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1.इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नहीं। उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नहीं। 2.कोशिश आखिरी साँस तक जारी रखनी चाहिए, "मंजिल" मिले या "तजुर्बा" दोनो ही नायाब हैं। 4.बुद्धिमान राजाओं के पास बुद्धिमान सलाहकार होते हैं, और जो ज्ञानी अज्ञानी में अंतर कर सके उसका खुद बुद्धिमान होना ज़रूरी है। 5.ज़िंदगी में हर मौक़े का फ़ायदा उठाओ, मगर किसी की मज़बूरी और भरोसे का नहीं। |
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