मंगलवार, 21 जून 2016

Inspirational Stories दोस्ती की पहचान

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एक जंगल था  गाय, घोडा, गधा और बकरी वहा चरने जाते थे| उन चारो में अच्छी दोस्ती हो गई थी| वे चरते – चरते बहुत बातें किया करते थे  पेड़ के नीचे एक खरगोश का घर था| एक दिन उसने उन चारो की दोस्ती देखी|

खरगोश पास जा कर कहने लगा – “तुम लोग मुझे भी मित्र बना लो|” उन्होंने कहा अच्छा| तब खरगोश बहुत प्रसन्न हुआ| खरगोश हर रोज उनके पास आकर बैठ जाता| उनकी बातें सुन और कहानियाँ सुनकर वह भी मन बहलाया करता था| एक दिन खरगोश उनके पास बैठा कहानियाँ सुन रहा था| अचानक शिकारी कुत्तों की आवाज सुनाई दी| खरगोश ने गाय से कहा – तुम मुझे अपनी पीठ पर बैठा लो| जब शिकारी कुत्ते आए तो उन्हें सीगों से मार कर भगा देना|

गाय ने कहा – “मेरा तो अब घर जाने का समय हो गया है| तब खरगोश घोड़े के पास गया| कहने लगा – बड़े भाई| तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो और शिकारी कुत्तो से बचाओ| तुम तो एक दुलती मारोगे तो कुत्ते भाग जायेंगे| घोड़े ने कहा – “मुझे बैठना नहीं आता| मैं तो खड़े खड़े सोता हू| मेरी पीठ पर कैसे चढोगे| मेरे पाँव भी दर्द कर रहे है| इन पर नई नाल चढी है| मैं दुलती कैसे मारूँगा? तुम कोई और उपाय करो|

तब खरगोश ने गधे के पास जाकर कहा – “मित्र गधे| तुम मुझे शिकारी कुत्तो से बचा लो| मुझे पीठ पर बिठा लो| जब कुत्ते आए तो उन्हें झाडकर उन्हें भगा देना|“ गधे ने कहा – मैं घर जा रहा हूँ| समय हो गया है, अगर में समय पर घर न लौटा तो कुम्हार डंडे से मार – मार कर मेरा कचुम्बर निकाल देगा| तब खरगोश बकरी की तरफ चला|

बकरी ने कहा “छोटे भाई इधर मत आना, मुझे शिकारी कुत्तो से बहुत डर लगता है| कहीं तुम्हारे साथ मैं भी न मारी जाऊ| इतने में कुत्ते पास आ गए| खरगोश सिर पर पैर पाँव रखकर भागा| कुत्ते इतनी तेज दोड न सके| खरगोश झाड़ी में जा कर छिप गया| वह मन में कहने लगा – हंमेशा अपने पर ही भरोसा करना चाहियें|

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