सोमवार, 11 जनवरी 2016

चलते रहो समस्याएं खुद सुलझ जाएंगी

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समस्याएं तो जिंदगी का हिस्सा हैं। वे आएंगी और चली जाएंगी। उनका पीछा पकड़कर मत बैठो। तुम अकेले नहीं हो जिसे समस्या है। चलते रहो। समस्याएं खत्म हो जाएंगी। 



चिंता के बारे में इस तरह सोचिए कि पिछले महीने भी आप चिंता कर रहे थे लेकिन अभी भी आप मजे से जी रहे हैं। जो चिंता कल थी वह आज नहीं है। अपने अनुभव से आपको समझना चाहिए कि चिंता करने से कुछ नहीं होता है, उससे जितना जल्दी हो सके बाहर आ जाना चाहिए। योग और ध्यान चिंता से बाहर आने में आपकी मदद करते हैं।
अगर ये भी आपकी मदद नहीं करते तो उन लोगों को देखिए जिनकी समस्याएं आपसे ज्यादा बड़ी हैं। अगर यह उपाय भी आपकी मदद नहीं करता तो आपके एक मानसिक चिकित्सालय में जाइए और आप पाएंगे। कि आप दूसरों के मुकाबले बहुत ही अच्छी स्थिति में हैं। अगर यह भी काम नहीं करता हो तो एक श्मशान में जाइए और देखिए कि वहां किस तरह से लोग आ जा रहे हैं।
आपको एक दिन वहीं पहुंचना है तो फिर किस बात कि चिंता। आप जो भी हों, जितने भी प्रभावशाली हों, जितने भी धनवान हों, जितने भी शक्तिशाली हों, लेकिन एक दिन आपका भी यही हश्र होना है। लोग आते हैं, आपको चिंता के हवाले करके लौट जाते हैं और फिर अपनी जिंदगी जीते हैं।
अगले दिन उनका जीवन पहले की तरह चलने लगता है। यह दूसरों के साथ ही नहीं बल्कि आपके साथ भी यही होता है। आप भी दूसरों को श्मशान छोड़कर आते हैं और अपनी जिंदगी जीते हैं। हर कहानी का अंत ऐसा ही है। जिस क्षण आप यह महसूस कर लेते हैं कि जीवन तो चलने का काम है तो फिर किसलिए चिंता करना।
जीवन एक चक्र है। अच्छा और बुरा समय आता है तो फिर चिंता की क्या जरूरत है। यह तो संसार का नियम है कि कुछ अच्छा होगा तो कुछ आपके मन का भी नहीं होगा, फिर चिंता क्यों करना।
अब समस्याओं की बात करें तो हमारी समस्याएं ही हमें जकड़ें रखती हैं। आश्रम में मैनें पांच बास्केटबॉल रखे हैं जो अलग-अलग तरह की समस्याओं के लिए हैं।


--श्री श्री रविशंकर

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