गुरुवार, 12 मई 2016

Kohinoor Diamond - कोहिनूर हीरा

Advertisements


कोहिनूर हीरा





कोहिनूर हीरे का इतिहास : -


इस अनमोल हीरे की खोज वर्तमान आंध्र प्रदेश गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खदानों में खुदाई के दौरान हुई थी। लेकिन यह कब बाहर आया, सबसे पहले किसने इसे देखा, इसका कोई प्रमाण दर्ज नहीं है।


इतिहास के सबसे महंगे हीरे कोहिनूर, जिसका अर्थ है रोशनी का पहाड़, के बारे में तो सभी जानते हैं। भारत की सरजमीं पर विख्यात हुआ यह हीरा आज अंग्रेजी राजघराने की शोभा बढ़ा रहा है।


सन् 1309-10 ई. अलाउदीन ख़िलजी के सेनापति मलिक काफूर ने दक्षिण के राज वारंगल के राजा प्रताप रुद्रदेव तीसरे से अधीनता के तोर पर लिया था ।
फिर 1339 में इस हिरे को समरकंद के नगर में ३०० वर्ष तक रखा गया
1526 में बाबर ने अपने लेख में बाबरनामा यह बताया की यह हिरा सुल्तान इब्राहिम ने भेट किया था

17वी सदी में जब गोलकुंडा के राजा ने यह हीरा मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को भेंट किया । सन् 1739 ई में अफगानिस्तान के शासक नादर शाह ने दिल्ली को लूटा और हीरे को अपने कब्ज़े में लिया इस हीरे की खूबसूरती देख के उसने इसे कोहिनूर का नाम दिया ।
1747 में राजनीतिक लड़ाई के चलते नादिर शाह की हत्या कर दी गई और कोहिनूर को जनरल ाहमहद शाह दुर्रानी ने अपने पास कर लिया |
हमहद शाह के वंशज 1813 में वापस भारत ले अये |


शाह सुजाह की पत्नी वफा बेगम ने अपने पति की आज़ादी के बदले महाराजा रणजीत सिंह को यह हीरा देने का वचन दिया । महाराजा ने सन् 1813 ई. में कश्मीर पर हमला किया भले ही कश्मीर को जीत न सका पर शाह सुजाह उस को मिल गया और वफा बेगम ने यह हीरा महाराजा को आभार हेतु भेंट किया ।


लम्बे समय तक यह हीरा खालसा दरबार की शान बना रहा । महाराजा ने कोहिनूर को अपने बाजूबन्द के दो कीमती हीरो के बीच में लगवाया । सन् 1849 ई को अंग्रेजो ने पंजाब पर हमला करके इस हीरे को अपने कब्ज़े में ले लिया ।


यह हीरा इंग्लेंड England की महारानी विक्टोरिया Victoria को भेंट किया गया । 1936 में यह हीरा महारानी एलिजाबेथ के मुकुट की शोभा बना । 2007 तक कोहिनूर Tower of London में ही रखा गया ।


आज भी यह हीरा कीमत वजन और चमक के कारण बहुमूल्य है । महाराजा के समय अंग्रेज लेखको ने इसकी कीमत 30 लाख पोंड लगाई थी


महारानी विक्टोरिया को इस हीरे के श्राप के बारे में बताया गया तो उन्होंने हीरे को ताज़ में जुड़वा कर 1852 में स्वयं पहनती है और यह वसीयत करती है की इस ताज को सदैव महिला ही पहनेगी ।यदि कोई पुरष ब्रिटेन का राजा बनता है तो यह ताज उसकी जगह उसकी पत्नी इसे पहनेगी ।”


“इतिहासकारो का मानना है कि महिला दुवारा धारण करने के बावजूद इसका असर खत्म नहीं हुआ और ब्रिटेन के साम्राज्य के अंत के लिए भी यही जिम्मेदार है ।

ब्रिटेन 1850 तक आधे विश्व पर राज कर रहा था
पर उसके बाद उसके अधीनस्थ देश एक एक करके स्वतन्त्र हो गए ।”





कोई त्रुटि रह गयी हो तो कृपया अवगत कराये ।
कृपया like और comment जरूर करे ।

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comments