सोमवार, 11 जनवरी 2016

लाई-फाई तकनीक

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लाई-फाई तकनीक ‘वेलमेन्नी’ द्वारा इजाद की गई नई तकनीक है जिससे वाई-फाई और ब्लूटुथ से 100 गुणा ज्यादा तेजी से इंटरनेट एवं डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है ।  इस लाई-फाई तकनीक का हाल ही में परीक्षण किया गया है और माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में यह इंटरनेट की दुनिया का नक्शा बदलकर रख देगा।
 
जाने क्या है लाई-फाई तकनीक
  • लाई-फाई एक ऐसी वायरलेस ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी है जो डेटा ट्रांसफर करने की एक नई तकनीक है और इसके लिए एक विद्युत के स्रोत, जैसे कि एक स्टैंडर्ड एलईडी बल्ब, एक इंटरनेट कनेक्शन और एक फोटो डिटेक्टर की जरूरत होती है।
  • इस तकनीक में डेटा विजिबल लाइट कम्युनिकेशन (वीएलसी) द्वारा ट्रांसफर होता है. नेटवर्क्स के बीच डेटा एलईडी लाइट्स से भेजा जाता है।
  • नवंबर 2015 में लाई-फाई तकनीक का एस्तोनिया के टालिन शहर में वेलमेनी नामक स्टार्ट-अप द्वारा परीक्षण किया गया. इस परीक्षण में लाई-फाई युक्त विद्युत बल्ब से 1 Gbps स्पीड से डेटा का ट्रांसफर किया गया. सैद्धांतिक तौर पर इसकी स्पीड 224 Gbps तक हो सकती है।
  • खास बात ये है कि इस स्टार्ट-अप की स्थापना एक भारतीय दीपक सोलंकी ने की है. सोलंकी ने बताया कि उनकी कंपनी वेलमेनी भले ही एस्तोनिया में रजिस्टर्ड है लेकिन उनकी पूरी टीम भारतीय है. दीपक का कहना है कि तीन से चार साल के अंदर यह तकनीक आम उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
  • लाई-फाई तकनीक की खोज एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेरल्ड हास ने की थी, जिन्होंने 2011 में Ted (टेक्नोलॉजी, एंटरटेंमेंट और डिजाइन) कॉन्फ्रेंस में पहली बार इस टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया था।
  • लेकिन इस टेकनोलॉजी की कुछ कमियां भी हैं, जैसे इसे घर के बाहर धूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि सूर्य की किरणें इसके सिग्नल में बाधा उत्पन्न करती हैं. साथ ही इस टेक्नोलॉजी को दीवार के आर-पार प्रयोग किया जा सकता है इसलिए शुरुआत में इसे वाई-फाई के पूरक के तौर पर सीमित तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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