे कप की नहीं|
हमारी Life चाय की तरह होती है और नौकरी, पैसा एंव समाज में इज्जत इन कप की तरह होती है| नौकरी एंव पैसा जीवन जीने के लिए आवश्यक है लेकिन यह जीवन नहीं है|

कभी कभी हम लोग अधिक महंगे एंव अच्छे दिखने वाले कप के चक्कर में “चाय” को भूल जाते है| जिस तरह चाय का स्वादिष्ट होना कप पर नहीं बल्कि चाय की गुणवता एंव चाय बनाने के तरीके पर निर्भर करता है उसी तरह हमारे जीवन में खुशियाँ पैसों पर नहीं बल्कि हमारे संस्कारों एंव हमारे जीवन जीने के तरीके पर निर्भर करती है|  

क्या है खुश रहने का राज़

क्या है खुश रहने का राज़





एक समय की बात है, एक गाँव में महान ऋषि रहते थे| लोग उनके पास अपनी कठिनाईयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे| एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और ऋषि से एक प्रश्न पूछा| उसने ऋषि से पूछा कि “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हुईं कि हमेशा खुश रहने का राज़ क्या है (What is the Secret of Happiness)?” ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness) बताता हूँ|
ऐसा कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|
कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा| लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसे दर्द हो रहा है| तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी|
तभी ऋषि ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”| व्यक्ति ने कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|
तो ऋषि ने कहा-

जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोडा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर| अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं






नन्हीं चिड़िया

नन्हीं चिड़िया


बहुत समय पुरानी बात है, एक बहुत घना जंगल हुआ करता था| एक बार किन्हीं कारणों से पूरे जंगल में भीषण आग लग गयी| सभी जानवर देख के डर रहे थे की अब क्या होगा??थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे
 पूरा जंगल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था| उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी उसने देखा क़ि सभी लोग भयभीत हैं जंगल में आग लगी है मुझे लोगों की मदद करनी चाहिए|
यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी|
 वह बार बार नदी में जाती और चोच में पानी डालती| पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था 
उसने चिड़िया की इस हरकत को देखा और मन ही मन सोचने लगा बोला क़ि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है 
इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है|  
यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया और बोला कि तुम मूर्ख हो इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है|
चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया-मुझे पता है कि मेरे इस प्रयास से कुछ नहीं होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से करना है, आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूँगी| 
उल्लू यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ| 

तो मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है| जब कोई परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए यही इस कहानी की शिक्षा है
 




बुधवार, 27 जनवरी 2016

खुशीयाँ यूं ही नही मिलती किसी काे।

खुशीयाँ यूं ही नही मिलती किसी काे।


ϒ खुशीयाँ यूं ही नही मिलती किसी काे। ϒ

खुशीयाँ यूं ही नही मिलती किसी काे।
जब तक ना जीवन में कड़ी मेहनत हाे॥
खुशीयाें से भरा हर पल हाेता है।
जिंदगी में सुनहरा हर कल हाेता है॥
मिलती है कामयाबी उन लाेगाे काे।
जिनमें मेहनत करने का जज़्बा हाेता है॥
जिंदगी भी उनके आगे सर झुकाती है।
जिनकी मेहनत में दम हाेता है॥
डरते नही वाे मुश्किलों से ना ही,
राह की अडचनाे से॥
मुसकरा कर आगे बढ़ते है।
सामना करते है हर मुशकिलाे का, अडचनाे का॥
भविष्य खुद ही सुनहरा बनाते है।
बिना किसी की मदद के बिना॥
©- विमल गांधी ∇

रविवार, 24 जनवरी 2016

जोक्स :- पप्पू


पप्पू 



पप्पू फ़ौज में ट्रक ड्राइवर था | एक बार ट्रक में कुछ फौजियों और मेजर को लेकर लद्दाख जा रहा था | बीच रास्ते में ट्रक का डीजल खत्म हो गया | मेजर ने फौजियों को ट्रक को धक्का लगाने का हुक्म दिया |


करीब 12 किलोमीटर धक्का लगाने के बाद एक पेट्रोल पम्प मिला लेकिन तब तक जवानों का बुरा हाल हो चूका था, कुछ तो बेहोशी की कगार पर थे | पप्पू जब डीजल भरवा रहा था तो…


मेजर साहब ने कहा: पप्पू, पीछे पड़े ड्रम में भी डीजल भरवा लो |


पप्पू: सर वह तो पूरा भरा पड़ा है, इमरजेंसी के लिए रखा है…यह सुनकर मेजर साहब बेहोश हो गये |









जोक्स :- संता का सपना


संता का सपना



संता: काश! मैं गणपति होता, तो तुम रोज मेरी पूजा करती, मुझे लड्डू खिलाती… बड़ा मजा आता |

 

प्रीतो: हां, काश तुम गणपति होते! रोज तुम्हें लड्डू खिलाती और हर साल विसर्जन करके नए गणपति घर पर लाती | कितना मजा आता नई!


जोक्स :- अमृत जैसा मुंह

अमृत जैसा मुंह 

जो अमृत पीते हैं उन्हें देव...

और जो विष पीते हैं उन्हें 'महादेव' कहते है...

लेकिन विष पीकर भी जो अमृत जैसा मुंह बनाए .....

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उसे 'पतिदेव' कहते हैं .

जोक्स :- शादी के पहले

शादी के पहले  

बेटी ध्यान रखना कि यदि पति पहली बार रूठे तो रब रूठे,

दूसरी बार रूठे तो दिल टूटे,

तीसरी बार रूठे तो जग छूटे,

और अगर बार-बार ही रूठता ही रहे तो...

निकाल डंडा मार साले को, जब तक डंडा न टूटे...!

जोक्स :- लापता पत्नी

लापता पत्नी

 

 

आदमी- सर, मेरी पत्नी लापता है।

डाकिया- ये डाकघर है, पुलिस थाना नहीं।

आदमी- ओह सॉरी!!!

साला ख़ुशी के मारे कहाँ जाऊं समझ में नहीं आ रहा।

 

जोक्स :- बड़े भाई का आशीर्वाद

बड़े भाई का आशीर्वाद 

 

 

 बड़े भाई का आशीर्वाद
एक लड़का रास्ते में चलते-चलते गधे के सामने गिर गया.
उसी वक्त वहां से रास्ते में एक लड़की जा रही थी,
उसने लड़के को छेड़ते हुए कहा, अपने बड़े भाई का आशीर्वाद ले रहे हो क्या?
लड़के ने जवाब दिया: आपने सही फरमाया भाभी जी.

जोक्स :- बाप बेटा और कोलंबस

बाप बेटा और कोलंबस

एक दिन बच्चा अपने पिता से सवाल करता है
पापा हम दोनों में से ज्यादा काबिल कौन है मै या आप..?
पिता :- मैं , क्योंकि एक तो मैं तुम्हारा बाप हूं और
दूसरा तुम से उम्र में बड़ा हूं और मेरा तर्जुबा भी तुम से ज्यादा है
बच्चा :- फिर तो आपको पता ही होगा कि
अमेरिका की खोज किसने की थी..?
पिता :- हां पता है, कोलंबस ने की थी
बच्चा :- कोलंबस के बाप ने क्यों नही की..?
उसका तजुर्बा भी तो कोलंबस से ज्यादा ही रहा होगा ना पिताजी..?
पिता बेहोश.... अभी अपोलो में भर्ती है

शनिवार, 23 जनवरी 2016

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस   

 

 

देश की आजादी में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अनेक महापुरुष हुए हैं। ऐसी ही महान विभूतियों में से एक थे सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गाँधी ने नेताजी को देशभक्तों का देशभक्त कहा था। 

सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। सुभाष का ताल्लुक एक कुलीन परिवार से था, उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।

स्वामी विवेकानंद को अपना आर्दश मानने वाले सुभाष चन्द्र बोस जब भारत आए तो रविन्द्रनाथ टैगोर के कहने पर सबसे पहले गाँधी जी से मिले थे । गाँधी जी से पहली मुलाकात मुम्बई में 20 जुलाई 1921 को हुई थी। गाँधी जी की सलाह पर सुभाष कोलकता में दासबाबू के साथ मिलकर आजादी के लिये प्रयास करने लगे। जब दासबाबू कोलकता के महापौर थे, तब उन्होने सुभाष चन्द्र बोस को महापालिका का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी बनाया था। अपने कार्यकाल के दौरान सुभाष बाबु ने कोलकता के रास्तों का अंग्रेजी नाम बदलकर भारतीय नाम कर दिया था ।

संभ्रात परिवार के होने के बावजूद भी उनका झुकाव सांसारिक धन, वैभव या पदवी की ओर नही था। मित्रगणं उन्हे सन्यासी पुकारते थे। सुभाष चन्द्र बोस को उनके घर वाले विलायत पढने के लिये इस आशा से भेज था कि सुभाष आई. सी. एस. की उच्च परिक्षा पास करके बङी सरकारी नौकरी करेंगे और परिवार की समृद्धि एवं यश की रक्षा करेंगे किन्तु जिस समय वे विलायत में थे, उसी समय अंग्रेजी सरकार के अन्यायपूर्ण नियमों के विरुद्ध गाँधी जी ने सत्याग्रह संग्राम छेङ हुआ था। सरकार के साथ असहयोग करके उसका संचालन कठिन बनाना, इस संग्राम की अपील थी। गाँधी जी से प्रभावित होकर सुभाष अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोङकर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गये। आई. सी. एस. की परिक्षा पास करके भी सरकारी नौकरी छोङ देने वाले सबसे पहले व्यक्ति सुभाष चन्द्र बोस थे। अनेक इष्ट-मित्रों ने और स्वयं ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री ने उनको ऐसा न करने के लिये बहुत समझाया , किन्तु कलेक्टर और कमिश्नर बनने के बजाय सुभाष चन्द्र बोस को मातृ भूमि का सेवक बनना ज्यादा श्रेष्ठ लगा।
बंगाल के श्रेष्ठ नेता चितरंजन दास गाँधी जी के आह्वान पर अपनी लाखों की बैरस्टरी का मातृ भूमि के लिये त्याग कर चुके थे। सुभाष बाबु के त्याग को सुनकर उन्हे बहुत खुशी हुई। चितरंजन दास देशबन्धु के त्याग से सुभाष भी बहुत प्रभावित हुए थे। सुभाष बाबु देशबन्धु को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे और उनके प्रति अत्यंत आदर और श्रद्धा का भाव रखते थे।

सुभाष चन्द्र बोस के ओजस्वी भाषणों से हजारों विद्यार्थी, वकील, सरकारी नौकर गाँधी जी के आंदोलन में शामिल हो गये । सुभाष बाबु के तेज प्रवाह से डर कर अंग्रेज सरकार ने चितरंजन दास और सुभाष को 6 महिने कैद की सजा सुनाई।
सुभाष, भारत माँ की आजादी के साथ ही अनेक सामाजिक कार्यों में दिल से जुङे थे। बंगाल की भयंकर बांढ में घिरे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना, उनके लिये भोजन वस्त्र आदि का प्रबंध स्वयं करते थे। उनके परिश्रम को देखकर सरकारी अघिकारी भी प्रशंसा किये बिना न रह सके। समाज-सेवा का कार्य नियमित रूप से चलता रहे इसलिये उन्होने “युवक-दल” की स्थापना की थी। कुछ समय पश्चात युवक दल ने किसानों के हित में कार्य आरंभ किया जिसका लक्ष्य, किसानो को उनका हक दिलाना था।


सुभाष बाबु के प्रभाव से अंग्रेजी सरकार भयभीत हो गई । अंग्रेजों ने उन पर आरोप लगाया कि वे बम और पिस्तौल बनाने वाले क्रांतिकारियों के साथ हैं। उन्हे कुछ दिन कोलकता की जेल में रखने के बाद मांडले(वर्मा) की जेल में भेज दिया गया, जहाँ लगभग 16, 17 वर्ष पहले लाला लाजपत को एवं लोकमान्य बाल गंगाधर को रखा गया । अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष बाबू को कुल ग्यारह बार कारावास हुआ था। राजनीतिक प्रेरणास्रोत देशबन्धु चितरंजन दास के निधन का समाचार, सुभाष बाबु को मांडले जेल मे मिला, ये उनके लिये बहुत ही दुखःदायी समाचार था। 11 महिने की कारावास में उनको इतनी तकलीफ नही हुई थी, जितनी इस खबर से हुई। देशबंधु चितरंजन दास की कही बात “बंगाल के जल, बंगाल की मिट्टी, में एक चितरंजन सत्य निहित है।“ से सुभाष चन्द्र बोस को कोलकता से दूरी का एहसास होने लगा था। फिर भी जेल में रहने का उनको दुःख नही था, उनका मानना था कि भारत माता के लिये कष्ट सहना गौरव की बात है। मांडले जेल में अधिक बीमार हो जाने के कारण सरकार ने उनको छोङने का हुक्म दे दिया।

कोलकता में वापस भारत की आजादी के लिये कार्य करने लगे। इसी दौरान क्रांतिकारी नेता यतींद्रनाथ ने लाहौर जेल में 63 दिन के भूख हङताल करके प्राण त्याग दिये । शहीद यतींद्रनाथ की शव यात्रा को पूरे जोश के साथ निकाला गया । इस अवसर पर सुभाष बाबु अंग्रेजों को खिलाफ बहुत ही जोशिला भांषण दिया , जिस वजह से उनको पुनः गिरफ्तार कर लिया गया।

इस प्रकार जब कई बार जेल भेज कर सरकार थक गई तो उनको नजरबंद कर दिया गया। इस हालत में सुभाष बाबु का स्वास्थ पुनः खराब हो गया। जेल से रिहा करने के बजाय उनको इलाज के लिये स्वीट्जरलैंड भेज दिया गया। विदेश में रह कर भी देश की स्वाधीनता के लिये कार्य करते रहे।

पिता की बिमारी की खबर मिलने पर सरकार के मना करने पर भी भारत आये लेकिन जहाज से उतरते ही उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया और इस शर्त पर छोङे गये कि जब तक भारत में रहेंगे किसी राजनीतिक गतिविधी में भाग नही लेंगे। पिता के अंतिम क्रियाकर्मों के बाद उन्हे विदेश वापस जाना पङा।


दो वर्ष बाद वापस भारत आये किन्तु पुनः पकङ लिये गये और जब सभी प्रान्तों में कांग्रेसी सरकार बन गई तब जेल से रिहा हो पाये। 1938 में कांग्रेस के सभापति बनाये गये। रविन्द्रनाथ टैगोर, प्रफुलचन्द्र राय, मेधनाद साह जैसे वैज्ञानिक भी सुभाष की कार्यशैली के साथ थे। 1938 में गाँधी जी ने कांग्रेस अध्यक्षपद के लिए सुभाष को चुना तो था, मगर गाँधी जी को सुभाष बाबू की कार्यपद्धती पसंद नहीं आयी। इसी दौरान युरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के बादल छा गए । सुभाष बाबू चाहते थे कि इंग्लैंड की इस कठिनाई का लाभ उठाकर, भारत का स्वतंत्रता संग्राम अधिक तेज कर दिया जाए। उन्होने अपने अध्यक्षपद के कार्यकाल में इस तरफ कदम उठाना भी शुरू कर दिया था। गाँधी जी इस विचारधारा से सहमत नहीं थे।भगत सिहं को फासी से न बचा पाने पर भी सुभाष, गाँधी जी एवं कांग्रेस से नाखुश थे। इन मतभेदों के कारण आखिरकार सुभाष चन्द्र बोस ने कांग्रेस पार्टी छोङ दी ।

1940 में रामगढ कांग्रेस के अधिवेशन के अवसर पर सुभाष बाबू ने “समझौता विरोधी कॉनफ्रेस” का आयोजन किया और उसमें बहुत जोशीला भांषण दिया । “ब्लैक-हॉल” स्मारक को देश के लिये अपमानजनक बतला कर उसके विरुद्ध आन्दोलन छेङ दिये। इससे अंग्रेज सरकार ने उन्हे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जहाँ उन्होने भूख हङताल कर दी आखिर अंग्रेजों को उन्हे छोङना पङा और उनकी माँग के आगे झुकना पङा, जिससे “ब्लैक-हॉल स्मारक” को हटाना स्वीकार किया गया।

सन् 1941 में जब कोलकता की अदालत में मुकदमा पेश होना था, तो पता चला कि वह घर छोङ कर कहीं चले गये हैं । दरअसल सुभाष बाबु वेष बदल कर पहरेदारों के सामने से ही निकल गये थे। भारत छोङकर वह सबसे पहले काबुल गये तद्पश्चात जर्मनी में हिटलर से मिले। उन्होने जर्मनी में “भारतीय स्वतंत्रता संगठन” और “आजाद हिंद रेडिओ” की स्थापना की थी। जर्मनी से गोताखोर नाव द्वारा जापान पहुँचे। । अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं का आह्वान करते हुए कहा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दुंगा।”

आज़ाद हिन्द फ़ौज में औरतो के लिए झाँसी की रानी रेजिमेंट भी बनायी गयी। अपनी फौज को प्रेरित करने के लिए नेताजी ने “चलो दिल्ली” का नारा दिया। सैनिकों का हौसला बुलंद करने के लिये, उनके द्वारा दिया गया “जय हिन्द” का नारा, भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया ।

दोनो फौजो ने अंग्रेजों से अंडमान और निकोबार द्वीप जीत लिए। यह द्वीप अर्जी-हुकुमत-ए-आजाद-हिंद के अनुशासन में रहें। नेताजी ने इन द्वीपों का शहीद और स्वराज द्वीप नाम से नामकरण किया । दोनो फौजो ने मिलकर इंफाल और कोहिमा पर आक्रमण किया। लेकिन बाद में अंग्रेजों का पलडा भारी पडा और दोनो फौजो को पीछे हटना पडा। सुभाष चन्द्र बोस आजादी के लिये निरंतर प्रयास करते रहे। 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद, नेताजी को नया रास्ता ढूँढना जरूरी हो गया । उन्होने रूस से सहायता माँगने का निश्चय किया।
 
अतः 18 अगस्त 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मांचुरिया की तरफ जा रहे थे। इस सफर के दौरान वे लापता हो गए। इस दिन के बाद वे कभी किसी को दिखाई नहीं दिये। नेताजी कहाँ लापता हो गए और उनका आगे क्या हुआ, यह भारत के इतिहास का सबसे बडा अनुत्तरित रहस्य हैं।
इस प्रकार देश के महान आत्म बलिदानी के जीवन का अंत असमय हो गया। अल्प समय में भारतीयों के मानस पटल पर एक अमिट छाप छोङ गये। सुभाष चन्द्र बोस ने 18 वर्ष की आयु में अपने पिता से कहा था कि- “विवेकानंद का आदर्श ही मेरा आदर्श है।”
स्वाधीनता के पुजारी सुभाष चन्द्र बोस ने भारत माता की आजादी के लिये अपना सर्वस्व , अपार योग्यता और कार्यशक्ति मातृभूमि के चरणों में अर्पित कर दिया । त्याग और बलिदान की इस प्रतिमूर्ति को कोटी-कोटी प्रणाम।

जय हिन्द, जय भारत

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय Nobel Prize Winner Indian

नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय Nobel Prize Winner Indian 

इस पोस्ट के माध्यम से हम सामान्य ज्ञान ( general knowledge ) अंतर्गत नोबेल पुरस्कार और भारत के नोबेल पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों से संबंधित प्रमुख जानकारी हिन्दी में प्रदान कर रहे हैं  उम्मीद है कि यह आपको काम आएगी
नोबेल पुरस्कार nobel prize
नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1901 से हुई है यह world का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो स्वीडन सरकार द्वारा दिया जाता है । नोबेल पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार के रूप में 8 मिलियन क्रोना ( लगभग ₹ 7.6 करोड़ ) ,एक स्वर्ण पदक और डिप्लोमा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार दिया जाता हैं। सन्  1886 में अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी मृत्यु के बाद अपनी वसीयत में अपने उद्योगों से प्राप्त वार्षिक आय पुरस्कार के रुप में दान कर दिया था। 1901 से यह पुरस्कार प्रतिवर्ष  10 दिसम्बर को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है।यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिनकी निम्न क्षेत्रों में विशेष योगदान रहा हो  ----
रसायन शास्त्र ( Chemistry)
भौतिकी ( Physics)
चिकित्सा ( Physiology or Medicine)
साहित्य ( literature)
विश्व शांति World Peace)
अर्थशास्त्र (Economics)
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 1969 से दिया जाता है।
रसायन व भौतिकी के पुरस्कार स्वीडिश रॅायल  एकेडमी आँफ साइंस के द्वारा नामांकित किया जाता है। चिकित्सा के लिए कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट आँफ मेडिसिन,साहित्य के लिए स्वीडिश एकेडमी आँफ लिटरेचर एवं शांति के लिए नार्वेजियन नोबेल समिति के द्वारा नामांकित किये जाते हैं। पुरस्कारों के लिए राशि बोर्ड आँफ डायरेक्टर द्वारा उपलब्ध कराया जाता है,जिसका प्रमुख स्वीडन सरकार नियुक्त करती है।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय
रवीन्द्रनाथ टैगोर - साहित्य - 1913
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार इनकी प्रसिद्ध पुस्तक "गीतांजलि" के लिए 1913 में साहित्य के क्षेत्र में दिया गया था। वह प्रथम भारतीय ही नहीं बल्कि प्रथम एशियाई भी थे जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
डाँ. सी. वी. रमन - भौतिकी - 1930
डाँ चन्द्रशेखर वेंकटरमन को उनकी खोज "रमन प्रभाव" के लिए 1930 में भौतिकी के लिए दिया गया था। पहले भारतीय वैज्ञानिक जिन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
डाँ  हरगोबिन्द खुराना - चिकित्सा - 1968

इन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में 1968 को उनकी खोज आनुवंशिक कोड की व्याख्या और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका का पता लगाने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मदर टेरेसा - शांति - 1979

अल्बानिया मूल की मदर टेरिसा को 1979 को  शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इन्होंने भारत में रहकर भारत के गरीब और पीड़ित व्यक्तियों की अभूतपूर्व मदद की थी। इनकी मृत्यु कोलकाता में हुई थी। इनकी संस्था आज भी लोगों की मदद कर रही है।
डाँ एस चन्द्रशेखर - भौतिकी - 1983

डाँ. सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर खगोल भौतिक शास्त्री थे। इनके द्वारा 'व्हाइट ड्वार्फ' " श्वेत बौने" नामक नक्षत्रों का सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। इन नक्षत्रों की जो सीमा निर्धारित की उसे "चन्द्रशेखर सीमा" कहा जाता है। इसी सिद्धांत के लिए इन्हें 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
प्रो. अमर्त्य सेन - अर्थशास्त्र - 1998

प्रो. अमर्त्य सेन  अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई है।  इनके द्वारा "लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र" की अवधारणा का प्रतिपादन किया गया है।इस अवधारणा के लिए 1998 में इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
वी. एस. नॅायपाल - साहित्य - 2001

विद्याधर सूरजप्रसाद नॅायपल का जन्म त्रिनिदाद एंड टोबैगो में हुआ था। इनके पूर्वजों का सम्बन्ध भारत से था। इन्हें 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।
आर. के. पचौरी - शांति - 2007

राजेंद्र पचौरी के जलवायु परिवर्तन पर किये शोध के लिए 2007 में जलवायु परिवर्तन के लिए बनी सयुक्त राष्ट्र की कमेटी के साथ संयुक्त रूप शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
वेंकटरमण रामकृष्णन - रसायन शास्त्र - 2009


रसायन शास्त्र के क्षेत्र में  डाँ. रामकृष्णन को 2009 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इनके द्वारा राइबोसोम के त्रिविमीय (3D) मॅाडल को तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया था।
कैलाश सत्यार्थी  2014

कैलाश सत्यर्थी द्वारा बच्चों के  लिए गए महत्वपूर्ण कार्य के लिए 2014 को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार उन्हें मलाला युसुफजाई के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है।

भारत के राष्ट्रपति President of India

भारत के राष्ट्रपति  President  of India
 

  1. डाँ राजेन्द्र प्रसाद
  2. कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962  तक। डाँ राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति  तथा सर्वाधिक समय 12 वर्ष तक भारत के राष्ट्रपति रहे। डाँ राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे। 1962 में इन्हें भारत रत्न दिया गया था।
  3. डाँ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  4. कार्यकाल 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक । डाँ राधाकृष्णन भारत के पहले उप- राष्ट्रपति थे जो बाद भारत के राष्ट्रपति बने। डाँ राधाकृष्णन को 1954 में भारत रत्न दिया गया था।
  5. डाँ जाकिर हुसैन
  6. कार्यकाल 13 मई 1967 से  3 मई 1969 तक। डाँ जाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे । इनकी मृत्यु पद पर रहते हुए हुई थी । इनकी मृत्यु के बाद तात्कालिक उपराष्ट्रपति वी. वी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था । वी वी. गिरी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने से राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पद खाली होने पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।
  7. वी वी गिरि
  8. कार्यकाल 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक। वी. वी. गिरी के निर्वाचन के समय दूसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी। इन्होंने कांग्रेस का समर्थन प्राप्त होते हुए भी निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में जीते थे। वी. वी. गिरी भारत के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे थे। इन्हें 1975 में भारत रत्न दिया गया था।
  9. फखरुद्दीन अली अहमद
  10. कार्यकाल 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक। भारत के पाँचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद थे। वे दूसरे राष्ट्रपति थे जिनकी मृत्यु पद में रहते हुए हुई। इनकी मृत्यु के पश्चात् बी. डी. जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया।
  11. नीलम संजीव रेड्डी
  12. कार्यकाल 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति बने। यह एक बार चुनाव हारने के बाद भारत के एकमात्र निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए।
  13. ज्ञानी जैल सिंह
  14. कार्यकाल 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक। भारत के पहले सिक्ख राष्ट्रपति। राष्ट्रपति बनने के पहले पंजाब के मुख्यमंत्री तथा केंद्र में मंत्री रहे थे। भारतीय डाक घर संबंधी विधेयक पर पाकेट वीटो का प्रयोग करने वाले राष्ट्रपति।
  15. आर. वेंकटरमण
  16. कार्यकाल 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक। आर. वेंकटरमण ने सर्वाधिक प्रधानमंत्री को उनकी पद की शपथ दिलाई थी। वे 1984-87 में उपराष्ट्रपति भी रहे।
  17. डाँ शंकर दयाल शर्मा
  18. कार्यकाल 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक । डाँ शंकर दयाल शर्मा भारत के नौवें राष्ट्रपति थे।
  19. के. आर. नारायणन
  20. कार्यकाल 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक। के. आर नारायण भारत के पहले दलित राष्ट्रपति थे। वे लोकसभा चुनाव मतदान करने वाले तथा राज्य की विधानसभा को सम्बोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति थे।
  21. डाँ  ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
  22. कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक। डाँ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले वैज्ञानिक थे। वह सर्वाधिक मतों से जीतने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। इनके विपक्षी उम्मीदवार कैप्टन लक्ष्मी सहगल थे। डाँ कलाम भारत के मिसाईल मेन के नाम से जाने जाते हैं,इनके निर्देशन में रोहिणी -1 उपग्रह तथा अग्नि एवं पृथ्वी मिसाइलो का सफल प्रक्षेपण किया गया था। भारत के 1974 एवं 1998 के परमाणु परीक्षण में डाँ कलाम का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। 1997 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। डाँ कलाम देश विदेश के बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित हैं।
  23. श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल
  24. कार्यकाल 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक। श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति हैं । राष्ट्रपति बनने से पूर्व वह राजस्थान की राज्यपाल रही तथा 1962-85 के दौरान वह पांच बार महाराष्ट्र की विधानसभा सदस्य रही एवं 1991 में अमरावती से लोकसभा के लिए चुनी गई। श्रीमती प्रतिभा पाटिल सुखोई विमान उड़ाने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति चुनाव में इनके प्रतिद्वंद्वी भैरोसिंह शेखावत थे।
  25. प्रणब मुखर्जी
  26. कार्यकाल 25 जुलाई 2012 से  अब तक। श्री प्रणव मुखर्जी भारत के 13 वे राष्ट्रपति हैं। वह अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार पी. ए. संगमा को हराकर राष्ट्रपति बने। श्री मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूमी जिले के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। श्री मुखर्जी को 1997 सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार एवं 2008 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा असैनिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया था। श्री मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है । राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले वह केंद्र सरकार में वित्त मंत्री के पद पर थे।
अन्य तथ्य
राष्ट्रपति चुनाव में पहली महिला उम्मीदवार मनोहर होल्कर थी जिन्होंने 1967 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
ज्ञानी जैल सिंह सबसे कम आयु के राष्ट्रपति थे, राष्ट्रपति बनने के समय उनकी उम्र 64 वर्ष थी।
राष्ट्रपति के रुप में सबसे छोटा कार्यकाल डाँ जाकिर हुसैन का था , वे लगभग 2 वर्ष तक राष्ट्रपति रहे।
डाँ राधाकृष्णन , जाकिर हुसैन , वी. वी गिरि , आर वेंकटरमण , शंकर दयाल शर्मा एवं के. आर नारायणन उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बने थे।
राष्ट्रपति भवन जो कि स्वतंत्रता के पहले वायसराय भवन था उसके वास्तुकार लुटियंस थे
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यह लेख बहुत ही सावधनी से विभिन्न स्रोत के द्वारा बनाया गया है ……।

भारत के ऐतिहासिक युद्ध

भारत के ऐतिहासिक युद्ध

 

भारत के ऐतिहासिक युद्ध

  1. वितस्ता युद्ध- यह युद्ध सिकंदर एवं पोरस के बीच 326 ई.पू. में हुआ था। जिसमें सिकंदर विजयी हुआ था इसे हाइडेस्पीज या झेलम का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है
  2. चन्द्रगुप्त मौर्य - सेल्यूकस युद्ध - मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस निकेटर  के बीच 305 ई. पू. युद्ध हुआ जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य विजयी हुआ। सेल्यूकस ने इस युद्ध में चन्द्रगुप्त से संधि कर जिसके अनुसार काबुल, कंधार, हेरात, तथा मकरान चन्द्रगुप्त को दिया गया। सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया।
  3. हर्ष - पुलेकेशिन द्वितीय - यह युद्ध लगभग 630 - 634 ई. में पुष्यभूति वंश के हर्षवर्धन तथा चालुक्य शासक पुलेकेशिन द्वितीय के बीच हुआ था जिसमें हर्षवर्धन पराजित हो गया था। इस युद्ध की जानकारी पुलेकिशन द्वितीय के एहोल लेख से प्राप्त होती है।
  4. तराईन का प्रथम युद्ध - यह युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान बीच हुआ था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ।
  5. तराईन का द्वितीय युद्ध - 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान एवं  मुहम्मद गौरी के बीच दोबारा युद्ध हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी विजयी हुआ।
  6. चंदावर का युद्ध - चन्दावर का युद्ध 1194 ई. में  मुहम्मद गौरी एवं कन्नौज के राजा जयचन्द के बीच हुआ था जिसमें गौरी विजयी हुआ।
  7. पानीपत का प्रथम युद्ध - यह युद्ध बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच 12 अप्रैल 1526 ई. में हुआ था । इस युद्ध में बाबर ने विजय प्राप्त करके मुगल साम्राज्य की स्थापना की।बाबर द्वारा इस युद्ध में पहली बार तोपख़ाना एवं तुगलमा नीति का प्रयोग किया था।
  8. खानवा का युद्ध - बाबर एवं राणा सांगा के बीच यह युद्ध 16 मार्च 1527 ई. को हुआ जिसमें बाबर विजयी हुआ।
  9. चन्देरी का युद्ध - चन्देरी का युद्ध 29 जनवरी 1528 को बाबर एवं मेदिनीराय के बीच हुआ था। इसमें भी बाबर विजयी हुआ।
  10. घाघरा का युद्ध - बाबर तथा अफगानो के बीच 1529 ई. में घाघरा का युद्ध हुआ जिसमें बाबर विजयी हुआ।
  11. चौसा का युद्ध - यह युद्ध 1539 ई. को हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच हुआ था इसमें शेरशाह सूरी विजयी हुआ था।
  12. बिलग्राम का युद्ध - हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच 1540 ई. में बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध हुआ जिसमें फिर से शेरशाह सूरी विजयी हुआ । पराजित होकर हुमायूं सिंध चला गया तथा शेरशाह सूरी ने दिल्ली एवं आगरा में कब्जा कर लिया ।
  13. सरहिन्दी का युद्ध - 1555 ई. में हुमायूं ने सरहिन्दी के युद्ध में सूरी के वंशजों को हराकर पुनः दिल्ली में अपना अधिकार कर लिया।
  14. पानीपत का द्वितीय युद्ध - यह युद्ध 5 नवम्बर 1556 ई में अकबर एवं हेमू के बीच हुआ था। इस युद्ध में अकबर की सेना ने हेमू को पराजित कर दिया।
  15. तालीकोटा का युद्ध - 1565 ई. मे हुआ इस युद्ध को राक्षसी - तंगड़ी या बन्नीहट्टी का युद्ध भी कहा जाता है। यह युद्ध विजयनगर साम्राज्य एवं दक्षिण के राज्यों के बीच हुआ था। इसके परिणाम स्वरूप विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया।
  16. हल्दी घाटी का युद्ध- हल्दी घाटी का युद्ध महाराणा प्रताप तथा अकबर की सेना के बीच 1576 ई. में हुआ था। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आशफखाँ कर रहे थे। अकबर की सेना इस युद्ध में विजयी रही।
  17. असीरगढ़ का युद्ध - यह अकबर का अंतिम अभियान था जिसमें अकबर ने 1601 ई. में दक्षिण भारत के मीरन बहादुर से युद्ध किया।
  18. प्लासी का युद्ध- यह युद्ध अंग्रेजों एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच 1757 ई. में हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व क्लाइव तथा नवाब की सेना का नेतृत्व मीर जाफर कर रहा था। मीर जाफर ने अप्रत्यक्ष रुप से अंग्रेजों का साथ दिया जिससे नवाब की हार हुई।
  19. पानीपत का तृतीय युद्ध - यह युद्ध 1761 ई. में मराठों एवं अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ था। इस युद्ध में मराठों का नेतृत्व सदाशिव भाऊ ने किया था। मराठों की इस युद्ध में हार हो गई थी।
  20. बक्सर का युद्ध- बक्सर का युद्ध 1764 ई. हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व कैप्टन मुनरो एवं दूसरी ओर अवध के नवाब शुजाउद्दौला ,मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय एवं मीर कासिम की संयुक्त सेना थी अंग्रेजों ने इस युद्ध को जीत लिया। इसके बाद अवध के नवाब तथा मुगल बादशाह अंग्रेजों पर आश्रित हो गए।
  21. प्रथम आंग्ल - मैसूर युद्ध - यह युद्ध अंग्रेजों एवं मैसूर के शासक हैदर अली के बीच 1767 - 1769 ई में हुआ था। इस युद्ध में हैदर अली विजयी हुआ एवं अंग्रेजों ने हैदर अली के साथ मद्रास की संधि कर ली।
  22. द्वितीय आंग्ल - मैसूर युद्ध - 1780 - 1784 ई. में अंग्रेजों द्वारा मद्रास की संधि का पालन नहीं करने के फलस्वरूप यह युद्ध हुआ। हैदर अली की 1782 ई. में मृत्यु हो गयी । हैदर अली के पुत्र टीपु सुल्तान ने मैसूर सेना की कमान संभाली । अंत में टीपू सुल्तान ने 1784 ई. मे अंग्रेजों से मंगलौर की संधि कर ली ।
  23. तृतीय आंग्ल - मैसूर युद्ध - यह युद्ध  1790 - 1792 ई. में टीपू सुल्तान एवं अंग्रेजों के बीच हुआ जिसमें अंग्रेजों का नेतृत्व कार्नवालिस ने किया था। यह युद्ध 1792 ई. में श्रीरंगपत्तनम की संधि के साथ समाप्त हुआ।
  24. चतुर्थ आंग्ल - मैसूर युद्ध - इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व लार्ड वेलेजली था उसने टीपू सुल्तान पर अंग्रेजों के षड्यंत्र का आरोप लगाकर 1799 ई. में आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में टीपू सुल्तान मारा गया ।

चाणक्य नीति

चाणक्य नीति


हमारा देश पहले अलग-अलग जनपदों में विभाजित था। इसे एक सूत्र में बांधने का श्रेय आचार्य चाणक्य को जाता है। जो लोग आज भी आचार्य चाणक्य की कही बातों का पालन करते हैं, वे कई प्रकार की परेशानियों से बच सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आज हम आपको आचार्य चाणक्य की ऐसी  बातें बता रहे हैं, जो जीवन में आपके बहुत काम आएंगी।


कौन थे आचार्य चाणक्य?

चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे "कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंथ है।

  • कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए.
  • व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है.
  • भगवान मूर्तियों में नहीं है. आपकी अनुभूति आपका इश्वर है. आत्मा आपका मंदिर है.
  • अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए.
  • इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.
  • शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.
  • जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.
  • किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना.
  • जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?
  • कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.
  • सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए.
  • जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है.
  • सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये आपको बर्वाद कर देगा.
  • पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं.
  • फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है.
  • दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है.

महात्मा गांधी

मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।

बापू (काव्य)

बापू (काव्य) :रामधारी सिंह दिनकर

संसार पूजता जिन्हें तिलक,
रोली, फूलों के हारों से,
मैं उन्हें पूजता आया हूँ
बापू ! अब तक अंगारों से।


अंगार, विभूषण यह उनका
विद्युत पीकर जो आते हैं,
ऊँघती शिखाओं की लौ में
चेतना नयी भर जाते हैं।


उनका किरीट, जो कुहा-भंग
करके प्रचण्ड हुंकारों से,
रोशनी छिटकती है जग में
जिनके शोणित की धारों से।


झेलते वह्नि के वारों को
जो तेजस्वी बन वह्नि प्रखर,
सहते ही नहीं, दिया करते
विष का प्रचण्ड विष से उत्तर।


अंगार हार उनका, जिनकी
सुन हाँक समय रुक जाता है,
आदेश जिधर का देते हैं,
इतिहास उधर झुक जाता है।

साजन! होली आई है

साजन! होली आई है!  - फणीश्वरनाथ रेणु  


 साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!
साजन! होली आई है!
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है!
जलाने जग को आई है!
साजन! होली आई है!
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है!
जिलाने हमको आई है!
साजन ! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन! होली आई है!
साजन ! होली आई है !
यौवन की जय !
जीवन की लय!
गूँज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन! होली आई है!

सोमवार, 18 जनवरी 2016

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ

 

 भारत और गणित के बीच रिश्ता कोई नया नहीं है। यह 1200 ईसा पूर्व और 400 ईस्वी से 1200 ईस्वी के स्वर्ण युग तक जाता है जब भारत के महान गणितज्ञों ने इस क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया था। भारत ने दुनिया को दशमलव प्रणाली, शून्य, बीजगणित, उन्नत ट्रिगनोमेट्री यानि त्रिकोणमिति, नेगेटिव नंबर यानि नकारात्मक संख्या और इसके अलावा बहुत कुछ दिया है। 15 वीं शताब्दी में केरल के एक स्कूल के गणितज्ञ ने त्रिकोणमिति का विस्तार किया। यह यूरोप में गणना के आविष्कार से भी दो सदी पहले हुआ था। वैदिक काल के वेद ग्रंथ भी संख्या के इस्तेमाल के प्रमाण हैं। वैदिक काल का जो गणित ज्यादातर वैदिक ग्रंथों में मिलता है वह पारंपरिक है। संस्कृत वह मुख्य भाषा है जिसमें भारत में प्राचीन और मध्य काल का गणितीय काम किया गया था। सिर्फ यही नहीं बल्कि गणित का इस्तेमाल प्रागैतिहासिक काल में भी देखा जा सकता है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई जैसे हड़प्पा और मोहन जोदड़ो में भी गणित के व्यवहारिक इस्तेमाल के प्रमाण मिलते हैं। दशमलव प्रणाली का इस्तेमाल सभ्यता में वजन संबंधी अनुपात जैसे 0.05, 0.1, 0.2, 0.5, 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200 और 500 में किया जाता था। वे लोग ब्रिक्स के सबसे ज्यादा स्थिर आयाम का इस्तेमाल 4:2:1 में रुप में करते थे। वैदिक काल, 400 से 1200 का शास्त्रीय काल और आधुनिक भारत में हमारे पास कई मशहूर गणितज्ञ थे।

आर्यभट्ट

कौन होगा जिसने वैदिक युग के प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट के बारे में नहीं सुना होगा? उनका जन्म 476 ईस्वी में हुआ था। उनके जन्मस्थान के बारे में विश्वास से नहीं कहा जा सकता लेकिन यह आज के समय का महाराष्ट्र या ढाका हो सकता है।
उन्होंने आर्यभटीय लिखी जिसमें गणित के बुनियादी सिद्धांत 332 श्लोकों के माध्यम से शामिल हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो आर्यभट्ट प्रथम ने द्विघात समीकरण, त्रिकोणमिति, साइन सारणी, कोसाइन सारणी, वरसाइन सारणी, गोलीय त्रिकोणमिति, खगोलीय स्थिरांक, अंकगणित, बीजगणित आदि हमें दिए हैं।
ये वही हैं जिन्होंने कहा था कि पृथ्वी प्रतिदिन अपनी ही धुरी पर घूमती है ना कि सूरज। उन्होंने वैज्ञानिक रुप से सूर्य और चंद्र ग्रहणों की अवधारणा को समझाया था।
पिंगला
एक अन्य लोकप्रिय गणितज्ञ जिन्होंने गणित के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया वह पिंगला हैं। उन्होंने संस्कृत में छंद शास्त्र लिखा था। बाइनोमियल थियोरम यानि द्विपद प्रमेय के ज्ञान के बिना ही उन्होंने पास्कल त्रिकोण समझाया था।
कात्यायन
कात्यायन वैदिक काल के आखरी गणितज्ञ थे और उन्होंने कात्यायन सुलभ सूत्र लिखा था। उन्होंने 2 के वर्ग मूल की पांच सही दशमलव स्थानों से गणना समझाई थी। उन्होंने ज्यामिति और पाइथागोरस सिद्धांत में उल्लेखनीय योगदान दिया।
जयदेव
नौवीं शताब्दी के इस मशहूर गणितज्ञ ने चक्रीय विधि विकसित की जिसे ‘चक्रवला’ के रुप में जाना जाता है।
महावीरा
नौवीं शताब्दी के इस दक्षिण भारतीय गणितज्ञ ने द्विघात और घन समीकरणों को हल करने की दिशा में बहुत योगदान दिया।
ब्रम्हगुप्त
भारत के इस गणितज्ञ ने बहुत अच्छा खगोलीय काम किया। उन्होंने ब्रम्हगुप्त प्रमेय और ब्रम्हगुप्त सूत्र दिया जिस पर लोकप्रिय हेरन सूत्र आधारित है। ब्रम्हगुप्त ने गुणा के चार तरीके भी दिए थे।
भास्कर प्रथम
यह भारत के पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने संख्या को दशमलव के रुप में हिंदू और अरबी शैली में लिखा था।
भास्कराचार्य
क्या आप जानते हैं कि किसने बताया था कि यदि किसी संख्या को शून्य से विभाजित किया जाए तो परिणाम अनंत आएगा? हां, आप सही हैं। भास्कराचार्य जिन्हें भास्कर द्वितीय भी कहा जाता है, ने ही यह अवधारणा दी थी। साथ ही उन्होंने शून्य, क्रमचय और संयोजन और सर्डस के बारे में समझाया था।
भास्कराचार्य ने यह भी समझाया कि धरती समतल क्यों दिखती है, क्योंकि उसके वृत्त का सौवां हिस्सा सीधा दिखता है।
एस रामनुजम
ये आधुनिक भारत के बहुत प्रसिद्ध गणितज्ञ हैं। गणित में पाई के अध्ययन का तरीका उनका बहुत बड़ा योगदान है।
इनके अलावा आधुनिक भारत के बहुत से गणितज्ञ हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में योगदान दिया है। जैसे तिरुक्कनपुरम विजयराघवन  (1902-1955), हरीश चंद्र (1920-1983), 1932 में जन्में एमएस नरसिम्हन, वी एन भट  (1938-2009), 1978 में जन्में अमित गर्ग, एल महादेवन आदि।

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाय)

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाय)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई महत्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाय) भी उनमें से एक है। यह मूल रूप से एक सावधि जीवन बीमा पॉलिसी है। इसका सालाना आधार पर या लंबी अवधि के लिए नवीनीकरण किया जा सकता है। पॉलिसीधारक की मौत होने पर यह उसे जीवन बीमा कवरेज मुहैया कराएगी। 

 

पात्र कौन है?

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 वर्ष आयु समूह के व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाएगी। संबंधित व्यक्तियों का बैंक खाता होना चाहिए। जो लोग यह पॉलिसी 50 साल के पहले लेते हैं, उन्हें जीवन बीमा का कवर 55 साल तक मिलेगा। हालांकि, उन्हें यह लाभ पाने के लिए नियमित रूप से प्रीमियम का भुगतान करना होगा।

प्रीमियम क्या है?

पॉलिसीधारक को सालाना 330 रुपए का भुगतान करना होगा। यह राशि हर साल उनके बैंक खाते से काट ली जाएगी। वह भी एक बार में। यह काम बैंक से होगा, जहां यह पॉलिसी शुरू होगी।

जोखिम (रिस्क) का कवरेज क्या है?

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में रिस्क कवरेज दो लाख रुपए है। पॉलिसी एक साल से ज्यादा अवधि के लिए ली गई तो जितने साल के लिए यह पॉलिसी ली गई है, उतने साल तक हर साल संबंधित बैंक खाते से पैसा काट लिया जाएगा।

यह कार्यक्रम कौन पेश करता है?

इस योजना की पेशकश भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कर रहा है। हालांकि, यदि कोई अन्य जीवन बीमा कंपनियां इस कार्यक्रम से जुडना चाहती हैं तो संबंधित बैंकों के साथ अनुबंध कर जुड़ सकती हैं। पीएमजेजेएस के मामले में जिन बैंकों के उपभोक्ता इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे, उन्हें मास्टर अकाउंट होल्डर माना जाएगा। एलआईसी और अन्य बीमा कंपनियां दावा भुगतान और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देंगी। जो सरल और अंशधारकों के लिए सहज होने की उम्मीद की जा सकती है। यह बैंकों के साथ परामर्श के बाद किया जाएगा।

पंजीयन कैसे किया जा सकता है?

यह योजना शुरुआत में 1 जून 2015 से 31 मई 2016 तक के लिए रहेगी। हितग्राहियों को 31 मई 2015 तक या उससे पहले अपना पंजीयन कराना था। उन्हें यह भी बताना है कि उनके बैंक खाते से पैसा कब काटा जाए। यह तारीख 31 अगस्त 2015 तक बढ़ाई जाएगी। यदि कोई इसके बाद इस योजना में पंजीयन कराना चाहता है तो वह स्व-प्रमाणन जमा कर सकता है। जिसमें उसे बताना होगा कि उसका स्वास्थ्य अच्छा है और वह पूरी प्रीमियम चुकाने को तैयार है। यदि कोई पहले वर्ष के बाद भी इस योजना का हितग्राही बने रहना चाहता है तो उसे उस साल 31 मई तक बैंक खाते से पैसे कटने की सहमति देनी होगी। जो भी इसके बाद पॉलिसी का नवीनीकरण कराता है, उसे स्वास्थ्य अच्छा होने का स्व-प्रमाणन करना होगा। साथ ही सालाना प्रीमियम भी एकमुश्त चुकानी होगी। यदि कोई पहले साल में योजना से नहीं जुड़ता तो वह आगे चलकर अच्छे स्वास्थ्य का स्व-प्रमाणन कर सालाना प्रीमियम चुकाकर इस योजना क¢ तहत पंजीयन करा सकता है। यही प्रक्रिया उन लोगों के लिए भी लागू होगी जिन्होंने पॉलिसी लेने के बाद बीच में छोड़ दी और दोबारा शुरू करना चाहते हैं।

पॉलिसी कब खत्म कर दी जाएगी?

पॉलिसीधारक की उम्र 55 वर्ष पूरी होने पर पॉलिसी खत्म हो जाएगी। हालांकि, इसे प्रभावी रखने के लिए पॉलिसीधारक को समय-समय पर इसका नवीनीकरण कराना होगा। यदि खाताधारक बीमा पॉलिसी को सक्रिय रखने लायक न्यूनतम बेलेंस भी अपने बैंक खाते में नहीं रख पा रहा है और उस बैंक का खाता ही खत्म कराना पड़ता है, जहां से पॉलिसी ले रखी है तो बीमा पॉलिसी भी खत्म हो जाएगी। यदि संबंधित व्यक्ति के एक से ज्यादा खाते हैं और वह अनजाने में एक से ज्यादा बीमा पॉलिसी ले लेता है तो भी वह प्रीमियम जब्त हो जाएगी।

बैंक की भूमिका क्या रहेगी?

मास्टर अकाउंट होल्डर होने और हर साल प्रीमियम काटने के अलावा बैंकों की कुछ अन्य भूमिकाएं भी तय की गई हैं। उनका प्राथमिक दायित्व खातों से काटी गई प्रीमियम को बीमा कंपनियों तक पहुंचाना है। उन्हें यह काम भी करने होंगेः
– पंजीयन फॉर्म
– खुद-ब-खुद बैंक खाते से पैसे कट जाए इसका अधिकार पत्र
– सही आकार में घोषणापत्र-कम-सहमति फॉर्म उपलब्ध कराना। वे इन्हें हासिल करेंगे और दावों के वक्त भी पास रखेंगे या किसी भी ऐसे मौके पर जब बीमा कंपनी को इसकी जरूरत होगी, यह फॉर्म उसे उपलब्ध कराने होंगे।

प्रीमियम को कैसे बांटा जाएगा?

330 रुपए के सालाना प्रीमियम में से 289 रुपए बीमा कंपनी को जाएंगे और 30 रुपए का भुगतान बीसी, कॉर्पोरेट या माइक्रो एजेंट्स को होगा। बैंक को 11 रुपए प्रशासनिक खर्च के तौर पर मिलेंगे।
पीएमजेजेबीबीवाय से संबंधित और ज्यादा जानकारी के लिए, कृपया लॉग ऑन करें- www-jansuraksha-gov-in । या इन राष्ट्रीय टोल-फ्री नंबरों पर फोन लगाएं- 1800 110 001 या 1800 180 1111 और इस दस्तावेज में दिए राज्यवार टोल फ्री नंबरों पर फोन लगा सकते हैं- http://www-jansuraksha-gov-in/PDF/STATEWISETOLLFREE-pdf

आवेदन फॉर्म

आवेदन फॉर्म को http://www-jansuraksha-gov-in/FORMS&PMJJBY-asp से डाउनलोड किया जा सकता है। फॉर्म अलग-अलग भाषाओं में भी उपलब्ध है- अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, बांग्ला, कन्नड़, ओडिया, मराठी, तेलुगू और तमिल।

 

जन औषधि योजना

जन औषधि योजना

Jan Aushadhi Yojana Abhiyan details In Hindi जन औषधि अभियान BPPI द्वारा पुरे देश में शुरू किया गया हैं | जाने विस्तार से Jan Aushadhi Yojana In Hindi |

 

क्या हैं जन औषधि योजना?

‘जन औषधि’ (Jan Aushadhi Yojana) यह एक अभियान हैं जो कि आम जनता के लिए कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता की दवाइयाँ उचित दाम पर उपलब्ध कराती हैं ‘जन औषधि’ अभियान केन्द्रीय फार्मा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सहयोग से फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा शुरू किया गया हैं |
भारत एक गरीब देश हैं जहाँ बीमारियाँ आर्थिक संकट में अधिक भयावह हो जाती हैं और इन बिमारियों में सबसे बड़ा खर्च इन दवाओं का होता हैं इसलिए इस दिशा में ‘जन औषधि’ (Jan Aushadhi Scheme) अभियान चलाया जा रहा हैं जो कि जेनेरिक दवाएँ देती हैं जिनकी गुणवत्ता महंगी ब्रांडेड दवाओं जैसी ही हैं लेकिन कीमत में काफ अंतर हैं |
जन औषधि (Jan Aushadhi Scheme)अभियान मूलत: जनता को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया हैं ताकि जनता समझ सके कि ब्रांडेड मेडिसिन की तुलना में जेनेरिक मेडिसिन कम मूल्य पर उपलब्ध हैं साथ ही इसकी क्वालिटी में किसी तरह की कमी नहीं हैं | साथ ही यह जेनेरिक दवायें मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं |

जन औषधि अभियान की शुरुवात (Jan Aushadhi Scheme In Hindi)

जन औषधि अभियान (Jan Aushadhi Scheme) की शुरुवात 2008 में हुई थी | 23 अप्रैल 2008 में औषधि सलाहकार फोरम ने एक मीटिंग ली थी जिसमे रसायन,उर्वरक और इस्पात केन्द्रीय मंत्री श्री राम विलास पासवान की अध्यक्षता में जन औषधि अभियान का अहम् निर्णय लिया गया | जन औषधि अभियान का मुख्य उद्देश्य जेनेरिक दवायें जो कि सस्ती और अच्छी हैं, उपलब्ध को प्रति लोगो को जागरूक करना |उसके महत्व को समझाना |

जन औषधि/ जेनेरिक दवाओं के लाभ Benefits Of Jan Aushadhi Scheme In Hindi

  • बड़ी से बड़ी एवम घातक बिमारियों के उपचार के लिए जेनेरिक दवाईयाँ उपलब्ध करायेगा साथ ही यह लोगो के बजट में होंगी |
  • कम कीमत पर दवाई के साथ- साथ गुणवत्ता इस बात की पूरी गेरेंटी जन औषधि अभियान ने लोगो को एवम विक्रेताओं को दी हैं |
  • जेनेरिक दवाओं के प्रति जनता को जागरूक करने का कार्य भी जन औषधि अभियान के तहत होगा |
  • जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए विक्रेताओं को भी इसकी गुणवत्ता के प्रति जागरूक करने का कार्य जन औषधि अभियान के तहत होगा |
  • जन औषधि अभियान के तहत डॉक्टर्स एवम सरकारी अस्पतालों को भी जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता समझाते हुए उन्हें मरीज को यही दवायें पर्चे पर लिख कर देने के लिए बाध्य किया जायेगा |
  • साथ ही समय पर जेनेरिक दवायें उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी जन औषधि अभियान के तहत आएगी |

कौन जन औषधि स्टोर ओपन कर सकता हैं Who Is Eligible For Opening Jan Aushadhi Stor In Hindi :

  • कोई भी जिसके पास pharmacist की डिग्री हो उनमे व्यक्ति, NGO या कोई भी इंस्टिट्यूट हो सकता हैं, जन औषधि के लिए एप्लीकेशन देस सकता हैं |
  • अगर कोई व्यक्ति जन औषधि के लिए एप्लीकेशन दे रहा हैं तो उसके पास शॉप के लिए पर्याप्त जगह होना चाहिये साथ ही वह किसी अन्य संस्था के आधीन कार्यशील नहीं होना चाहिये |

क्या होती हैं जेनेरिक दवायें  What Is The Generic Medicine In Hindi :

जन औषधि के अंतर्गत आने वाली जेनेरिक दवायें ब्रांडेड नहीं होती लेकिन यह ब्रांडेड दवाओं की तरह ही प्रभावशील होती हैं साथ ही इन्हें अफोर्डेबल प्राइज पर ख़रीदा जा सकता हैं | यह जेनेरिक दवायें किन्ही भी जन औषधि की शॉप पर मिलती हैं |

कौन करता हैं जन औषधि योजना का सञ्चालन Who Is responsible For Jan Aushadhi Scheme In Hindi :

फार्मास्युटिकल्स विभाग ने एक स्पेशल विभाग बनाया हैं जिसे Bureau of Pharma Public Sector Undertakings of Indian (BPPI) के नाम से जाना जाता हैं यह सभी जन औषधि अभियान की देख रेख करती हैं | साथ ही जनता को इसके प्रति जागरूक करती हैं इसके फायदे, नुकसान बताती हैं और समय पर दवायें उपलब्ध कराती हैं | साथ ही जन औषधि शॉप के लिए उचित उम्मीदवारों को तैयार कर उन्हें इस जेनेरिक दवाओं की पूरी जानकारी देती हैं | BPPI पुरे देश में जन औषधि का प्रचार प्रसार कर मार्केटिंग भी करती हैं |

कौनसी दवायें जन औषधि के अंतर्गत आती हैं Medicines Are Available In Jan Aushadhi Scheme :

BPPI ने अधिकतर दवायें जन औषधि के अंतर्गत शामिल की हैं जिसके जरिये गरीब लोग आसानी से अपना इलाज करवा सके | कौन सी दवायें जन औषधि में शामिल की गई हैं उसके लिए इस लिंक पर क्लिक करें | http://janaushadhi.gov.in/list_of_medicines.html यह सरकार की वेबसाइट हैं जिसमे आपको लिस्ट मिलेगी जिनमे जेनेरिक दवाओं के नाम मौजूद हैं |कुछ दवाओ के जेनेरिक नाम, यूनिट, मैक्सिमम रिटेल प्राइज एवम अन्य केटेगरी नीचे दी गई हैं जिन्हें इस वेबसाइट से ही लिया हैं |
क्र. जेनेरिक नाम यूनिट MRP केटेगरी
1 Aceclofenac + Paracetamol (100 mg + 500mg) Tab 10’s 10.00 ANALGESIC/ ANTI-INFLAMMATORY/ MUSCLOSKELETAL DISORDER
2 Aceclofenac 100 mg Tab 10’s 8.00 ANALGESIC/ ANTI-INFLAMMATORY/ MUSCLOSKELETAL DISORDER
3 Aceclofenac Gel 10’s 30 gm ANALGESIC/ ANTI-INFLAMMATORY/ MUSCLOSKELETAL DISORDER
4 Acetaminophen + Tramadol Hydrochloride (325 mg + 37.5 mg) Tab 10’s PUR* ANALGESIC/ ANTI-INFLAMMATORY/ MUSCLOSKELETAL DISORDER
5 Asprin 150 mg Tab 10’s PUR* ANALGESIC/ ANTI-INFLAMMATORY/ MUSCLOSKELETAL DISORDER

जन औषधि स्टोर ओपन करने के लिए शर्ते Rule For Opening Jan Aushadhi Store In Hindi :

  • औषधि स्टोर ओपन करने के लिए एप्लिकेंट के पास पर्याप्त जगह होना चाहिये जो कि किराए की हो सकती हैं |
  • स्टोर के लिए 120 sq ft की जगह होना चाहिये जिसका निर्णय BPPI स्वयं विजिट करके लेती हैं |
  • एप्लिकेंट के पास फार्मिस्ट का सर्टिफिकेट होना चाहिये |
  • एप्लिकेंट के पास रिटेल ड्रग लाइसेंस एवम टिन नंबर होना चाहिये |
  • एप्लिकेंट की माली हालत अच्छी होनी चाहिये उसके टैक्स फाइल होना चाहिये |पिछले तीन साल का सभी फाइनेंसियल ब्यौरा सही होना चाहिये | जिसका परिक्षण BPPI द्वारा किया जायेगा |

जन औषधि स्टोर के लिए सरकार द्वारा की जाने वाली मदद  Government Contribution For Jan Aushadhi Scheme In Hindi :

  • जन औषधि स्टोर ओपन (Jan Aushadhi Scheme) करने के लिए सरकार स्टोर मालिको को यह कार्य शुरू करने के लिए 2 लाख रूपये देगी साथ ही कंप्यूटर जैसे हार्डवेयर लगाने के लिए 50हजार रूपये की मदद की जाएगी |
  • जन औषधि स्टोर मालिको के लिए दवायें MRP से 16 % कम में दी जाएँगी | जहाँ से मालिक सीधे कमाई कर सकते हैं |
इसके अलावा सरकार की जाने वाली बिक्री के अनुसार इंसेंटिव भी देगी |
जन औषधि अभियान सरकार द्वारा चलाया गया एक अच्छा अभियान हैं जिससे गरीबो को बहुत राहत मिलती हैं | हम सभी को जेनेरिक दवायें लेना चाहिये जिससे पैसे की बचत होती हैं | साथ ही हमारे जागने से जेनेरिक दवाओं का उत्पादन बढ़ेगा |
Jan Aushadhi Yojana Abhiyan In Hindi यह आपके लिए एक बेहतर विकल्प हैं |