शनिवार, 16 अप्रैल 2016

धन का व्यर्थ संचय कभी ना करें Hindi Kahani with moral values of Life

Advertisements

धन का व्यर्थ संचय कभी ना करें Hindi Kahani with moral values of Life




पुराने समय की बात है, एक गाँव में एक बहुत ही धनवान व्यक्ति रहता था। उसके पास कई बीघा जमीन थी, और लाखो रुपयो की सम्पति भी थी। इतने पैसे होने पर भी उसको संतुष्टि नहीं थी, वह बहुत ही कंजूस था, और अपने पास से एक रुपया भी किसी जरूरतमंद को देना पसंद नही करता था।
पदार्थों में उसे सबसे अधिक प्रेम सोने से था। सोना कमाने की लालसा उसमे इतनी बढ़ गयी थी, कि उसे अब भूख प्यास कुछ भी नहीं लगती थी। उसके लालच ने उसे अँधा बना दिया था, सोना कमाने के आलावा उसे अब कुछ भी नजर नहीं आता था। उसने अपनी सारी सम्पति और जमीन बेच कर सोने के सिक्के खरीद लिए। अब उसने सोचा कि घर में तो कभी भी चोरी हो सकती हैं, इतने सारे सोने के सिक्को को घर में रखना ठीक नहीं हैं। ऐसा सोचकर उसने उन सिक्को को कही छुपाने की सोची।
अगले दिन ही उसने उन सभी सोने के सिक्को को एक मजबूत बोरी में भरा और रात होने पर गाँव के बाहर अपने खेत में गाड़ दिया, और चुपचाप अपने घर आ गया। उसने यह बात अपनी पत्नी और बच्चो किसी को भी नहीं बताई। वह रोज रात को उस अपने खेत में जाता और उस स्थान की खुदाई करता, और सोने के सभी सिक्को को अपनी आँखो से देखकर ही वापिस आता था।
कुछ दिनों बात वह किसान सोने से भरे अपने बोर के लिए परेशान रहने लगा। उसका दिन का चैन और रातो की नींद हराम हो गयी। उसे हर समय यही चिन्ता रहती कि कही कोई उसका वह बोरा चोरी करके ना ले जाये। वह अपने लालच में अपने बीबी, बच्चो परिवार वालो और यहाँ तक की खुद को भी पूरी तरह भूल चूका था।
उसे रात को गाँव से बाहर जाते, गाँव का एक व्यक्ति रोज देखता था। एक दो दिन तो उस व्यक्ति ने कुछ नहीं सोचा, परन्तु रोज रात को इस तरह उस किसान को अपने खेत में जाते देख उस व्यक्ति को कुछ अजीब लगा। एक दिन उसने रात को उस किसान का पीछा करने का सोचा।
अगले दिन जब वह किसान अपने खेत में जाने लगा, तो वह व्यक्ति भी उसका पीछा करने लगा। किसान अपने खेत में जाने लगा, यह देखकर वह व्यक्ति खेत के बाहर ही एक पेड़ के पीछे छुप के खड़ा हो गया, और दूर से ही किसान को देखने लगा।
किसान उस जगह की खुदाई करने लगा, जहाँ उसने वह सोने के सिक्को से भरा बोरा छुपाया था। किसान को खुदाई करते देख, उस व्यक्ति को थोड़ा अजीव लगा, परन्तु वह पेड़ के पीछे चुपचाप छुपा रहा। किसान ने उस बोरे को देखा और पुनः उसे जमीन में दबा के आ गया। किसान के जाने के बाद वह व्यक्ति उसके खेत में आया, और उस जगह को खोदने लगा जिसे किसान खोद रहा था। वह सोने के सिक्को से भरा बोरा देखकर हैरान रह गया। उसने जल्दी जल्दी उस बोर को जमीन से निकाला, और उसे लेकर वहाँ से भाग गया।
अगले दिन किसान रात को पुनः अपने खेत में आया, परन्तु ये क्या वहाँ तो अब कुछ भी नहीं था। यह देखकर किसान की हालत खराब हो गयी, और वह दहाड़े मार मार कर रोने लगा। रात को रोने की आवाज सुनकर सारे गाँव वाले इकट्ठा हो गए। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि वह क्यों रो रहा है। जब सभी ने उसके रोने का कारण पूछा, तब उसने अपने सोने के बोरे के बारे में बताया।
उसकी बात सुनकर गाँव का एक बुजुर्ग व्यक्ति हसने लगा और बोला, ” अब तुम्हारे रोने और चिल्लाने का कोई भी फ़ायदा नहीं हैं। तुम्हारे पास जो धन था, वैसे भी वह तुम्हारे किसी काम नहीं आ रहा था। जब तुम्हारे पास धन था, तब भी तुम केवल कल्पना में ही धनवान थे। धन तो तुम्हारा मिटटी में ही दबा था। जहां सोना था, वहां एक पत्थर रख लो और सोचते रहो कि सोना पड़ा है। तुम्हारा सोना मिट्टी में दबा बेकार पड़ा था, किसी के काम नहीं आ रहा था तो पत्थर भी वैसा ही है। तुमने तो धन केवल देखने के लिए रख रखा था।
दोस्तों धन का लालच इंसान को अँधा बना देता है। केवल उतना ही धन संचिये जितना आपके काम आ सके, अन्यथा जरूरत से अधिक धन पूरा जीवन खराब कर देता है

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comments