सोमवार, 30 मई 2016

गांधारी दो सालों तक गर्भवती रही थी

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गांधारी दो सालों तक गर्भवती रही थी




एक बार जब व्यास ऋषि एक लंबी यात्रा से लौटे थे तो गांधारी ने उनके जख्मी पैरों में मरहम लगाया था और उनकी बहुत सेवा की थी। तब उन्होंने गांधारी को आशीर्वाद दिया था, ‘तुम जो चाहे मुझसे मांग सकती हो।’
गांधारी बोली, ‘मुझे सौ पुत्र चाहिए।’ व्यास बोले, ‘ठीक है, तुम्हारे 100 पुत्र होंगे।’ अब गर्भपात के बाद गांधारी ने व्यास को बुलाया और उनसे कहा, ‘यह क्या है? आपने तो मुझे 100 पुत्रों का आशीर्वाद दिया था। उसकी बजाय मैंने मांस का एक लोथड़ा जन्मा है, जो इंसानी भी नहीं लगता, कुछ और लगता है। इसे जंगल में फेंक दीजिए। कहीं पर दफना दीजिए।’
व्यास बोले, ‘आज तक मेरी कोई बात गलत नहीं निकली है, न ही अब होगी। वह जैसा भी है, मांस का वही लोथड़ा लेकर आओ।’ वह उसे तहखाने में लेकर गए और 100 मिट्टी के घड़े, तिल का तेल और तमाम तरह की जड़ी-बूटियों को लाने के लिए कहा। उन्होंने मांस के उस टुकड़े को 100 टुकड़ों में बांटा और उन्हें घड़ों में डालकर बंद करके तहखाने में रख दिया। फिर उन्होंने देखा कि एक छोटा टुकड़ा बच गया है। वह बोले, ‘मुझे एक और घड़ा लाकर दो। तुम्हारे 100 बेटे और एक बेटी होगी।’ उन्होंने इस छोटे से टुकड़े को एक और घड़े में डाल कर सीलबंद कर दिया और उसे भी तहखाने में डाल दिया। एक और साल बीत गया। इसीलिए कहा जाता है कि गांधारी दो सालों तक गर्भवती रही थी – गर्भ एक साल उसकी कोख में और दूसरे साल तहखाने में था।

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