गुरुवार, 2 जून 2016

शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं?

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शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं?

इस प्रश्न के उत्तर के लिए हमारे पास दो कहानिया है

1. रामायण के अनुसार लंका पर चढ़ाई के लिए  समुद्र पर बनाए  गए पुल की सुरक्षा का जिम्मा  हनुमानजी को सौपा गया था। 


हनुमानजी रात में भगवान राम का ध्यान करते हुए पुल की ध्यान रख  रहे थे कि वहां शनिदेव आ पहुंचे और उन्हें व्यंग्यबाणों से परेशान करने लगे।हनुमानजी ने शनिदेव के सारे आक्षेपों को स्वीकार करते हुए कहा कि कृपया वह उन्हें पुल की रक्षा करने दें, लेकिन शनिदेव बाज नहीं आए।अंतत: क्रोधित होकर हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में जकड़ कर इधर-उधर पटकना शुरू कर दिया। काफी देर बाद हनुमानजी ने उन्हें मुक्त किया और दर्द से निजात पाने के लिए एक तेल लगाने को दिया। इसके बाद से ही शनिदेव को तेल चढ़ाते हैं।


2. एक बार शनिदेव खेलते हुए उस स्थान पर जा पहुंचे जहां पर श्री राम भक्त हनुमान तपस्या कर रहे थे। शनिदेव ने उदंडतावश हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा, परन्तु उन्होनें शनिदेव को कहा, ” हे शनिदेव ! इस समय में अपने प्रभु राम की अराधना कर रहा हूं, आप विघ्न न डालें। “

इस पर शनिदेव ने अहंकारवश प्रभु हनुमान जी से कहा, ” हे वानर ! मैने तो देवताओं से सुन रखा था कि तुम बहुत बलशाली हो।परन्तु मुझे देखकर तुम्हारा बल कहां चला गया ? यदि तुम में बल है तो मुझसे यु़द्ध करो अन्यथा मेरे दास बन जाओ। इस बात पर क्रोधित होकर हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में बांध लिया और एक पर्वत से दूसरे पर्वत तक छलांग लगाने लगे। जिससे कि शनिदेव का सारा शरीर पत्थरों की रगड़ से छिल गया। शरीर छिलने से पीडि़त शनिदेव गिड़गिड़ाते हुए हनुमान जी से बोले, Þहे हनुमान जी! अब बस करो और मुझे बंधंन मुक्त कर दो, आज से मैं आपकी हर बात मानूंगा। “

तब हनुमान जी ने शनिदेव से वचन लिया कि आज से जो भक्त मेरी अराधना करेगा उसे तुम कभी भी दुखी नहीं करोगे अपितु आप उनकी रक्षा करोगे। शनिदेव को तेल इसलिए चढ़ाया जाता है कि शनि की पीड़ा दूर हो और वे प्रसन्न होकर कृपा करें।

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